नक्सलवाद इस समय पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भी कई गुना बड़ी समस्या है | सन् १९७० के १-२ साल पूर्व प. बंगाल के स्थान नक्सलवाड़ी में इस उग्रवादी वामपंथी संगठन का गठन हुआ जो धीरे धीरे एक सुनियोजित व सुगठित आतंकवादी संगठन बन गया | वास्तव में यह माओवादी संगठन है जो भारतीय वामपंथी पार्टियों के समर्थन एवं चीन द्वारा पोषित होने से फला फूला |
सन् १९६७ के आम चुनावों में कई प्रदेशों में तथा केंद्र में कांग्रेस का ग्राफ गिरा था | प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का पुनरोद्धार करने के उद्देश्य से समाजवाद का चोला पहना | इस हेतु राजाओं के प्रिवीपर्स बंद किये, चौदह बैंकों का राष्ट्रीयकरण के नाम पर अधिग्रहण किया तथा गरीबी हटाओ का नारा दिया | इसी समय अंतरात्मा की आवाज पर कांग्रेस के बागी प्रत्याशी वी वी गिरी का राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन किया | चूँकि वी वी गिरी मजदूर यूनियन के नेता रहे इस कारण वाम पंथियों ने भी उनका समर्थन किया | इसी मुद्दे पर कांग्रेस का विभाजन हुआ और इंदिरा कांग्रेस और संगठन कांग्रेस बनी जिन्हें इंडीकेट और सिंडिकेट भी कहा गया |
चूंकि वामपंथी इंदिरा जी के इस संकट और संघर्ष काल में उनके साथ खड़े रहे इस कारण इंदिरा जी वामपंथियों के दवाब में थीं | वामपंथियों का उस समय प्रिंट मीडिया पर काफी वर्चस्व था | इस कारण इस माओवादी संगठन को मीडिया ने नक्सलवादी नाम दिया जिसे सरकार ने दवाब में स्वीकार किया और आज तक यही नाम चल रहा है |
समय समय पर इस माओवादी / नक्सलवादी संगठन पर सरकारें कार्रवाही करतीं रहीं | वर्तमान में भी बड़ी योजना के साथ कार्रवाही करने का एलान हुआ है | लेकिन इस संगठन का विस्तार बड़े पैमाने पर है | देश के प्रभावित क्षेत्रों में मुंबई के डॉन – माफियाओं से भी अधिक प्रभावी ढंग से धन उगाही होती है | बस बड़ा फर्क यही है की इनके पास बगदादी, लादेन, प्रभाकरन की तरह बड़े अस्त्र शस्त्र नहीं हैं | चीन घुसपैठ बढ़ाने तथा भारत को और अधिक घेरने की फिराक में है | भारत में लिट्टे, आई एस आई एस, बोको हरम, तालिबान आदि की तर्ज़ पर समस्या बनने के पहले इस आतंकवादी संगठन को जड़मूल से समाप्त करना ही होगा |