भारत भूमि वैसे तो बहुत ही पावन है परंतु इस देश में देशद्रोहियों की उपस्थिति कोई नयी बात नहीं है | इतिहास उठा कर पढ़ लीजिये | हर एक विदेशी आक्रमणकारी सिर्फ इसलिए जीत सका क्योंकि किसी न किसी देशद्रोही ने उसकी सहायता की | इस देश में काफी समय से जयचंदों के कुकर्म लगातार चल रहे हैं | आज के कई जयचंद कुछ नेताओं और उनके समर्थकों के रूप में मौजूद हैं |
आज के जयचंद राजनीति को देश के ऊपर रखने का शौक रखते है | इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरी पार्टी का नेता सही है या गलत | इनका बस एक ही नियम है कि यदि कोई काम किसी विरोधी पार्टी के नेता ने किया है तो उसका विरोध करें, भले ही वो काम देशहित में ही क्यों न किया जा रहा हो | उदाहरण के लिए पिछले दो मामले देख लीजिये | पहला तो हमारी सेना द्वारा पाकिस्तान में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक और दूसरा काले धन को रोकने की दिशा में वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा ५०० / १००० के पुराने नोट बंद करने का बड़ा फैसला | सभी को पता है कि दोनों ही मामलों में केंद्र सरकार ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाये लेकिन कई जयचंद इन दोनों मामलों में केंद्र सरकार की सराहना करने के स्थान पर विरोध ही कर रहे हैं |
पहले तो कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर घुमा फिराकर सवाल उठाये एवं सबूत मांगे | बाद में जनता के बड़े हिस्से के कड़े विरोध की वजह से अपने बयान को अलग ही रूप देकर यह समझाने लगे कि हमने तो कोई सवाल नहीं उठाये | इन जयचंदों द्वारा सवाल उठाये जाने के तुरंत बाद से ही इनके समर्थक जयचंद जुट गए यह साबित करने में कि सर्जिकल स्ट्राइक हुई ही नहीं | समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं भारत के नागरिकों के बयान सुन और देख रहा हूँ या पाकिस्तान के लोगों के |
अब नया मुद्दा है ५०० / १००० के पुराने नोटों के बंद करने का | सभी को पता है कि इस से देश का काफी काला धन बाहर आएगा और हमारी अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा | लेकिन जयचंद फिर से शुरू हो गए यह साबित करने में कि इस कदम से काले धन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा | कुछ जयचंदों ने तो जोश जोश में यहाँ तक कह दिया कि भाजपा ने अपने नेताओं एवं करीबी व्यवसायियों को इस निर्णय के बारे में पहले से बता दिया था | इस देश की मीडिया न्यूज़ एजेंसी से ज्यादा किसी न किसी पार्टी की प्रवक्ता है यह बात हम सभी जानते हैं | अतः यह भी पता था कि मीडिया का बड़ा हिस्सा इस पूरे मामले को कुछ इस तरह से दिखायेगा जैसे कि एक तो इस फैसले से काले धन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और दूसरा यह कि इस से आम जनता बहुत परेशान हो रही है | ऐसे किसी भी ऐतहासिक फैसले के परिणामस्वरूप जनता को शुरुआती दिनों में परेशानी होती ही है लेकिन क्या हम इस देश के भले के लिए इतनी परेशानी भी नहीं उठा सकते ?
थोड़ी देर लाइन में क्या लगना पड़ गया, कुछ लोगों को यह फैसला आर्थिक आपातकाल लगने लगा | कुछ ज्ञानी लोग यह भी बोल रहे हैं कि यह गलत तरीके से एक्जीक्यूट किया गया एक बड़ा फैसला है | हद है | सेना के जवान रोज हमारे लिए घंटों सीमा पर खड़े रहते हैं उन्होंने तो कभी ऐसी कोई बात नहीं की लेकिन देश की तथाकथित आम जनता में से कुछ लोगों को आर्थिक आपातकाल नजर आ रहा है | यहाँ मैं एक बात साफ़ करना चाहता हूँ कि जनता का एक बड़ा हिस्सा इस फैसले के लिए मोदी जी की सराहना कर रहा है | बस कुछ गिने चुने लोगों को तकलीफ हो रही है |
नेताओं को हो रही तकलीफ का कारण समझ आता है कि वो अपने काले धन के बिना उत्तर प्रदेश एवं अन्य चुनावी राज्यों में प्रचार कैसे करें | लेकिन आम जनता की बीच छुपे हुए पढ़े लिखे जयचंद किसलिए अपने पसंदीदा नेताओं के बहकावे में आ गए और फेसबुक ट्विटर छाप हंगामा करने लगे ?
प्रधानमंत्री मोदी जी कड़े, सख्त प्रशासन के लिए जाने जाते हैं | सख्त प्रशासक होते हुए भी आज वो भाषण देते समय भावुक हो गए | बेदाग प्रधानमंत्री को भावुक होकर देशभक्ति साबित करनी पड़े तो मतलब देश में कोई कहीं गलत रास्ते पर है |
कितने स्वार्थी हैं वो लोग जो देश के इतने बड़े बदलाव में मोदी जी का साथ देने की जगह कई अलग अलग तरह से विरोध कर रहे हैं | नेता तो नेता कई आम जनता के लोग भी बहुत विलाप कर रहे हैं | ये बहुत ही दुःख और शर्म की बात है | जनता यह सब भूलना मत |
खैर, यह कहना गलत नहीं होगा कि इस फैसले पर आम जनता मोदी जी के साथ है | समस्या सिर्फ कुछ जयचंदों की है| मुझे पूरा भरोसा है कि जनता यह सब देख रही है और भविष्य में वोट देते समय इन बातों का ख्याल रखेगी |