Thursday, November 14, 2024
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नोटबंदी से ममता की परेशानी एवं प. बंगाल की राजनीति के रहस्य

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नोटबंदी से सबसे अधिक केजरीवाल, मायावती, मुलायम सिंह, राहुल गाँधी एवं ममता बेनर्जी परेशान हैं | बाकी लोगों की कहानी और सच्चाई लोगों को पता है | मुलायम सिंह गहरे सदमे में अंदर की बात बोल भी गए कि जनता को बिलकुल भी मौका नहीं दिया, कुछ समय दिया जाना चाहिए था | खैर यह लोग ही क्या काले धन को रखने वाले सभी उद्योगपति, व्यापारी, अधिकारी – कर्मचारी, बड़े ठेकेदार, खनन माफिया, रियल स्टेट के कारोबारी, आतंकवादी, नेताओं इत्यादि सभी को समय की दरकार है ताकि अपने काले धन को सफेद कर सकें और ठिकाने लगा सकें | इन सभी का चीखना – चिल्लाना, विरोध प्रदर्शन करना, नोटबंदी के निर्णय को वापस लेने की मांग करना तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भी इसके विरोध में जुटना स्वाभाविक है | परंतु इस सबके बीच ममता बेनर्जी की सबसे अधिक छटपटाहट व आक्रोश आश्चर्यजनक है क्योंकि देश के जनमानस में उनकी छवि ईमानदार नेता की है | परंतु उन्होंने स्वयं सिद्ध कर दिया कि अंदर की बात कुछ और है |

ममता बेनर्जी के राज में शारदा चिटफण्ड घोटाला सामने आया जिसमें इन्ही के नजदीकी लोग लिप्त पाए गए जिन्हें वह बचाती नजर आयीं | इस घोटाले के छींटे पूरी सरकार पर पड़े परंतु विधानसभा चुनाव में भारी जीत ने कई अपराध और राज दबा दिए | क्योंकि जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है परंतु जैसा दिखता वह न हर जगह होता है और न ही हर बार होता है | पश्चिमी बंगाल की राजनीति के भी कई रहस्य हैं | वहां लंबे समय तक वामपंथी प्रभावशाली रहे और फिर एक समय ऐसा भी आया जब ज्योति बसु के नेतृत्व में उनकी सरकार भी आयी और लगातार पच्चीस वर्षों तक रही | ज्योति बसु ईमानदार व्यक्ति भी थे और उनकी कार्यप्रणाली में कई खूबियाँ भी थीं | परंतु माओवादी आतंकवाद जिसे छद्मनाम नक्सलवाद दिया गया, जो कांग्रेस के राज में शुरू हुआ, वह पश्चिमी बंगाल में वामपंथी राज में खूब पंप और उसकी जड़ें भी गहरी हो गयीं | पश्चिमी बंगाल के जरिये देश के कई हिस्सों बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश इत्यादि हिस्सों में भी इस माओवादी संगठन ने अपना प्रभाव बनाया | इसमें वामपंथियों की इस सरकार संरक्षण वामपंथी देश चीन के प्रति नरम रवैया के कारण रहा | प. बंगाल के जनमानस का रवैया भी कुछ इसी कारण ऐसा ही रहा |

प. बंगाल का दूसरा अहम रहस्य है वहाँ प्रभाव रखने वाले सभी राजनैतिक दलों का सेकुलरिज्म का पैरोकार होना | प. बगाल में मुस्लिम आबादी बहुत है, ईसाई आबादी भी है | बांग्लादेश की सीमाएं भी लगीं हुईं हैं | बिहार में भी वामपंथियों व समाजवादियों का प्रभाव चला आ रहा है | वामपंथी वैसे तो अपने आप को धर्म विरोधी कहते हैं परंतु उनका धर्म विरोध सिर्फ हिन्दू धर्म तक ही सीमित है | मुस्लिमों की बड़ी आबादी तथा उनके धर्म के प्रति कट्टरवादी स्वाभाव वामपंथियों के धर्म विरोध की हवा निकाल चुका है बल्कि तुष्टिकरण के लिए विवश कर दिया | कांग्रेस की नीति तो जग जाहिर है | इसका परिणाम यह हुआ कि बाग्लादेशी घुसपैठ, बांग्लादेश से आने वाला आतंकवाद व तस्करी, बाग्लादेश के रास्ते से चीन व पाकिस्तान द्वारा भेजी जाने वाली नकली मुद्रा, हथियार व आतंकवाद प. बंगाल में खूब पनपा और गहरी जड़ें जमा लीं | पहले इस प्रकार के दोनों मिशन से जुड़े हुए लोग वामपंथियों की सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा करते रहे और अब वामपंथियों को छोड़कर ममता बेनर्जी का साथ पकड़ लिया | ईसाई मिशनरीज का भी ऐसा ही रवैया रहा | इसी कारण वामपंथियों की सरकार गयी और ममता बेनर्जी की सरकार आ गयी | इन तीनों तबकों को ममता जी के रूप में बेहद मजबूत संरक्षक मिल गया | ज्योति बसु व ममता जी की ईमानदार छवि के चलते जमीनी सच्चाई पर गौर नहीं किया गया |

लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन के आधार पर गत विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रभावशाली एंट्री की उम्मीद सम्भावना नजर आयी तथा कांग्रेस – वामपंथी गठबंधन से भी ममता बेनर्जी को कड़ी चुनौती नजर आयी तो ये तीनो तबके ममता जी के साथ पूरी शक्ति के साथ खड़े हो गए | इनकी दहशत भी बहुत है तथा दखल भी बहुत है जिसके जरिये ममता जी को भारी बहुमत मिल गया | इन सभी सहयोगियों को खुश करने के लिए भारी धन की आवश्यकता रहती है | धन आसमान से नहीं बरसता बल्कि अर्जित करना पड़ता है और इसी से सहयोगियों की पूर्ति संभव हो पाती है |

अर्थात प. बंगाल में काला धन बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है | नोटबंदी से काले धन व नकली मुद्रा दोनों पर बड़ी चोट पड़ी है | जिस कारण ममता बेनर्जी और उनके लोग बुरी तरह आहत हैं | इसी कारण ममता बेनर्जी दवाब में हैं | यदि इसका तोड़ नहीं निकाला गया तो ममता जी के पैर उखड़ने लगेंगे और अगले चुनाव में सूपड़ा साफ भी हो सकता है | जिनके सहयोग से ममता बेनर्जी जीतती हैं वही उनके विरोधी हो जायेंगे | इसीकारण ममता बेनर्जी सबसे अधिक परेशान हैं | कुछ भी हो इस नोटबंदी ने कई चेहरों के नकाब उतार दिए |

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Om Prakash Shrivastava
Om Prakash Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
M.A., L.L.B., Advocate, Notary Public Lalitpur (U.P.). He has interest in social service since his student life. He was active in student politics. He was arrested and sent to Jail for 1 month and 10 days for giving a speech in Lucknow University against the cancellation of recognition of Students Unions in India. He was president of Student Union of Bundelkhand College Jhansi (U.P.). He was in jail for 21 days for his participation in J.P. movement before emergency. He leaded a student group for a protest against emergency in India and was in jail for 5 months and 21 days in D.I.R. in Jhansi (U.P.) for this. That’s why U.P. Government has declared him ‘Loktantra Senani’. He is a National Executive Member of 'Loktantra Rakshak Senani Mahasangh'. He is Convener of ‘Lok Jagrati Manch’ and ‘Sarthakchintan.com’. He is an active member of BJP. His many articles have been published in different newspapers.
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