तृप्ति देसाई जो कि आजकल कई हिन्दू धर्मस्थलों में महिलाओं के प्रवेश के लिए आंदोलन कर रही हैं, अब हाजी अली दरगाह में भी महिलाओं की इज़ाज़त की मांग कर रही हैं | हालाँकि उनका प्रदर्शन मंदिरों में किये प्रदर्शन जैसा उग्र नहीं था और यह देखकर तृप्ति देसाई के विरोधियों का यही कहना है कि हाजी अली दरगाह मामला उन्होंने सिर्फ इसीलिए उठाया क्योंकि कई दिनों से लोग उनकी नियत पर सवाल उठाते हुए कह रहे थे कि उनको सिर्फ मंदिरों के नियमों में कमियां क्यों दिखाई देती हैं और वो अन्य धर्मों के धर्मस्थलों पर कोई सवाल क्यों नहीं उठा रहीं हैं |
कई बड़े पत्रकारों, नेताओं एवं अन्य लोगों ने तृप्ति देसाई द्वारा मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश हेतु किये गए आंदोलन का जोर-शोर से समर्थन किया था | लेकिन इनमें से कई नेताओं एवं पत्रकारों की आवाज अब हाजी अली दरगाह मामले में या तो खामोश है या फिर बड़ी दबी-घुटी एवं कमजोर सी दिखाई दे रही है | कुछ मुस्लिम महिला संगठन आजकल तीन बार बोलकर तलाक देने का विरोध कर रही हैं | इनको भी उतना कुछ खास समर्थन नहीं मिला इन खास पत्रकारों एवं नेताओं से | क्या हाजी अली दरगाह मामले में तृप्ति देसाई का एवं मुस्लिम समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए संघर्ष कर रहे मुस्लिम महिला संगठनों का समर्थन करने से उनको उनकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षता रोक रही है ?
अब बात करते हैं कि मेरी इन सब मामलों में क्या राय है | मैं महिलाओं के साथ होने वाले किसी भी तरह के भेदभाव के सख्त खिलाफ हूँ और चाहता हूँ कि महिलाओं को भी बराबरी का हक़ मिले | लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय में धर्मस्थलों में महिलाओं के प्रवेश हेतु आंदोलन से पहले हर महिला के स्कूल एवं कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए आंदोलन किया जाना चाहिए था, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का समर्थन एवं प्रचार किया जाना जरुरी था, महिलाओं को अबला की जगह रानी लक्ष्मीबाई बनने के लिए प्रेरित किया जाना जरुरी था, सिर्फ तीन बार बोल देने से हो जाने वाले तलाक का विरोध किया जाना जरुरी था | ऐसे और भी कई आंदोलन हैं जो तृप्ति देसाई के इस आंदोलन के पहले किये जाने जरुरी थे |
सीता-राम, राधे-श्याम, गौरी-शंकर, लक्ष्मी-नारायण – भारतीय संस्कृति तो ये है जहाँ कि नारी का नाम पुरुष से पहले लिया जाता था एवं नारी का सर्वोच्च स्थान था | मिस्टर एंड मिसेज **** – जिस में कि नारी का सम्बोधन पुरुष के बाद में आता है, ये है आपकी तथाकथित आधुनिक अंग्रेजी विचारधारा | इन में से कौन सी संस्कृति और शिक्षा पद्धति ज्यादा पसंद आई आपको ?
किस तरह पाश्चात्य शिक्षा पद्धति ने गलत इतिहास पढ़ाकर इस देश में महिलाओं की समाज में अबला की यह गलत छवि बना दी इस विषय पर लिखा मेरा यह पुराना लेख नीचे दी हुई लिंक पर जरूर पढ़िए | ये लेख भी पढ़ा जाना जरुरी है –
महिलाएं – अबला या रानी लक्ष्मीबाई ?