एम. सी. डी. परिणामों में वैसे तो कुछ भी ऐसा नहीं हुआ जिसे देखकर मुझे आश्चर्य हो या अविश्वाश हो | मैं स्वयं दिल्ली में ही रहता हूँ तो मुझे यहाँ के हालात भी पता हैं और यहाँ जनता की केजरीवाल के प्रति जिस तरह से राय बदली है उसके बारे में भी मुझे पता ही है | पिछले विधानसभा में जिस तरह भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्रों में भी जनता केजरीवाल जिंदाबाद के नारे लगा रही थी उसको देखकर दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों का पूर्वानुमान हो ही गया था और वैसा ही कुछ अब हुआ लेकिन स्थिति पहले के बिलकुल उलट थी, इस बार जनता केजरीवाल जिंदाबाद के नहीं बल्कि केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी |
केजरीवाल ने जब आम आदमी पार्टी बनाते समय जनता से एक नयी और अलग तरह की राजनीति का वादा किया था, भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति की बात कही थी, भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाने की बात कही थी, महिलाओं को सुरक्षा देने की बात कही थी, वी. वी. आयी. पी. कल्चर से दूर रहने की बात कही थी तथा कई तरह की मुफ्त एवं अन्य सुविधाओं का भी वादा किया था | जनता ने केजरीवाल के वादों पर भरोसा दिखाया और ६७ सीट दे डालीं | जनता को उम्मीद थी कि इतने बड़े बहुमत से जीतने के बाद केजरीवाल अब जनहित के कार्यों में जुट जायेंगे परन्तु केजरीवाल ने अपना समय आम आदमी पार्टी को और बड़ा बनाने और मोदी सरकार पर बिना वजह बयानबाजी में ही बिताया | आम आदमी पार्टी के ही कई नेताओं पर भ्रष्टाचार, महिलाओं के शोषण, वी. वी. आयी पी. कल्चर आदि के आरोप लग गए | शर्मवश ऐसे नेताओं की पार्टी से छुट्टी तो कर दी गयी परन्तु इन सब घटनाओं ने केजरीवाल की अलग तरह की राजनीति की बात का भंडाफोड़ कर दिया | जनता समझ गयी कि यहाँ अलग तरह की राजनीति जरूर हो रही है लेकिन उसमें जनता के लिए सुखद कुछ भी नहीं है | वहीँ दूसरी ओर मोदी जी ने भी भाजपा को और आगे बढ़ने के लिए प्रयास तो किये लेकिन इस प्रचार प्रसार का जनहित के कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ने दिया तथा जनहित के कार्य वो करते गए | हालाँकि जिस तरह भाजपा एक के बाद एक विपक्षी पार्टी के नेताओं को लेती जा रही है उस से भविष्य के लिए खतरे का एक अलार्म बज ही रहा है | परन्तु फिलहाल मोदी जी ने अपने कार्यों से भाजपा को उस स्थान पर पहुंचा दिया है कि इसका कोई भी पार्टी मुकाबला नहीं कर पा रही है | भविष्य में क्या होगा वो तो आने वाला समय ही बताएगा |
फिलहाल तो आम आदमी पार्टी के नेता एम. सी. डी. चुनाव में मिली इस हार को स्वीकार करने की जगह ई. वी. एम को दोष देने में व्यस्त हैं | केजरीवाल के पास अभी भी समय है | यदि वो अपनी इस हार से सीख लेते हैं और बचा हुआ कार्यकाल सिर्फ जनहित के कार्यों में लगाते हैं तो शायद जनता उनको माफ कर दे और दुबारा मौका दे दे परन्तु यदि वो इस हार से कोई सबक नहीं लेते हैं तथा अपनी वही आरोपों की राजनीति जारी रखते हैं तो फिर यह उनका पहला और आखिरी कार्यकाल साबित होगा |