अभी केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के लातूर व उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में पानी के टैंकरों से भरी ट्रेनें भेजीं क्योंकि दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सूखा पड़ा | बुंदेलखंड में तो पहले ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से किसान बर्बाद हुआ, आगे चलकर भयानक सूखा पड़ गया | हैंडपंप व कुओं का पानी सूख गया, नाले – नदी, तालाब तो जलविहीन हुए ही बांधों में भी पानी बहुत कम रह गया | यदि एक माह तक पानी नहीं बरसा तो पेयजल के लिए हाहाकार मच जायेगा |
एक और उ. प्र. सरकार ने झाँसी पहुंची पानी के टैंकरों से भरी ट्रेन यह कहकर लेने से मना कर दिया कि बुंदेलखंड में पानी की कमी नहीं है बल्कि पानी ढोने वाले टैंकरों की कमी है | अर्थात पानी ढोने वाले टेंकर जो ट्रैक्टरों से ले जाये जाते हैं हज़ारों की तादाद में चाहिए | सूखा से निपटने के लिए उ. प्र. के मुख्यमंत्री जी दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री जी से मिले और दस हज़ार छह सौ करोड़ रुपये की मांग की | मुख्यमंत्री जी से यह पुछा जाना चाहिए कि पानी की कमी नहीं है तो टैंकरों की आवश्यकता क्यों है ? साथ ही दस हज़ार छह सौ करोड़ रुपया किस काम के लिए चाहिए ?
दरअसल उ. प्र. सरकार को अधिक से अधिक रुपया चाहिए ताकि उसमें से अधिक से अधिक धन लूटा जा सके | अभी सूखा से निपटने का एक नायाब तरीका निकाला गया कि पुराने तालाबों की मरम्मत की जाए | ललितपुर जिले में ही ग्यारह तालाबों की मरम्मत की योजना बन गयी | प्रत्येक तालाब की मरम्मत का बजट लगभग एक करोड़ है | नेताओं के बीच बंदरबांट हो गयी | तालाब तो बहुत पुराने हैं, सैकड़ों साल पुराने हैं | उनके बंध भी बहुत सुदृढ़ हैं | थोड़ा बहुत गहरा किया जायेगा क्योंकि अंदर की मिट्टी उठाकर बंध पर डाल दी जाएगी | पानी व सूखे का समाधान हो जायेगा ऐसी घोषणा कागजों एवं आंकड़ों में हो जाएगी | परन्तु खर्च पच्चीस तीस प्रतिशत होगा और बाकी लूट की भेंट चढ़ जायेगा | आंकड़ें बनेंगे कि पानी की कमी व सूखे से निपटने के लिए भारी भरकम रकम सरकार ने खर्च की | परन्तु अभी हाल ही में इन तालाबों में पानी आएगा कहाँ से ? भविष्य में भी जब बारिश होगी तो पंद्रह से बीस प्रतिशत अधिक पानी तालाबों में निश्चित तौर पर भरेगा | इससे न तो सिंचाई की समस्या हल होगी और न ही पेयजल की समस्या हल होगी |
आवश्यकता इस बात की थी कि उक्त धनराशि पेयजल की समस्या के समाधान पर व्यय की जाती तथा भविष्य के लिए स्थायी समाधानों पर भी कार्य किया जाता | ललितपुर जनपद में ही राजघाट बाँध व गोविंदसागर बाँध को नहर से जोड़ने की योजना भाजपा सरकार ने बनायीं थी जिसे वर्तमान राज्य सरकार ने रद्द कर दिया | जाखलौन पंप कैनाल को रेल्वे लाइन क्रॉस करके रेल्वे लाइन से पूर्वी क्षेत्र को सिंचित करने की मांग लम्बे समय से चल रही है उस पर कार्य किया जाता | जनपद में कई बाँध अधूरे पड़े हैं उनका निर्माण कार्य पूरा किया जाता | परन्तु वर्तमान राज्य सरकार की रूचि ऐसी योजनाओं में है जिससे अपने चहेतों को तत्काल बड़ी धनराशि की कमाई कराई कराकर चुनावी फण्ड इकठ्ठा किया जा सके | इसीलिए उ. प्र. सरकार के मुखिया अखिलेश यादव को केंद्र से पानी नहीं बल्कि भारी मात्रा में नकद धन चाहिए ताकि लूटपाट की योजनाएं तत्काल चलाकर अपनी तिजोरियां भर सकें चाहे अगले सालों में किसानों की स्थिति कितनी भी ख़राब हो जाये | रही बात टैंकरों से पानी सप्लाई की तो इसमें बड़ा फर्ज़ीवाड़ा होता है | स्कूटर, मोटरसाईकिल, कारों व ट्रकों के नम्बरों पर ट्रेक्टरों से पानी की ढुलाई पिछले सालों में दिखाई जा चुकी है | सत्तारूढ़ पार्टी व अधिकारियों के लिए यह बड़े फायदे की योजना है |