याद है ना आपको वो जनलोकपाल बिल, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, फिर एक नए राजनैतिक दल का उदय, देश से भ्रष्टाचार ख़त्म कर देने के वादे, भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने के वादे, खुद को ईमानदार आम आदमी कहना ?
आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से दिल्ली के चुनाव ख़त्म होने तक अरविन्द केजरीवाल ने इस देश की जनता को हमेशा यही बोला कि वो भ्रष्टाचार मिटा के रख देंगे, उन की सरकार में किसी की भ्रष्टाचार करने की हिम्मत नहीं होगी, केजरीवाल ने गंदे राजनैतिक हथकंडों का विरोध किया और राजनैतिक पार्टियों द्वारा भ्रष्टाचार एवं अन्य अपराधिक मामलों के आरोपी नेताओं को पार्टी से न निकलने का विरोध किया |
लेकिन चुनाव जीतते ही जनता को एक अलग ही केजरीवाल के दर्शन हुए | इनसे पूछो भ्रष्टाचार क्यों खत्म नहीं हुआ बोलंगे मोदी काम नहीं करने दे रहे, पूछो जनता को बिजली पानी कब मिलेगा तो बोलेंगे मोदी काम नहीं करने दे रहे, इनकी पार्टी या सरकार के लोग अगर भ्रष्टाचार या अन्य अपराधिक मामलों में जेल जाएं तो उनको निकालना या जांच कराना तो बहुत दूर की बात है ये इस का आरोप भी केंद्र सरकार पर लगाकर कहते हैं कि सब मोदी की साज़िश है | चुनाव के पहले इनके पास शीला दीक्षित के खिलाफ सबूतों की एक फाइल थी | अब यदि उस फाइल में सच में सबूत थे तो वो फाइल कहाँ गयी ? शीला दीक्षित को अब तक जेल क्यों नहीं हुई ?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पार्टी के कई विधायकों एवं मंत्रियों पर भ्रष्टाचार एवं अन्य तरह के कई अपराधिक मामले दर्ज़ हुए | बिना किसी जांच के ही केजरीवाल ने उन सभी लोगों को क्लीन चिट दे डाली और पार्टी से नहीं निकाला | अब कुछ तो लॉजिक देना था तो कह दिया ये सब मोदी के इशारे पर हो रहा है, केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रही | जब कांग्रेस तथा अन्य कई पार्टियां भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को पार्टी से ये कहकर नहीं निकालती थीं कि ये सब आरोप विपक्ष की गन्दी राजनीति हैं, विपक्ष नहीं चाहता कि हम ठीक से काम करें, उस समय तो केजरीवाल इस सब का बड़ा विरोध करते थे और भ्रष्टाचार के आरोपी ऐसे नेताओं के इस्तीफे की मांग के साथ साथ उनको जेल भेजने की बात करते थे | अब कहाँ गईं वो सब बातें और वादे ?
अब नया मामला है जिस में कि अरविन्द केजरीवाल के प्रधान सचिव ही ५० करोड़ के घोटाले के मामले में गिरफ्तार हो गए | प्रधान सचिव के भ्रष्टाचार के मामले में पकडे जाने से दो ही सम्भावनाएं सामने आतीं हैं | या तो केजरीवाल को इस भ्रष्टाचार के बारे में पता नहीं था या फिर सब जानते हुए भी उन्होंने इस भ्रष्टाचार के मामले को अनदेखा करके अपने प्रधान सचिव की न्युक्ति की | पहली बात के बारे में सोचें तो यहाँ सवाल उठता है कि जो व्यक्ति अपने ऑफिस में भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों को नहीं रोक पाया वो पूरे देश से भ्रष्टाचार कैसे ख़त्म करेगा ? ये प्रधान सचिव तो दिल्ली के मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में आते हैं न कि केंद्र सरकार के | बाकी का सच तो इस मामले की गहराई से जांच होने के बाद ही पता चलेगा |
यदि अरविन्द केजरीवाल गम्भीरता से काम करने की जगह इसी तरह से दोषारोपण की राजनीति करते रहे तो फिर उनकी राजनीति ज्यादा दिन नहीं चलेगी | जनता सब देख रही है | दिल्ली का चुनाव आखिरी चुनाव नहीं था, ५ साल पूरे होते ही फिर से होगा | फिलहाल तो यही लगता है कि जिस पार्टी पर एक छोटा सा राज्य नहीं सम्भाला जा रहा उस के हाथ में कोई पूर्ण एवं बड़ा राज्य दे देना जनता की बहुत बड़ी गलती ही होगी |