Friday, November 22, 2024
HomePoliticsमाओवाद का छद्म नाम नक्सलवाद क्यों ?

माओवाद का छद्म नाम नक्सलवाद क्यों ?

- Advertisement -

नक्सलवाद इस समय पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भी कई गुना बड़ी समस्या है | सन् १९७० के १-२ साल पूर्व प. बंगाल के स्थान नक्सलवाड़ी में इस उग्रवादी वामपंथी संगठन का गठन हुआ जो धीरे धीरे एक सुनियोजित व सुगठित आतंकवादी संगठन बन गया | वास्तव में यह माओवादी संगठन है जो भारतीय वामपंथी पार्टियों के समर्थन एवं चीन द्वारा पोषित होने से फला फूला |

सन् १९६७ के आम चुनावों में कई प्रदेशों में तथा केंद्र में कांग्रेस का ग्राफ गिरा था | प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का पुनरोद्धार करने के उद्देश्य से समाजवाद का चोला पहना | इस हेतु राजाओं के प्रिवीपर्स बंद किये, चौदह बैंकों का राष्ट्रीयकरण के नाम पर अधिग्रहण किया तथा गरीबी हटाओ का नारा दिया | इसी समय अंतरात्मा की आवाज पर कांग्रेस के बागी प्रत्याशी वी वी गिरी का राष्ट्रपति चुनाव  में समर्थन किया | चूँकि वी वी गिरी मजदूर यूनियन के नेता रहे इस कारण वाम पंथियों ने भी उनका समर्थन किया | इसी मुद्दे पर कांग्रेस का विभाजन हुआ और इंदिरा कांग्रेस और संगठन कांग्रेस बनी जिन्हें इंडीकेट और सिंडिकेट भी कहा गया |

चूंकि वामपंथी इंदिरा जी के इस संकट और संघर्ष काल में उनके साथ खड़े रहे इस कारण इंदिरा जी वामपंथियों के दवाब में थीं | वामपंथियों का उस समय प्रिंट मीडिया पर काफी वर्चस्व था | इस कारण इस माओवादी संगठन को मीडिया ने नक्सलवादी नाम दिया जिसे सरकार ने दवाब में स्वीकार किया और आज तक यही नाम चल रहा है |

समय समय पर इस माओवादी / नक्सलवादी संगठन पर सरकारें कार्रवाही करतीं रहीं | वर्तमान में भी बड़ी योजना के साथ कार्रवाही करने का एलान हुआ है | लेकिन इस संगठन का विस्तार बड़े पैमाने पर है | देश के प्रभावित क्षेत्रों में मुंबई के डॉन – माफियाओं से भी अधिक प्रभावी ढंग से धन उगाही होती है | बस बड़ा फर्क यही है की इनके पास बगदादी, लादेन, प्रभाकरन की तरह बड़े अस्त्र शस्त्र नहीं हैं | चीन घुसपैठ बढ़ाने तथा भारत को और अधिक घेरने की फिराक में है | भारत में लिट्टे, आई एस आई एस, बोको हरम, तालिबान आदि की तर्ज़ पर समस्या बनने के पहले इस आतंकवादी संगठन को जड़मूल से समाप्त करना ही होगा |

- Advertisement -
Om Prakash Shrivastava
Om Prakash Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
M.A., L.L.B., Advocate, Notary Public Lalitpur (U.P.). He has interest in social service since his student life. He was active in student politics. He was arrested and sent to Jail for 1 month and 10 days for giving a speech in Lucknow University against the cancellation of recognition of Students Unions in India. He was president of Student Union of Bundelkhand College Jhansi (U.P.). He was in jail for 21 days for his participation in J.P. movement before emergency. He leaded a student group for a protest against emergency in India and was in jail for 5 months and 21 days in D.I.R. in Jhansi (U.P.) for this. That’s why U.P. Government has declared him ‘Loktantra Senani’. He is a National Executive Member of 'Loktantra Rakshak Senani Mahasangh'. He is Convener of ‘Lok Jagrati Manch’ and ‘Sarthakchintan.com’. He is an active member of BJP. His many articles have been published in different newspapers.
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular