हमारे देश तथा दुनिया में कुछ सरफिरे लोग नेताओं पर जूता चप्पल फेंक कर अपना विरोध व गुस्सा जाहिर कर देते हैं | नेता उन्हें माफ़ भी कर देते हैं | टीम केजरीवाल पर तो आरोप है कि वह स्वयं ही अपने ऊपर हाईलाइट होने की मंशा से स्याही आदि फिकवा लेते हैं | सिविल सोसाइटी एवं आम आदमी पार्टी ने संसद व विधान मण्डल की मर्यादा और अधिकारों को ठेंगा दिखाते हुए एक नई संस्कृति लाने की कोशिश की कि फैसले सड़कों पर होंगे तथा सभाएं करके व जनता से उनकी राय लेकर कानून व योजनाएं बनेंगी | राजनीति शास्त्र के विद्वानों का कथन है कि जब प्रजातंत्र में विकृति आती है तो वह भीड़तंत्र में परिवर्तित हो जाता है | उपरोक्त नई संस्कृति हमें भीड़तंत्र की ओर ले जाने का प्रयत्न है जिसके परिणाम बहुत ही भयानक और आम जनता को घातक व पीड़ादायक होंगे क्योंकि प्रजातंत्र कमजोर व विकृत होने का एक ही परिणाम है तानाशाही और वह भी सैनिक शासन की | हमने सैनिक शासन की तानाशाही पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, इराक में देखी | अफगानिस्तान में कुछ बदले हुए रूप में देखी और अभी बलूचिस्तान व गुलाम कश्मीर में अप्रत्यक्ष सैनिक शासन और उसकी मनमानी अर्थात क्रूर तानाशाही चल रही है | क्या भारतीय जनमानस ऐसा शासन अपने देश में चाहेगा ? यदि नहीं तो इस संस्कृति के पुरोधाओं का सभी प्रकार से बहिस्कार करना होगा | ऐसे लोगों को संसद, विधानसभाओं, स्थानीय निकायों तथा पंचायत के चुनावों में बुरी तरह पराजित करना होगा | ऐसा न हो कि जागने में इतनी देर हो जाये कि मर्ज लाइलाज हो जाये |
सरफिरों की बात छोड़िये राजनैतिक पार्टियों और उनके जिम्मेदार नेता अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते | बिहार के मंत्री जलील मस्तान ने बकायदा जनसभा में मंच पर प्रधानमंत्री का चित्र लगाकर उन्हें डाकू, नक्सली, आतंकवादी कहकर उनके चित्र पर जूते – चप्पल मारने को भीड़ से आह्वान किया | कुछ लोगों ने यह कारनामा करके भी दिखाया | मुख्यमंत्री नितिश कुमार ऐसा नहीं करने की सलाह देकर चुप हो गए | लालू प्रसाद ने प्रधानमंत्री के विरुद्ध अपशब्दों का प्रयोग करके अप्रत्यक्ष रूप से जलील मस्तान की पीठ ठोकी | कांग्रेस, सपा, बसपा के मंच से ऐसे आचरण होते रहते हैं | कुछ भाजपा नेता मर्यादा के विरुद्ध चले जाते हैं जिनमें से उत्तर प्रदेश के एक युवा नेता को भाजपा ने पार्टी से निलंबित भी किया था | अपने मंत्री जलील मस्तान की हरकत पर कांग्रेस पार्टी ठंडा पानी डालती नजर आ रही है | यदि इस घटना से प्रेरणा लेकर सभी पार्टियों के कुछ घटिया सोच व आचरण वाले नेता आये दिन अपनी विरोधी पार्टियों के नेताओं का इसी तरह मंच पर पुतला खड़ा करके तथा उसके मुंह फोटो चिपका कर जूता – चप्पल मारो कार्यक्रम चलाना शुरू कर देंगे तो जो परिणाम आएंगे वह शर्मनाक तो होंगे ही साथ ही लोकतंत्र को कमजोर करके भीड़तंत्र व सैनिक शासन की ओर धकेलने वाले होंगे |
कभी इस देश के नेता हमारे आदर्श होते थे | लगभग सभी पार्टियों में होड़ रहती थी कि अच्छे आचरण वाले लोगों को जिला, प्रदेश व देश में नेता के रूप में पेश किया जाये | आवश्यकतानुसार उनकी छवि को निखारने व श्रेष्ठ घोषित करने की योजनायें व कार्यक्रम चलते थे | संसद व विधानसभा में अच्छी व लंबी बहसें होती थीं | अच्छे वक्ता और नेता जनता की आँखों के तारे होते थे, उनकी बड़ी बड़ी भीड़ वाली सभायें होती थीं | जनता स्वयं उन्हें देखने व सुनने को आती थी | आज की भांति वाहनों से अथवा भाड़े पर भीड़ जुटाना नहीं होता था | पहले तो इतने वाहन भी नहीं होते थे | अच्छे लोग राजनीति में वर्तमान वातावरण के कारण आना नहीं चाहते और जो हैं भी उनमें से कुछ तो स्वयं दुखी होकर राजनीति से दूर हो रहे हैं और जो रहना चाहते हैं उन्हें भांति भांति के प्रयत्नों से बाहर किया जा रहा है | इसी कारण सभी पार्टियों के नेताओं से अपेक्षा है कि अच्छे आचरण व योग्यता को महत्व दिया जाये | एक दूसरे का सम्मान करना सीखें | वैचारिक व मर्यादित टिप्पणियों का चलन हो | आरोप भी लगाये जायें तो शब्दों की मर्यादा हो | ऐसा करके ही आप लोकतंत्र की रक्षा कर सकते हैं |
रही बात जलील मस्तान की तो उसे तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए | बिहार के कुछ भाजपा नेता जोश व आक्रोश दिखा रहे हैं | अन्य प्रान्तों में भाजपा नेताओं को शायद यह घटना छोटी व सामान्य लगती होगी | उत्तर प्रदेश की भाजपा की तो चर्चा करना ही व्यर्थ है क्योंकि यहाँ तो सर्वदलीय तथा सुविधाभोगी लोगों का पार्टी पर कब्जा हो गया है | जब मोदी जी व पार्टी सत्ता में रहेगी वह लोग पूरी तरह सत्ता दोहन करेंगे और सत्ता जाने लगेगी तो कुछ लोग बड़ी व लंबी छलांगें लगाकर, कुछ लोग खरगोश की भांति फुदक फुदक कर, कुछ अजगर की भांति धीरे धीरे रेंगकर ही सही चलती गाड़ी में सवार हो जायेंगे | जो आज भाजपा और भाजपा नेताओं का गुणगान करके जुड़े हुए हैं वही बड़े बड़े और घटिया आरोप लगाते नजर आएंगे | मोदी जी की फोटो पर जूता – चप्पल मारने के कार्यक्रम से इन सर्वदलीय व टूरिस्टों तथा पेइंग गेस्टों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता |