मोदी जी द्वारा ५०० / १००० के नोट बंद करने के एलान होते ही केजरीवाल जी पहले तो सन्नाटे में चले गए | फिर थोड़ी तैयारी की, होम वर्क किया और अपनी पार्टी के कुछ धुरंदरों के साथ मिलकर प्लानिंग की | और फिर बोल दिया केंद्र सरकार पर धावा | लेकिन जल्दबाजी में की गयी तैयारी के बोझ तथा काले धन मुद्दे पर हुए इस अचानक हमले ने शायद उनका मानसिक संतुलन ही बिगाड़ दिया | इसका परिणाम यह हुआ कि वो आजकल क्या बोल रहे हैं उनको शायद खुद भी नहीं पता, जनता को तो वैसे ही समझ नहीं आता है |
५०० / १००० की नोटबंदी के बाद पहले तो केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला करते हुए बोला कि भाजपा नेताओं को इस फैसले के बारे में पहले से ही पता था और भाजपाईयों ने अपना काला धन पहले ही छोटे नोटों में बदल लिया | फिर उनके समर्थक उनका यह सन्देश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने का बीड़ा उठाते हुए सोशल साइट्स पर एक के बाद एक पोस्ट शेयर करने लगे | आम आदमी पार्टी के और भी नेतागण केजरीवाल के आरोपों को सच साबित करने में जुट गए |
अभी उनके समर्थक उनका यह सन्देश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने में जुटे ही हुए थे की उनका एक नया सन्देश आ गया | अब केजरीवाल कह रहे हैं कि मोदी जी के इस फैसले से भाजपाई और संघ बहुत नाराज है | जाहिर से बात है कि उनके समर्थक यह सन्देश भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने में जुट गए हैं |
लेकिन यहाँ सोचने वाली बात यह है की अगर भाजपा के लोगों को केंद्र सरकार के इस फैसले के बारे में पहले से पता था और भाजपाइयों ने अपने नोट पहले ही बदलवा लिए थे तो फिर भाजपाई नाराज कैसे हो सकते हैं ? वो तो खुश होते कि चलो प्रधानमंत्री जी ने इस फैसले के बारे में हमें पहले से ही बता दिया था |
क्या केजरीवाल का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है ? क्या वो अब तक सदमे के बाहर नहीं आये हैं ? खुद को भ्रष्टाचार का विरोधी बोलने वाले केजरीवाल आजकल इतना परेशान क्यों हैं ? कहीं इस हताशा, निराशा और अनावश्यक गुस्से के पीछे कोई काली कहानी तो नहीं है ?