केजरीवाल जी ने जब २०११ में अपनी राजनीति चमकानी चाही थी, तब उन्होंने बाबा रामदेव के काले धन के खिलाफ चल रहे आंदोलन को उसी प्रकार से हथियाने की कोशिश की थी, जैसे कि बाद में अन्ना के | लेकिन बाबा रामदेव बच गए क्योंकि शायद वो अन्ना जैसे सीधे साधे नहीं थे इसलिए उन्होंने केजरीवाल को अपने मंच पर जगह तो दी, लेकिन उसको अपने सर पर नहीं चढ़या | मुझे अभी भी याद है, और आप को भी शायद हो, कि बाबा रामदेव की एक मांग थी कि सरकार बड़े नोटों को बंद करे और उनका कहना था कि इस कदम से काले धन और पाकिस्तानी ISI द्वारा निर्मित नकली नोटों (FICN) में बहुत कमी आएगी | केजरीवाल ने उस समय बाबा रामदेव के मंच का प्रयोग किया था और जनता में अपनी पहचान बनाने की कोशिश की थी | उस समय केजरीवाल ने उनकी इस मांग का समर्थन भी किया था लेकिन आज जब सरकार ने वो कदम उठाया है, तो सबसे ज्यादा बौखलाया कोई नज़र आ रहा है तो वो है केजरीवाल |
कल उनकी पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय सिंह ने मोदी जी पर तमाम तरह के आरोप लगाए और ५०० और १००० के नोटों को बदलने के कदम को ‘तुग़लकी फरमान’ कहा | विडम्बना ये है कि ‘ऑड-इवन’ लाकर प्रदूषण ख़त्म करने के दावे करने वाले केजरीवाल ५००-१००० के नोटों पर रोक लगाने को तुग़लकी फरमान बता रहे हैं |
इसके अलावा उन्होंने कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए लेकिन हमेशा की तरह उनके पास इसके कोई सबूत नहीं है | इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि क्योंकि मोदी सरकार अम्बानी और अडानी की सरकार है इसलिए मोदी ने इन लोगों को ६ महीने पहले ही ये जानकारी दे दी थी कि ये नोट बदले जायेंगे और अम्बानी और अडानी ने अपने ये ५००-१००० के नोट ठिकाने लगा लिए | भाई, हर कोई तुम्हारी तरह नहीं होता कि गोपनीयता की शपथ लेने के बाद भी ऑफिस की फाइल घर ले जाये | संजय सिंह जी, आप शायद समाचार पत्र नहीं पढ़ते और अपने सारे सामान्य ज्ञान का जरिया केजरीवाल को ही बनाये हुए हैं, इस लिए आपको शायद ये नहीं पता चला कि अभी ४-५ दिन पहले ही मोदी सरकार ने अम्बानी पर १०००० करोड़ का जुर्माना लगाया है |
इसके अलावा इतनी बुद्धि कोई आपिया ही लगा सकता है कि अगर अम्बानी और अडानी के पास कला धन है, तो वो ५०० और १००० रूपये के नोटों के रूप में होगा | भला अरबों खरबों रूपये का कारोबार करने वाले अगर कला धन नोटों के रूप में रखेंगे, तो उनको उस धन को ठिकाने लगाने के लिए कुछ ट्रक नहीं, ट्रेनों की जरूरत पड़ेगी | लेकिन रहने दीजिये, आपकी इतनी बुद्धि विकसित होती तो केजरीवाल को मसीहा काहे समझते |