Thursday, November 14, 2024
HomeSocialमहिलाएं - अबला या रानी लक्ष्मीबाई ?

महिलाएं – अबला या रानी लक्ष्मीबाई ?

- Advertisement -

सीता-राम, राधे-श्याम, गौरी-शंकर, लक्ष्मी-नारायण – भारतीय संस्कृति तो ये है जहाँ कि नारी का नाम पुरुष से पहले लिया जाता था | मिस्टर एंड मिसेज **** – जिस में कि नारी का सम्बोधन पुरुष के बाद में आता है, ये है आपकी तथाकथित आधुनिक अंग्रेजी विचारधारा | इन में से कौन सी संस्कृति और शिक्षा पद्धति ज्यादा पसंद आई आपको ?

वैसे तो पुराने भारत में महिला शक्ति एवं महिलाओं के समाज में ऊंचे स्थान के कई सारे उदाहरण रहे हैं लेकिन मैंने इतिहास में ज्यादा पीछे न जाकर रानी लक्ष्मीबाई का ही उदाहरण लिया ताकि हमारे कई कथित शिक्षित लोग ये न कह सकें कि ये सब कहानियां तो मिथ्या हैं और इतिहास में हुई ऐसी किसी घटना का आजतक कोई सबूत नहीं मिला |

एक भारत ये है जिस में कई कथित शिक्षित पुरुष और महिलाएं आज की कथित आधुनिकता में भी नारी को अबला कहकर पूरी भारतीय संस्कृति को गाली देते हैं और एक वो पुराना भारत था जिस में पुरुषों नें बिना किसी झूठे अहम के एक महिला (रानी लक्ष्मीबाई) के नेतृत्व में इस देश के लिए शहीद होना पसंद किया और एक बार भी ऐसी कोई मूर्खतापूर्ण बात नहीं सोची कि एक महिला के नेतृत्व में लड़ने से उनके पौरुष को ठेस पहुंचेगी | शायद आपको पता होगा कि रानी लक्ष्मीबाई की सेना में एक महिला टुकड़ी भी थी जिस की कमान रानी लक्ष्मीबाई ने झलकारीबाई को दी हुई थी |

आज की तथाकथित शिक्षित एवं आधुनिक पीढ़ी, जो कि हर समय पुराने समय के भारत को नीचा समझती है, उनको मैं यही कहूँगा कि क्या फायदा आपकी कथित आधुनिक शिक्षा पद्धति का जिस में आज भी नारी अबला है | मुझे तो पुराने भारत की मानसिकता एवं बुजुर्गों की दी गयी घरेलु सीख आज की कथित आधुनिक शिक्षा पद्धति से ज्यादा अच्छी लगी जो कि ये सिखाती थी कि समाज में नारी का स्थान सर्वोच्च है |

यदि आज की कथित आधुनिक शिक्षा पद्धति से पढ़ाई करने के बाद भी आपको लगता है कि नारी अबला है, सिर्फ भोग की वस्तु है और उसे हर समय किसी पुरुष की सुरक्षा की आवश्यकता है तो मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि ऐसी बेकार शिक्षा पद्धति को हटा के भारतीय संस्कृति के अनुसार नयी शिक्षा पद्धति बनायी जाये |

सबसे पहले तो नारी को स्वयं ये समझना होगा कि वो अबला नहीं अपराजिता है | जब तक आज की कथित आधुनिक महिला खुद को रानी लक्ष्मीबाई की जगह अबला समझती रहेगी तब तक ये आज का कथित शिक्षित पुरुष प्रधान समाज नारी को सम्मान की जगह झूठी सांत्वना की भीख ही देगा | अब फैसला आज महिलाओं को करना है कि वो खुद को माँ दुर्गा रुपी महारानी लक्ष्मीबाई मानती हैं या आधुनिक अबला |

क्या होता यदि रानी लक्ष्मी बाई ने अपने हक़ की लड़ाई लड़ने की जगह अंग्रेजों से अपने अधिकारों की भीख या आरक्षण की मांग की होती ? क्या होता यदि उस समय के कथित अशिक्षित पुरुष समाज ने एक महिला के नेतृत्व में लड़ के शहीद होने की जगह अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार कर ली होती ?

आज की पीढ़ी में कई शिक्षित लोगों की इस देश एवं महिलाओं के प्रति गलत सोच का मुख्य कारण आधुनिक शिक्षा पद्धति में बताया जाने वाला भारत का गलत और अंग्रेजों की चाटुकारी के लिए लिखा गया इतिहास है | अंग्रेजों ने इतिहास के साथ इस तरह की छेड़छाड़ की क्योंकि वो चाहते थे कि गुलाम भारत के लोग अपनी संस्कृति पर गर्व करने की जगह अंग्रेजों को बेहतर मानें और उनकी तरफ आकर्षित होकर गुलामी में जीना ज्यादा पसंद करें | आज के हालात देखकर लगता है कि इस काम में वो काफी हद तक सफल भी रहे | लेकिन आज तो हम आज़ाद हैं | अब तो इस देश का सही इतिहास बच्चों को पढ़ाया जा सकता है | हालात तब तक नहीं बदलेंगे जब तक कि लोगों को इस देश की असली संस्कृति नहीं सिखाई जाएगी और ये नहीं समझाया जायेगा कि यही संस्कृति बेहतर है न कि वो जिस को आज की शिक्षा पद्धति में आधुनिकता के नाम पर पढ़ाया जा रहा है |

एक १५ साल की बच्ची ने कन्हैया कुमार को उस के साथ डिबेट करने की चुनौती दी है | जिन मौकापरस्त लोगों को कन्हैया कुमार में भविष्य का एक बड़ा नेता दिखाई देता है उन को में बताना चाहता हूँ कि इस बच्ची में मुझे रानी लक्ष्मीबाई दिखाई देतीं हैं | बहुत ख़ुशी हुई ये देखकर कि आज फिर भारत की एक बेटी को इतनी कम उम्र में भी अपने देश की चिंता हुई और उस ने अपने अंदर की माँ दुर्गा स्वरुप रानी लक्ष्मीबाई वाली छवि को चुना न कि आज के कथित शिक्षित समाज की बनायी हुई महिलाओं की अबला वाली गलत छवि को |

- Advertisement -
Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular