कुछ दिन पहले मोदी जी ने पी. ओ. के. एवं बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किये जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन एवं अत्याचारों का मुद्दा उठाया था | इस बयान के बाद ही काफी हलचल शुरू हो गयी | बलूचिस्तान में मोदी जी की फोटो हाथ में लेकर लोगों ने पाकिस्तान विरोधी नारेबाजी की तथा पी. ओ. के. में भी भारत के समर्थन में तथा पाकिस्तान के विरोध में नारेबाजी हुई | अमेरिका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने भी इस मुद्दे पर मोदी जी का समर्थन एवं पाकिस्तान का विरोध किया | इस के बाद भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती कर दी जिसका चीन ने विरोध किया लेकिन भारत ने चीन के इस विरोध पर स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि यह भारत का आतंरिक मामला है |
पाकिस्तान के विरोध में पिछले कुछ दिनों से जिस तरीके से मोदी सरकार का आक्रामक रुख लगातार बढ़ता ही जा रहा है उसे देखकर यह तो साफ़ है कि मौजूद सरकार पी. ओ. के. और बलूचिस्तान की आज़ादी में दिलचस्पी ले रही है | बिना किसी तैयारी या प्लान के प्रधानमंत्री मोदी जी १५ अगस्त के भाषण में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मीडिया, कई देशों के राजदूतों व अन्य प्रतिनिधियों के सामने खुले आम यह मुद्दा नहीं उठाते | प्रधानमंत्री मोदी जी के इस भाषण के बाद भाजपा के कुछ केंद्रीय मंत्रियों, बड़े नेताओं एवं संघ ने भी बलूचिस्तान एवं पी. ओ. के. को आज़ादी दिलाने की बात कह दी | एक न्यूज़ चैनल पर इस मुद्दे पर हो रही बहस में संघ के विचारक राकेश सिन्हा जी ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगले स्वतंत्रता दिवस के पहले ये सभी हिस्से पाकिस्तान से आज़ाद हो चुके होंगे और भारत के साथ १५ अगस्त २०१७ पर स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे |
इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत पाकिस्तान का यदि पी. ओ. के. एवं बलूचिस्तान मुद्दे पर कभी आर पार का युद्ध हुआ तो चीन भारत पर दवाब डालने की कोशिश कर सकता है | मोदी सरकार द्वारा भारत – चीन सीमा पर लगातार सड़क निर्माण करना, रेलवे लाइन बिछाना एवं अब ब्रह्मोस जैसी मिसाइल तैनात करना इस बात के संकेत देता है कि मोदी सरकार लगातार भारत – चीन सीमा पर भारत की मजबूती बड़ा रही है और इस सब से चीन में जो बेचैनी बढ़ रही है उस से यह भी साफ़ है कि मोदी सरकार सही दिशा में काम कर रही है | मोदी सरकार द्वारा भारत – चीन सीमा पर भारत को मजबूत बनाने का उद्देश्य चीन की दादागिरी खत्म करना ही है |
पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति वाला देश है लेकिन पाकिस्तान में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो कभी भारत पर परमाणु हमला करे | लेकिन भारत पाकिस्तान की लड़ाई में यदि पाकिस्तान कमजोर होता है तो इस बात का खतरा जरूर है कि पाकिस्तान के इन परमाणु हथियारों पर कोई आतंकी संगठन कब्ज़ा न कर ले | यदि किसी भी आतंकी संगठन के हाथ ऐसे हथियार लग गए तो इस का परिणाम बहुत ही खतरनाक हो सकता है | लेकिन यदि भारत सरकार ने यदि ऐसे किसी युद्ध की तैयारी का फैसला कर लिया है तो जरूर ही इस खतरे का भी कोई इलाज़ ढून्ढ ही लिया होगा | अमेरिका जिस तरह से पिछले कुछ समय से पाकिस्तानी परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर कर रहा है और अमेरिका की विपक्षी पार्टिया भी इस बात पर जोर दे रहीं हैं कि पाकिस्तान के ऐसे किसी खतरे की स्थिति में होने पर अमेरिका भारत को साथ लेकर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अपनी सुरक्षा में ले सकता है | एक समय का पाकिस्तान का मित्र देश अमेरिका जिस तरह से एक के बाद एक मुद्दों पर पाकिस्तान का विरोध और भारत का समर्थन कर रहा है यह मोदी सरकार की विदेश नीति की एक बहुत बड़ी जीत है |
फिलहाल अब तक बलूचिस्तान और पी. ओ. के. मुद्दे पर मोदी जी, केंद्र सरकार, वरिष्ठ भाजपा नेताओं एवं संघ के जो तेवर हैं वह देखकर तो यही लगता है कि मोदी सरकार अब पाकिस्तान से एक आर पार के युद्ध का पूरा निर्णय ले चुकी है और इस के लिए जो भी तैयारियां शेष रह गयीं हैं उन पर तेज़ी से काम हो रहा है | हो सकता है जल्द ही पी. ओ. के. और बलूचिस्तान को पाकिस्तान से आज़ादी मिल जाये | बलूचिस्तान एवं पी. ओ. के. की जनता को भी इस बात का अहसास हो चूका है और इसीलिए वो निडर होकर खुले आम आयेदिन पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन कर रही है |