प. बंगाल में सेकुलरिज्म की आड़ में खुलकर हिन्दू विरोध चल रहा है | कभी दुर्गा पूजा पर रोकटोक होती है, कभी रामनवमी पर तो कभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या अन्य हिन्दू संगठनों के सदस्यों की हत्या होती है | खैर ये तो सभी को पता है कि इस देश में सेकुलरिज्म का सीधा मतलब हिन्दू विरोध ही है | इस सब का कुछ दोष प. बंगाल की जनता पर भी जायेगा क्योंकि वोट देकर ऐसे लोगों को ताकतवर भी तो उन्होंने ही बनाया है | प. बंगाल से आये दिन अब कोई न कोई नयी हिन्दू विरोध और मुस्लिम तुष्टिकरण की खबरें आती ही रहती हैं | ऐसे में यह कहना कोई बड़ी बात नहीं होगी कि यह राज्य बहुत तेज़ी में अलगाववादियों का ठिकाना बनता जा रहा है और यदि हालात नहीं सुधरे तो आगे जाकर यहाँ जम्मू कश्मीर जैसी स्थिति हो जाएगी और हिन्दुओं को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा |
प. बंगाल के अभी के हालात में हरा इस्लामी झंडा फहराना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन किसी हिन्दू धर्म के त्यौहार पर भगवा झंडा फहराते हुए जुलुस निकलते हुए देखना तो अब एक सपने के सामान ही था | लेकिन ये सपना आर. एस. एस. ने प. बंगाल में रामनवमी पर्व पर भगवा झंडे और जय श्री राम के नारे के साथ जुलुस निकाल कर पूरा कर दिया | आर. एस. एस ने प. बंगाल में रामनवमी के दिन २०० से ज्यादा ऐसे जुलुस निकाले | ये सिर्फ एक जुलुस नहीं बल्कि एक बड़े परिवर्तन की झांकी थी | इस जुलुस के रूप में आर. एस. एस ने प. बंगाल के हिन्दुओं को एक नए राजनैतिक विकल्प के उदय का संकेत दिया, एक नयी आशा दी और साथ ही इस बात की झांकी भी दिखाई कि यदि प. बंगाल में इस नए विकल्प का चुनाव होता है तो हिन्दू भी बिना वजह के धार्मिक अपमान और भेदभाव के बिना तथा आत्मसम्मान के साथ जी सकेंगे | हालाँकि यह झांकी और संकेत प. बंगाल की सेक्युलर जमात को पसंद नहीं आने वाले हैं और हो सकता है कि इस का बदला कुछ और संघ के सदस्यों पर हमले करके लिया जाए |
अब प. बंगाल के हिन्दुओं को परिवर्तन की इस झांकी से कुछ सीख मिली या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा | उम्मीद करता हूँ कि प. बंगाल के लोग इस झांकी से कुछ सीख लेंगे और प. बंगाल में तैयार हो रही अलगाववादी ताकतों के विरोध में वोट देकर प. बंगाल का भविष्य सुरक्षित करेंगे |