Tuesday, December 3, 2024
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पी. ओ. के. में सर्जिकल स्ट्राइक….सही नीति

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जब भी सीमा पर देश की सुरक्षा को खतरा हो अथवा देश के अंदर आतंकवादी कार्रवाही हो सीधी कार्रवाही देश की सेना एवं अन्य सुरक्षा बलों को करना होती है परंतु उचित व कड़े निर्णय सरकार को लेना होते हैं | सीमा सुरक्षा हो अथवा आतंरिक सुरक्षा हो दोनों विषय दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए | यह नीति चिरस्थायी होना आवश्यक है कि देश की सुरक्षा के विषय पर सरकार और सम्पूर्ण विपक्ष किन्तु परंतु के बिना एक साथ खड़े हों | विश्व के अधिकांश विकसित देशों की सुरक्षा नीति सदैव एक जैसी रहती है, सरकार किसी भी दल की हो |

पी. ओ. के. में हमारी ओर से सर्जिकल स्ट्राइक हुआ जिस पर सम्पूर्ण विपक्ष ने सरकार के निर्णय का समर्थन किया, आजादी के बाद यह सर्वाधिक सुखद अवसर है | ऐसा सदैव होना चाहिए सरकार किसी भी दल की हो | इतिहास के आईने में देखें तो आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया उस समय केंद्र में बैठी सरकार तथा जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह दोनों के निर्णय गलत थे परंतु विपक्ष के दवाब में सरकार झुकी और व्यवस्था में राजा हरि सिंह ने भी अपने राज्य का भारत में विलय किया परंतु देर से लिए गए इन दोनों निर्णयों का दुष्परिणाम आज तक देश भुगत रहा है | ठीक यही स्थिति सन १९६२ में चीन के आक्रमण के समय बनीं | सरकार सोती रही और चीन ने हमारे बहुत बड़े भाग पर कब्जा कर लिया | वामपंथियों के अलावा शेष विपक्ष के दवाब के बाद जवाबी कार्रवाही के लिए सेना भेजी गयी | तब तक देर भले ही हो गयी परंतु और अधिक भू भाग जाने से बच गया |

सन १९६५ में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री का निर्णय बहादुरी भरा था | हमारी सेनाओं ने अपना पराक्रम दिखाया और विपक्ष ने भी भरपूर साथ दिया | और पहली बार भारत एक सशक्त देश के रूप में उभर कर सामने आया | परंतु विश्व के चौधरियों को यह बात पसंद नहीं आयी और हमें जीता हुआ क्षेत्र तो छोड़ना पड़ा पर पी. ओ. के. नहीं मिला और साथ ही ताशकंद में शास्त्री जी को भी खोना पड़ा | इसके पश्चात भारतीय जनसंघ ने परमाणु बम बनाने की मांग जोर शोर से उठायी ताकि हम दुनिया के दवाब से बाहर आ सकें | इसी बीच पाकिस्तान में बड़ी राजनैतिक घटना घटी शेख मुजीबुर्रहमान, जो पूर्वी पाकिस्तान के निवासी थे, की आवामी लीग को चुनाव में बहुमत मिला परंतु उन्हें सरकार बनाने का अवसर नहीं दिया गया, तो उन्होंने बांग्लादेश की आजादी की मांग कर दी | शेख मुजीबुर्रहमान को बंदी बना लिया गया | अटल जी के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ ने बांग्लादेश की आजादी में सहयोग व मान्यता देने के लिए आंदोलन जोर शोर से चलाया | तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा जी सहमत हुईं और बांग्लादेश को मान्यता दी तथा आजादी की लड़ाई का सहयोग भी किया | पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया और परास्त भी हुआ तथा बांग्लादेश एक नया राष्ट्र बना | इस पूरे प्रकरण में पक्ष विपक्ष एक जुट रहा और परिणाम भी अच्छा आया |

स्व. इंदिरा जी परमाणु कार्यक्रम के लिए तैयार हो गयीं और कार्य शुरू भी कर दिया | दुनिया के चौधरियों को भनक लग गयी तो अमेरिका तथा अन्य देशों के दवाब में कार्यक्रम रोकना पड़ा | इस में इक्छाशक्ति का भी आभाव दिखा | अटल जी की सरकार के समय में दुनिया की बात तो दूर अपनी सरकार के साथी तथा विपक्ष को भी भनक नहीं लगी और परमाणु कार्यक्रम पूर्ण हुआ तथा पोखरण में परिक्षण भी हो गए | दुनिया ने प्रतिबन्ध लगाए और हमारे विपक्ष ने भी सरकार का साथ नहीं दिया | कांग्रेस ने कहा कि इस पर तो हमने ही काम शुरू किया था, अटल जी को क्या श्रेय ये तो वैज्ञानिकों ने किया | कुछ दल बोले देश में गरीबी है, यह धन गरीबों की दो वक़्त की रोटी व रोजगार पर खर्च होना चाहिए | ये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण अवसर था | यदि आज हमारे पास परमाणु शक्ति नहीं होती तथा सैन्य शक्ति नहीं बधाई जाती तो क्या सर्जिकल स्ट्राइक संभव था ? कारगिल युद्ध के समय भी विपक्ष की भूमिका गलत थी | एक और शर्मनाक घटना देश में घटी जब विमान अपहरण काण्ड हुआ | देश का मीडिया तथा सम्पूर्ण विपक्ष एक जुट होकर सरकार को घेरने तथा आलोचना करने में जुटा था | अपहरत नागरिकों के परिजनों का रोना धोना मीडिया पर खूब दिखाया गया | मसहूद अजहर को छोड़कर नागरिकों को बचाने का दवाब बनाया गया | सरकार दवाब में आयी आयी मसहूद अजहर को छोड़ा गया | विपक्ष को हमेशा हमेशा के लिए एन. डी. ए. सरकार पर छींटाकशी करने का एक मुद्दा मिल गया | पार्लियामेंट पर हमला, मुम्बई बमकांड, पठानकोट कांड और कई छोटे मोटे कांड होते रहे चूंकि सरकार और विपक्ष में एकता नहीं थी | सरकार या तो कमजोर पड़ गयी या फिर इक्छाशक्ति का अभाव रहा |

मोदी जी प्रधानमंत्री बने तो देश को उनसे सीमा सुरक्षा, आतंकवाद, अलगाववाद, सीमा पर रोज रोज फायरिंग इत्यादि को लेकर बड़ी उम्मीदें थीं | सीमा पर सैनिकों को खुली छूट मिल गयी और उसके परिणाम भी आने लगे | म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक का प्रयोग करके उसका अभ्यास भी कर लिया गया परंतु विपक्ष का इन दोनों विषयों पर समर्थन नहीं मिला | इसी बीच पठानकोट कांड हो गया | सरकार और सैन्य बल की आलोचना विपक्ष ने भी की और मीडिया ने भी की | प्रधानमंत्री जी की भी खिल्ली उड़ाई गयी |  उरई हमले में भी यही हुआ | जबकि सरकार और विपक्ष दोनों को एक साथ खड़ा होना चाहिए था | इस मुद्दे पर पक्ष व विपक्ष जैसे दो धड़े नहीं दिखना चाहिए थे | खैर सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक का निर्णय लिया, वीर सैनिकों ने अपना कार्य बखूबी किया | इसमें से सुखद परिणाम यह आया कि पहली बार गैर-भाजपाई विपक्ष ने भी सरकार का पूरी तरह से समर्थन किया | सरकार ने भी पूरे विपक्ष को बुलाकर सम्पूर्ण विवरण दिया और विश्वाश में लिया | आवश्यकता इस बात की है कि ऐसी नीति, कार्यप्रणाली, परस्पर समझ व एकजुटता बानी रहे क्योंकि निकट भविष्य में देश को बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरना होगा | पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर भविष्य में होने वाले युद्ध अभी से दस्तक देने लगे हैं |

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Om Prakash Shrivastava
Om Prakash Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
M.A., L.L.B., Advocate, Notary Public Lalitpur (U.P.). He has interest in social service since his student life. He was active in student politics. He was arrested and sent to Jail for 1 month and 10 days for giving a speech in Lucknow University against the cancellation of recognition of Students Unions in India. He was president of Student Union of Bundelkhand College Jhansi (U.P.). He was in jail for 21 days for his participation in J.P. movement before emergency. He leaded a student group for a protest against emergency in India and was in jail for 5 months and 21 days in D.I.R. in Jhansi (U.P.) for this. That’s why U.P. Government has declared him ‘Loktantra Senani’. He is a National Executive Member of 'Loktantra Rakshak Senani Mahasangh'. He is Convener of ‘Lok Jagrati Manch’ and ‘Sarthakchintan.com’. He is an active member of BJP. His many articles have been published in different newspapers.
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