बिहार में नयी सरकार के गठन के बाद ही जंगलराज के कई समाचार आने लगे | बाहुबली विधायकों के राज में जंगलराज की जगह सुशासन की उम्मीद करना बेवकूफी ही होगी | हत्या एवं अन्य कई आपराधिक मामलों के आरोपी बाहुबली नेता सहाबुद्दीन की जमानत पर रिहाई बिहार के जनता को खौफ से भरा हुआ एक बड़ा झटका है | सहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने के बाद बिहार में क्या होगा ये सभी अच्छे से जानते हैं |
बिहार में हुए विधानसभा को चुनावों को महागठबंधन ने अगड़ा बनाम पिछड़ा बनाकर एक बड़ी जीत हासिल की | अगड़ा पिछड़ा के इस जुमले में एवं जातिवाद की चाहत में अंधी होकर बिहार की जनता वोट देते समय यह भी भूल गयी कि आर जे डी की पिछली सरकारों के समय बिहार में क्या हुआ था | एक समय के सुशासन बाबू कहे जाने वाले नितीश कुमार भी सत्ता के लिए सब कुछ भुलाकर आर जे डी के साथ हो लिए | कुल मिलाकर नितीश कुमार एवं बिहार की जनता ने एक ऐसी बड़ी गलती कर डाली जिसका हर्जाना अब पूरा बिहार सरकार के बचे हुए कार्यकाल के खत्म होने तक भुगतेगा |
नितीश कुमार जो कि एक समय सुशासन के लिए प्रसिद्द थे वो अब कुछ ही समय में जंगलराज का चेहरा बन गए हैं | कभी कभी मौजूद सरकार में उनकी स्थिति ठीक वैसी ही लगती है जैसी कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पिछली यू पी ऐ सरकार में थी | यू पी ऐ सरकार में प्रधानमंत्री होने के बावजूद मनमोहन सिंह पर आरोप लगते रहे कि सत्ता की चाबी उनके हाथ में नहीं बल्कि सोनिया गाँधी के हाथ में है और वो सोनिया गाँधी के हाथों की कठपुतली हैं | अब वैसा ही कुछ बिहार में दिखा रहा है जहाँ सत्ता की चाबी लालू प्रसाद यादव एवं उनकी पार्टी के बाहुबली नेताओं के हाथ में दिख रही है और नितीश कुमार बेबस कठपुतली नजर आ रहे हैं | अब न तो नितीश कुमार के भाषणों में वो जंगलराज विरोधी तेवर दिखाई देते हैं और न ही ऐसी कोई बात जिस से कि लगे कि वो राज्य सरकार के मुखिया हैं |
नितीश कुमार की राजनैतिक महत्वाकांक्षा एवं बिहार की जनता के एक बड़े हिस्से की जातिवादी सोच ने आज बिहार को अपने उस जंगलराज के दौर में वापस भेज दिया है | एक समय विकास एवं सुशासन की सीढ़ियां बहुत तेज़ी से चढ़ रहा बिहार आज कुशासन एवं जंगलराज के खौफ में सिसक रहा है | लेकिन पता नहीं नितीश कुमार एवं बिहार की जनता को अपनी गलती का अब तक अहसास हुआ भी है या नहीं |
इस तरह जंगलराज वाली सरकार के मुखिया बने रहकर नितीश कुमार अपने प्रधानमंत्री बनने के सपने को तो भूल ही जाएं क्योंकि हो सकता है कि लोकसभा चुनाव में भी वो जातिवाद के नाम पर फिर से जीत जाएं लेकिन अन्य प्रदेशों में उनका समर्थन करने वाली पार्टियां बहुत बुरी तरह हारेंगी | अन्य प्रदेशों की जनता के दिमाग में यह प्रश्न तो आएगा ही कि आज इन बाहुबलियों के हाथ में सिर्फ बिहार है लेकिन जब इनके हाथ में पूरा देश आ जायेगा तो क्या होगा | नितीश कुमार को यदि अपनी गलती का अहसास हो गया है तो उनको तुरंत इस गठबंधन को तोड़ देना चाहिए | लेकिन मुझे लगता नहीं कि नितीश कुमार अगले लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के पहले इस गठबंधन को तोड़ेंगे |
बिहार की जनता की सोच बदली है या नहीं वो जानने के लिए हमें अगले लोकसभा चुनाव का इंतज़ार करना होगा | यदि लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन की ऐसी ही बड़ी जीत होती है तो तो फिर मैं मान लूंगा कि बिहार की जनता के इस बड़े हिस्से को सिर्फ जातिवाद की ही चाहत है और इस चाहत में वो अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकार में एवं जंगलराज के खौफ में डालने के लिए तैयार हैं |