अरविन्द केजरीवाल राजनीति में आते ही जनता को बहुत बड़े बदलाव का सपना दिखाया था | भ्रष्टाचार मुक्त शासन, भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्यवाही, महिला सुरक्षा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को कई मुफ्त और कई सस्ती सुविधाओं के ऑफर, जनलोकपाल इत्यादि | चुनावों के पहले वो जनता को यह भी समझाते नजर आते थे कि ये सारे वादे पूरे किये जाने संभव हैं और वो जरूर ये वादे पूरे करेंगे | दिल्ली की जनता ने उनके वादों पर भरोसा भी किया और उन्हें दोनों विधानसभा चुनावों में उम्मीद से कहीं ज्यादा समर्थन दिया |
लेकिन यहाँ जीत के बाद एक नयी बात सामने आयी | लगभग हर एक बड़े वादे को पूरा करने में असफल होने के बाद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी द्वारा यही कहा गया कि हम तो काम करना चाहते हैं लेकिन मोदी जी काम नहीं करने दे रहे | भ्रस्टाचार मुक्त शासन और महिला सुरक्षा का तो यह हाल हुआ कि इनके अपने मंत्रियों और नेताओं पर ही कई गंभीर आरोप लग गए | न तो यह पता चल पा रहा है कि जनलोकपाल बिल कहाँ हैं और न ही यह पता चल रहा है कि शीला दिक्षित के खिलाफ सबूत वाली फाइल कहाँ गयी | महिला सुरक्षा की तो खैर बात ही क्या करनी जब इनके अपने नेता ही राशन कार्ड बनवाते हुए पकडे जाते हैं | आम आदमी होने का नारा भी उसी दिन खत्म हो गया था जब आम आदमी पार्टी के विधायकों ने अपनी तनख्वाह कई गुना बढ़ाने का फैसला कर लिया | खैर अब दिल्ली की स्थिति तो यही है कि अब केजरीवाल अपने किये वादे पूरे करें न करें लेकिन उनके पास विधायक इतने हैं कि वो आराम से अपना कार्यकाल पूरा करेंगे |
अब दिल्ली में एक बार फिर से चुनाव का समय है | इस बार MCD के चुनाव होने हैं | सभी राजनैतिक दल अपने अपने वादे करेंगे ही | आम आदमी पार्टी भी मैदान में आ गयी और इनके मुफ्त सुविधाओं के वादे फिर से होने लगे | हाउस टैक्स खत्म करने जैसे वादे भी आ गए जो कि फिर से “मोदी जी काम नहीं करने दे रहे” के बहाने की भेंट चढ़ेंगे | यहाँ अब मैं अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से एक ही मांग करूँगा कि जिस तरह से म्यूच्यूअल फण्ड के विज्ञापन में पहले म्यूच्यूअल फण्ड से होने वाले बड़े बड़े फायदों के वादे किये जाते हैं लेकिन विज्ञापन के अंत में म्यूच्यूअल फण्ड से सम्बंधित रिस्क के बारे में बता देते हैं, ठीक उसी तरह इस बार वो अपने भाषणों एवं विज्ञापन के अंत में जनता को वादे से प्रभावित होकर आम आदमी पार्टी को वोट देने से सम्बंधित इस रिस्क के बारे में जरूर बतायें कि यह वादा “मोदी जी काम नहीं करने दे रहे” बहाने की भेंट चढ़ सकता है अतः सोच समझकर वोट दें | जनता को इस रिस्क के बारे में पता होना चाहिए कि भाषण और विज्ञापन का यह मतलब नहीं है कि वादे पूरे भी होंगे, कुछ वादे मोदी जी पर दोषारोपण करके ठन्डे बस्ते में भी डाल दिए जायेंगे |