पिछले कुछ महीनों में हमने देखा कि कभी अखिलेश यादव जी या कभी मुलायम सिंह जी कई बार अपने विधायकों, नेताओं एवं सरकारी अधिकारियों को ये बोल चुके हैं कि सपा की हार के जिम्मेदार वो लोग होंगे | हालाँकि एक बार भी अखिलेश जी ने यह नहीं कहा कि आज सपा सरकार की बुरी छवि और हालत के जिम्मेदार वो खुद भी हैं | हर बार इलज़ाम सामने बैठे नेताओं, विधायकों एवं सरकारी कर्मचारियों पर ही लगाया गया | इस का ताज़ा उदाहरण इस बार लखनऊ में शुक्रवार (१८ मार्च २०१६) को अखिलेश जी का सरकारी अधिकारियों से यही बात बोलना है |
आज उत्तर प्रदेश जंगलराज एवं कुशासन का गढ़ बन चुका है | आये दिन बढ़ते अपराध, भ्र्ष्टाचार एवं कानून व्यवस्था के चौपट हाल की खबरें उत्तर प्रदेश से आती ही रहतीं हैं | कई बार अपराध के आरोप सपा के नेताओं, विधायकों एवं मंत्रियों पर भी लगे | कई अनसुलझे बलात्कारों के केस, उत्तर प्रदेश पुलिस के डी एस पी की हत्या का आरोप सपा सरकार के एक मंत्री राजा भैया लगाया जाना, सपा नेता की चुनावी जीत की ख़ुशी में चलायी जा रहीं गोलियों से एक मासूम बच्चे की मौत, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर सदर से सपा विधायक जगराम पासवान के भाई द्वारा मामूली विवाद पर एक युवक की गोली मार कर हत्या कर देना आदि घटनाएं उत्तर प्रदेश में बढ़ते हुए कई अपराधों की एक छोटी सी झलकी मात्र हैं और इनमें से कई मामलों में तो सपा के किसी न किसी नेता या उनके परिवारजनों पर ही आरोप लगे हैं |
जब सरकार में शामिल लोगों पर ही अपराध में शामिल होने के आरोप लगने लगें तो फिर ऐसे प्रदेश में कोई कैसे अच्छी कानून व्यवस्था की उम्मीद कर सकता है ? मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी अपने इन नेताओं को काबू रखने में एवं उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को सँभालने में पूरी तरफ से असफल रहे हैं | पिछले लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में सपा की दुर्गत होने का बड़ा कारण यह भी था |
अब इन्ही सब कारणों से अखिलेश जी एवं मुलायम सिंह जी को अगले चुनावों में हार का डर सता रहा है | लेकिन लगता नहीं कि ये अपनी गलतियों से कुछ सीखे हैं क्योंकि ये अभी भी सपा की ख़राब छवि का जिम्मेदार खुद को नहीं मानते, बस आये दिन पार्टी के नेताओं, मंत्री या सरकारी अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यदि पार्टी हारी तो उस हार का जिम्मेदार ये नेता, मंत्री या सरकारी अधिकारी ही होंगे | इन्होने अभी तक स्वीकार नहीं किया है कि अपनी ही पार्टी के बेलगाम नेताओं को काबू में न रख पाना, प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था एवं बड़ता भ्रष्टाचार एवं जंगलराज आदि मुख्यमंत्री जी की असफलता का प्रमाण हैं |
खैर अब लगता नहीं कि सत्ता के आखिरी साल में ये ऐसा कोई चमत्कार कर पाएंगे जिस से कि जनता में इनकी छवि सुधर जाये | फ़िलहाल ऐसे किसी चमत्कार को करने की इनकी मंशा भी नहीं लग रही | जब सारा प्रदेश ही भगवान भरोसे चल रहा हो और मुख्यमंत्री, मंत्री एवं विधायक जनता की भलाई करने की कोशिश करते ही नहीं दिखाई दे रहे हों तो फिर चुनाव में जीत की उम्मीद भी कैसे की जा सकती है | यदि प्रदेश की स्थिति ऐसी ही बनी रही तो फिर सपा को अगले विधानसभा चुनाव में बहुत ही बुरी हार के लिए तैयार रहना चाहिए |