नितीश कुमार जी ने जे एन यू में बनी जांच समिति द्वारा दोषी छात्रों के निलंबन की सिफारिश का विरोध किया और साथ ही साथ जे एन यू देशद्रोह मामले में छात्रों पर की गयी कार्रवाही को अभिव्यक्ति की आज़ादी छीनने वाला कदम बताया |
में तो यही कहूँगा कि मुख्यमंत्री जी बिहार में आये दिन बड़ रहे जंगलराज पर भी तो कुछ बोलिए | आये दिन बिहार से हत्या, फिरौती, लूटपाट आदि अपराधों की खबरें आ रहीं हैं | अभी कुछ ही दिन पहले वहाँ दलितों के १२५ घर जल दिए गए | नितीश जी बिहार के मुख्यमंत्री हैं तो पहली जिम्मेदारी उनकी बिहार की समस्याओं के प्रति बनती है | लकिन वह बिहार की समस्याओं की जगह दिल्ली और जे एन यू में ही व्यस्त हैं |
बिहार में नयी सरकार बनाने के बाद से नितीश जी की सरकार में भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं | कई मामलों में लालू जी के सामने नितीश जी ठीक उसी तरह दिखाई दे रहे हैं जिस तरह से यू पी ऐ सरकार में सोनिया गांधी जी के सामने मनमोहन सिंह जी दिखाई देते थे |
नितीश जी की छवि बिहार में एक विकासवादी नेता की थी लेकिन सिर्फ मुख्यमंत्री बने रहने के लिए वो लगातार जिस तरह से जंगलराज फ़ैलाने वालों के सामने चुप हैं वह उनकी छवि को बहुत धक्का पहुंचा रहा है | इनको देशद्रोही नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाही करना अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन दिखाई देता है | हम जानते हैं कि बिहार में अब अगले चुनाव में तो बहुत ज्यादा समय है और उनकी बेफिक्री की वजह भी यही है | लोकसभा में किसी तीसरे या चौथे मोर्चे में नितीश जी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर स्वीकारा जायेगा या नहीं यह पता चलने में अभी बहुत समय है | लेकिन कहीं दिल्ली की सत्ता सँभालने की सोच में बिहार में अब तक कमाई हुई इज़्ज़त और नाम ख़राब न हो जाये |
खैर नितीश जी काफी पुराने और अनुभवी नेता हैं | शायद समय रहते उनको सच्चाई का अहसास हो और वो अपने पुराने रूप में वापस आकर बिहार की भलाई के लिए काम करें और गुंडाराज खत्म करें | यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो भले ही बिहार वो जातीय समीकरण की वजह से वापस अगले चुनाव में भी जीत जाएं लेकिन प्रधानमंत्री पद का सपना भूल ही जाएं | बिहार में तेज़ी से फैलता गुंडाराज अगले चुनावों तक इतना ज्यादा बड़ चुका होगा कि बाकि प्रदेशों की जनता की हिम्मत ही नहीं होगी आप को प्रधानमंत्री पद के लिए वोट देने की |