प. बंगाल और त्रिपुरा ऐसे राज्य हैं जहाँ कुछ समय पहले तक भाजपा की उपस्थिति लगभग शून्य थी | वामपंथियों से पीछा छुड़ाकर प. बंगाल जहाँ ममता बेनर्जी के रंग में डूब हुआ था वहीँ त्रिपुरा मुख्यमंत्री माणिक सरकार की साफ छवि की बदौलत वामपंथियों की देश की राजनीति में उपस्थिति बनाये हुए था | पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने प. बंगाल में दस्तक दी, दो सीटों पर जीत हासिल की और कुछ सीटों पर काफी करीब से हारी | प. बंगाल विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने कुछ जगहों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अहसास दिलाया कि प. बंगाल में भाजपा के रूप में नया विकल्प धीरे धीरे तैयार हो रहा है |
मोदी सरकार को अब २ साल से ज्यादा का समय हो चुका है | काफी नए और सराहनीय काम शुरू किये जा चुके हैं और कई ऐसे भी हैं जिन पर मोदी सरकार का प्लान पूरा तैयार है लेकिन वो काम विपक्षियों द्वारा संसद न चलने देने की वजह से रुके हुए हैं | नया ताजा सराहनीय काम काले धन के खात्मे की ओर बड़ी कार्यवाही के रूप में नोटबंदी का फैसला है | विपक्ष और कई मीडिया हाउस काफी दिन से प्रचार कर रहे थे कि इस फैसले से आम जनता बहुत दुखी है और आने वाले चुनावों में मोदी सरकार को मुँह तोड़ जवाब देगी | लेकिन अभी हाल में हुए कुछ उपचुनावों में जनता ने विपक्षियों और ऐसे मीडिया हाउस के मुँह पर जोरदार तमाचा मारा है | मध्य प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में जहाँ भाजपा ने शानदार जीत हासिल की वहीँ प. बंगाल और त्रिपुरा में दुसरे स्थान पर रहकर शानदार उपस्थिति दर्ज कराई | प. बंगाल में जहाँ भाजपा का वोट प्रतिशत ११ % से बढ़कर २१ % हुआ वहीँ त्रिपुरा में १ % से बढ़कर ३५ %.हो गया | कांग्रेस की उपस्थिति की हालत तो यह है कि १४ सीटों पर हुए उपचुनावों में वह सिर्फ १ ही सीट जीत पायी | प. बंगाल में भाजपा ने वामपंथियों को पीछे छोड़कर दूसरा स्थान प्राप्त किया और त्रिपुरा में भी उसने जीती हुई पार्टी के ४५ % वोट प्रतिशत के जवाब में ३५ % वोट प्राप्त किये और दूसरे स्थान पर रही | और ये सब तब हुआ जबकि कई तथाकथित चुनावी विशेषज्ञ उम्मीद जता रहे थे कि इन उपचुनावों में भाजपा को मुँह की खानी होगी |
प. बंगाल और त्रिपुरा में लगातार बढ़ती भाजपा की ताकत से आज विपक्षी परेशान जरूर हुए होंगे | हालाँकि खुश रहने के लिए तरह तरह के बयान दिए जायेंगे कि वोट प्रतिशत से क्या होता है सीट कौन जीता आदि आदि लेकिन अंदर ही अंदर इन नतीजों से विपक्ष की नींद जरूर उड़ी होगी | सीधी बात है, आज वो जमाना नहीं रहा कि जनता को उतना ही पता चलेगा जितना कि मीडिया हाउस और नेता बता रहे हैं | इन्टरनेट और सोशल साइट्स का जमाना है और आज जनता को सारी जानकारी आसानी से मिल जाती है | केंद्र सरकार के अच्छे कामों की गूँज अब उन राज्यों में भी सुनाई देनी शुरू हो गयी है जहाँ कुछ समय पहले तक भाजपा को गिना भी नहीं जाता था | यदि विपक्ष अब भी नहीं सुधरा तो कोई बड़ी बात नहीं होगी कि इसी तरह के नतीजे अब एक एक करके ऐसे हर उस राज्य से आने शुरू होंगे जहाँ अभी भाजपा को गिना ही नहीं जाता है | हो सकता है आने वाले कुछ सालों में कई ऐसे राज्यों में भाजपा अपनी सरकार भी बना ले और इन राज्यों में लोकसभा चुनावों में भी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे |