Friday, November 15, 2024
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सिध्धू न घर के रहे न घाट के ?

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कुछ दिनों पहले नवजोत सिंह सिध्धू के राज्य सभा एवं भाजपा से इस्तीफे के बाद से ही उनकी आम आदमी पार्टी में एंट्री की चर्चा होने लगी थी | न्यूज़ एजेंसियां यहाँ तक बोल रहीं थीं कि वो आम आदमी पार्टी के पंजाब में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हो सकते हैं | सिध्धू बहुत ही जोशीले एवं राष्ट्रभक्ति से भरे हुए भाषणों के लिए जाने जाते हैं | ऐसे में उनका और आम आदमी पार्टी का यह संगम बेमेल खिचड़ी ही लग रहा था | जे एन यू में हुई देशविरोधी नारेबाजी के आरोपियों पर राय, इशरत जहाँ एवं बाटला एनकाउंटर आदि जैसे कई मुद्दों को देखें तो हम ये पाएंगे कि सिध्धू की राय आम आदमी पार्टी से जरा भी मेल नहीं खाती | ऐसे में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी ही शायद एक ऐसी चीज थी जिस के लिए सिध्धू अपनी पुरानी सोच एवं विचारधारा से समझौता करके ऐसा कदम उठाने का फैसला कर पाए |

अब खबर आ रही है कि आम आदमी पार्टी अपने आंतरिक संविधान का हवाला देकर न तो उनको मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी देने तैयार है और न ही उनकी पत्नी को विधायक का टिकट | हालाँकि आम आदमी पार्टी का अपनी बातों से पलटने का पुराना इतिहास है तो अभी मैं ऐसा तो नहीं कहूंगा कि आम आदमी पार्टी अब किसी भी हालात में सिध्धू की इन दो मांगों को पूरा नहीं करेगी | लेकिन चर्चा तो यही है कि सिध्धू इन दोनों मांगों के पूरा हुए बिना फिलहाल आम आदमी पार्टी को ज्वाइन करने के मूड में नहीं हैं और आम आदमी पार्टी इन दोनों मांगों को पूरा करने से मना कर चुकी है | एबीपी न्यूज़ की माने तो सिध्धू ने कांग्रेस से भी बातचीत शुरू कर दी है | मेरी व्यक्तिगत राय में कांग्रेस जिस तरह की पार्टी है वो उनकी यह बात तो मान सकती है कि सिध्धू और उनकी पत्नी को विधानसभा का टिकट दे दे लेकिन कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी मिलना तो आम आदमी पार्टी से भी ज्यादा कठिन काम है |

सिध्धू का भाजपा एवं भाजपा समर्थकों के बीच हमेशा ही काफी सम्मानजनक स्थान रहा था | उनके भाजपा छोड़ने के फैसले के बाद उनको काफी नए समर्थक जरूर मिले होंगे लेकिन उनके पुराने समर्थकों को इस से बहुत धक्का लगा था और सोशल वेबसाइट्स पर उनके पुराने समर्थकों ने अपना यह दुःख और गुस्सा जाहिर भी किया था | भाजपा पहले ही साफ़ कह चुकी है कि सिध्धू को अब भाजपा में वापस नहीं लिया जायेगा | हो सकता है एक बार को भाजपा पंजाब में चुनाव के चलते उनको वापस ले भी ले लेकिन अब यदि सिध्धू वापस भाजपा में लौटने का मन बनाते भी हैं तो ये बात तो तय है कि उनको अब उनके पुराने समर्थकों के दिलों में वह स्थान वापस नहीं मिल पायेगा |

अब तक इस पूरे मामले में जो भी कुछ हुआ उस में नुकसान सिध्धू का ही हुआ है | फिलहाल उनकी स्थिति वही है कि न घर के रहे न घाट के | देखते हैं आने वाले समय में सिध्धू का यह कदम उनको कोई राजनैतिक फायदा दिलाता है या फिर एक राजनैतिक आत्महत्या साबित होता है |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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