केरल में वामपंथियों की सरकार बने अभी सिर्फ १ दिन ही हुआ है | चुनाव जीतने के अगले दिन ही भाजपा / संघ के सदस्यों पर कई जगहों पर जानलेवा हमले हुए | २६ भाजपा / संघ सदस्यों पर कन्नूर में हमले हुए, सिर्फ ३ घंटों में कुल ५५ ऐसे मामले सामने आये हैं, १५ घर एवं दुकानें जला दी गईं | खैर मीडिया में ये सब ख़बरें नहीं आएँगी क्योंकि मीडिया को सिर्फ एक पार्टी विशेष के खिलाफ बयानबाजी करने से न तो फुर्सत है और न ही निष्पक्ष पत्रकारिता करने का उनका कोई मन है |
बिहार में जंगल राज आते ही कुछ प्रमुख भाजपा नेताओं की हत्या के मामले आपको याद ही होंगे | हालाँकि हमारी मीडिया की ख़बरों में उन हत्याओं को कोई खास स्थान नहीं मिल पाया | कई न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पेपर एवं पत्रकारों को तो अब तक बिहार में कोई जंगलराज नहीं दिख रहा और न ही किसी तरह की कोई अपराधिक गतिविधियाँ दिखाई दे रहीं हैं | इन लोगों की मानें तो इस समय बिहार में कानून का अच्छे से पालन हो रहा है और वहां कोई जंगलराज नहीं है |
हालाँकि आज केरल में एवं बिहार में जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार राजनीतिक दलों से ज्यादा इन राज्यों की जनता है क्योंकि इन दो राज्यों में जिन पार्टियों की सरकार आई है उनका ऐसे जंगलराजों का पुराना इतिहास है और इन पार्टियों के राज में आज इन प्रदेशों में ऐसा कुछ भी नया नहीं हो रहा जिसकी उम्मीद इन पार्टियों की सरकारों से चुनाव के पहले नहीं थी | इन दोनों राज्यों की जनता ने अपनी सरकार नहीं बल्कि अपना दुर्भाग्य चुना है |
ये दोनों राज्य एक सबक हैं बाकी प्रदेशों की जनता के लिए | यदि अपने एवं अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करना चाहते हैं तो उम्मीदवार एवं उसकी पार्टी नियत, योग्यता, ईमानदारी एवं पुराने रिकॉर्ड के आधार पर वोट दें न कि जाति, धर्म के नाम पर और न ही पैसे या अन्य किसी प्रलोभन में आकर अपना वोट बेचें |