मोदी जी ने टाइम्स नाउ चैनल पर एक इंटरव्यू क्या दिया पूरे देश की ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और चीन में भी खलबली मच गयी | सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि चीन एवं पाकिस्तान से भी इस इंटरव्यू पर प्रतिक्रियाएं आने लगीं |
इस इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया देते हुए कपिल सिब्बल ने यहाँ तक कह दिया कि मोदी जी को कभी हमारे पत्रकारों को भी सवाल पूछने का मौका देना चाहिए | हमारे पत्रकार ? खैर, कपिल सिब्बल यह कहते या न कहते, इस देश में कुछ बिके हुए पत्रकारों एवं न्यूज़ एजेंसियों के बारे में सभी को अच्छे से पता है | लेकिन यहाँ शायद जाने अनजाने में कपिल सिब्बल कांग्रेस के पत्रकारों का जिक्र कर गए |
अरविन्द केजरीवाल को भी इस इंटरव्यू से शिकायत है | आखिर किसी न्यूज़ चैनल की इतनी हिम्मत कैसे हो गयी कि जिस व्यक्ति को अरविन्द केजरीवाल दिन रात गालियां देते हैं उसे वो इंटरव्यू के लिए बुलाए ? इस इंटरव्यू का विरोध करते समय अरविन्द केजरीवाल अपने पुराने इंटरव्यू भूल गए | इसी न्यूज़ चैनल ने उनको भी एक बार इसी शो में इंटरव्यू के लिए बुलाया था | तब तो उनको कुछ गलत नहीं लगा था | आज तक का वो क्रन्तिकारी इंटरव्यू तो सभी को आज भी याद है | आशुतोष जो कि आज उनके नेता हैं, पहले पत्रकार ही थे | और भी कुछ पत्रकार हैं जो कि अब आम आदमी पार्टी के सदस्य हैं | इन पत्रकारों ने आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से पार्टी ज्वाइन करने के बीच में आम आदमी पार्टी को लेकर जो भी रिपोर्ट दिखाईं उन पर अब हम क्यों न शक करें ?
और भी कई अन्य मोदी विरोधियों ने इस इंटरव्यू पर काफी सवाल उठाये | टाइम्स नाउ देखने वाले लोग जानते हैं कि अर्नब आमतौर पार काफी जोर से ऊंची आवाज में बोलते हैं लेकिन वो मोदी जी से काफी शांति एवं इज़्ज़त के साथ बात कर रहे थे | इस पर भी कुछ लोग यह कह रहे थे कि अर्नब इतने शांत होकर मोदी जी क्यों बात कर रहे थे | अब ये लोग मुझे बताएं कि क्या ये लोग यह चाहते हैं कि कोई पत्रकार देश के प्रधानमंत्री से चिल्ला चिल्ला कर ऊंची आवाज में बात करे ? मुझे तो नहीं लगता कि किसी भी पत्रकार को इस तरह की छूट होनी चाहिए कि वो देश के प्रधानमंत्री के साथ चिल्ला चिल्ला कर ऊंची आवाज में बात करे |
मुझे इन प्रतिक्रियाओं पर जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ | मोदी जी के विरोधी उन के हर एक कदम का विरोध करते ही हैं | वैसे तो राजनीति में विपक्ष की भूमिका होती है कि सरकार के कामों पर नज़र रखें, सही कामों का समर्थन करें एवं गलत कामों का विरोध करें | लेकिन मौजूदा विपक्ष ने विपक्ष की भूमिका ही बदल के रख दी है | मौजूदा विपक्ष के हिसाब से तो शायद अब विपक्ष मतलब सरकार का विरोध ही है, भले ही सरकार कोई अच्छा कदम ही क्यों न उठाये | जी एस टी बिल का अब तक पास न होना इसी का उदाहरण है |
खैर, बेहतर होगा कि विपक्षी दल सुधर जाएं | कहीं जनता भड़क गयी तो कहीं ऐसा न हो कि अगली लोकसभा में विपक्ष के सांसदों की गिनती और भी कम हो जाये |