नवजोत सिंह सिध्दू के भाजपा छोड़ने की खबर आते ही एक हंगामा सा मच गया था | पहले खबर आयी कि वो आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर रहे थे लेकिन आखिर में उन्होंने कांग्रेस को ज्वाइन किया | इस मुद्दे पर अपनी राय रखने से पहले मैं पहले सिध्दू, आम आदमी पार्टी एवं कांग्रेस इन तीनों पक्षों के बारे में कुछ बातें आप सभी को याद दिलाना चाहूंगा |
सिध्दू अपने जोशीले भाषण एवं शायरी के लिए बहुत प्रसिद्द हैं | कई देशभक्त लोग इनके कहे शेर और भाषणों को काफी पसंद करते रहे हैं और सोशल साइट्स पर शेयर भी करते रहे हैं | अब तक इन्होने सभी भारत विरोधी ताकतों का विरोध किया है एवं देशभक्तों के समर्थन में बातें कहीं | सोमवार जुलाई १८ के पहले के जिन सिध्दू को मैं जनता हूँ वो किसी भी हाल में किसी देशद्रोही ताकत का समर्थन नहीं कर सकते थे और देशभक्ति एवं देशद्रोह में से देशभक्ति का ही चुनाव करते |
अब बात करते हैं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की | ये वही पार्टी हैं जिन के नेताओं ने इशरत जहाँ – बाटला आदि एनकाउंटर का विरोध किया था और इन्हें गलत बताया था, इनके कई नेताओं ने आतंकियों को दी जाने वाली फांसी की सजा का विरोध किया, जे एन यू में हुई देशद्रोही नारेबाजी के आरोपियों का समर्थन किया, चीन द्वारा भारत को एन एस जी की सदस्यता के लिए समर्थन न देने पर चीन के खिलाफ तो एक शब्द भी नहीं कहा बस अपने प्रधानमंत्री को गालियां देते रहे, सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना पर ही संदेह किया, और भी कई ऐसे मौके आये जब इनके करे काम देशहित की जगह अपनी गन्दी वोटबैंक की राजनीति चमकाने की कोशिश ज्यादा रहे |
आज के सिध्दू से सबसे पहले तो मैं उनकी बाटला एनकाउंटर, इशरत एनकाउंटर, कन्हैया कुमार, उमर खालिद, एन एस जी सदस्यता आदि सभी मामलों पर नयी राय जानना चाहूंगा | और साथ ही इन सब मुद्दों पर कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी की जो राय हैं उस राय पर उनके क्या विचार हैं ये भी जानना चाहूंगा | इन सब मामलों में उनकी पुरानी जो राय थी वो न तो कांग्रेस की राय से मिलती है न ही आम आदमी पार्टी की राय से | अब यदि सिध्दू अपनी पुरानी राय पर कायम हैं तो फिर किस लॉजिक से उन्होंने खुद को इस बात के लिए तैयार किया कि वो कांग्रेस या आम आदमी पार्टी ज्वाइन करें ? और यदि अब उनकी राय बदल गयी हैं और इन मामलों पर उनके विचार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से मेल खाते हैं तो फिर मैं यही कहूंगा कि उनके अब तक के राष्ट्रभक्ति से भरे हुए भाषण सिर्फ भाजपा में अपना कद बढ़ने के लिए किये गए बोल वचन थे और वास्तविकता में वो सिर्फ अवसरवादी नेता ही थे | जहाँ बड़ा नाम और पद दिखा वहां चल दिए |
यदि सिध्दू भाजपा छोड़कर अपनी नयी पार्टी बना लेते या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ते तो उनको पसंद करने वाले लोग दुखी नहीं होते क्योंकि लोकतान्त्रिक ढांचे वाली किसी भी पार्टी में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं और यदि उचित प्रयासों के बाद भी बात न बने तो फिर उस पार्टी को छोड़ कर राष्ट्रहित में अपनी नयी पार्टी बना सकते हैं या फिर निर्दलीय लड़ सकते हैं | लेकिन अपनी पार्टी छोड़कर ऐसी किसी पार्टी को ज्वाइन करना जिस के विचार आपसे जरा भी मेल न खाते हों और कई मामलों में राष्ट्रवाद की जगह गन्दी राजनीति चमकाने के लिए राष्ट्रविरोध से भरे हुए हों, तो ये राजनीति नहीं बल्कि बड़े पद पाने के लालच में दिखाई गयी अवसरवादिता है |
अब सिध्दू जी राष्ट्रवाद छोड़कर कांग्रेस के परिवारवाद की राह पर चल ही चुके हैं तो फिर उनको अपने पुराने समर्थकों की तरफ से अब काफी विरोध का सामना करना पड़ेगा | कांग्रेस पार्टी के समर्थकों के रूप में उनको नए समर्थक भी मिलेंगे | पंजाब की जनता उनके इस बदलाव को कितना समर्थन देती है और कितना विरोध करती है यह तो पंजाब चुनाव के नतीजों से ही पता चलेगा |
(फोटो साभार – Hindustan Times)