बहुत दुःख होता है जब मैं शिक्षित लोगों को भी सिर्फ वोटबैंक एवं अन्य राजनैतिक कारणों से कश्मीर एवं खालिस्तान के अलगाववाद एवं देश के कुछ हिस्सों में फैले नक्सलवाद का समर्थन करते हुए देखता हूँ |
कांग्रेस की भूमिका तो इस सब में हमेशा से ही संदिग्ध रही है | आज़ादी के बाद से ही इस देश में ज्यादातर समय कांग्रेस का ही राज़ रहा | उस के बावजूद कश्मीर में अलगाववाद एवं देश के कई हिस्सों में नक्सलवाद फलता फूलता रहा | खालिस्तान समर्थक विद्रोह की कमर इंदिरा जी के समय तोड़ दी गयी थी लेकिन उनके बाद के कांग्रेसी नेताओं ने इस मुद्दे पर भी गंभीरता से काम नहीं किया |
सभी को अच्छे से याद है कि किस तरह आम आदमी पार्टी के कुछ मुख्य सदस्यों ने पहले तो कश्मीर के भारत से अलग होने के विषय में जनमत की राय रखी, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से भी सेना हटाने की मांग की और ऐसे लोगों को उस समय पार्टी से नहीं निकाला गया, फिर आतंकवादी अफजल गुरु एवं कसाब के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों को कश्मीर से लोकसभा की टिकट दी गयी, पार्टी के ही पंजाब के कुछ नेताओं ने खुले आम खालिस्तान का मुद्दा फिर भड़का दिया, जे एन यू में हुई देशद्रोही नारेबाजी के आरोपियों का समर्थन भी इस पार्टी के नेताओं ने किया |
कश्मीर में लगी धारा ३७० को हटाने के मुद्दे पर भी भाजपा एवं शिवसेना के अलावा बाकि अन्य सभी दलों की राय भारत के पक्ष में नहीं दिखाई देती | धारा ३७० के रहते हुए कश्मीर में हालात सामान्य होने की क्या आप जरा सी भी उम्मीद रखते हैं ? यह सब जानने के बावजूद जो राजनैतिक धारा ३७० हटाने का विरोध करें वो देशभक्त कैसे कहे जा सकते हैं ?
सिर्फ वोट पाने की नियत से ऐसे नेता और क्या क्या कर सकते हैं ? नेताओं की गलत नीतियाँ इस देश ने कई बार देखीं हैं और ऐसे नेताओं को मैं गन्दी राजनीति के लिए देशद्रोह करते देखते हुए जरा सा भी आश्चर्यचकित नहीं होता हूँ | लेकिन दुःख तब होता है जब मैं इनके पढ़े लिखे गंवार समर्थकों को सिर्फ अपने नेताओं को सही साबित करने के लिए ऐसे अलगाववाद का समर्थन करते हुए देखता हूँ |
किसी पार्टी के राष्ट्रवाद की आज मैं यहाँ तारीफ नहीं करूँगा | यहाँ आज मैं सिर्फ इस देश के शहीदों की बात करूँगा | जरा सोचिये यदि इस देश के शहीदों को भगवान एक दिन के लिए वापस इस देश में आने का अवसर दें तो उनकी इस सब को देख कर प्रतिक्रिया क्या होगी ? वो यही कहेंगे कि भारत माता के लिए जान देकर तो उन्होंने कोई गलती नहीं की लेकिन ऐसे इन देशवासियों के लिए जान देना शायद बेवकूफी ही था |
आप लोग किस राजनैतिक दल के समर्थक हैं उस पर मैं कोई कमेंट नहीं करूँगा लेकिन कृपया इतना ध्यान रखिये कि कहीं आपकी राजनैतिक दिलचस्पी देशद्रोह का रूप न ले ले | किसी भी हालात में आप देशद्रोह का समर्थन न करें | कुछ गिने चुने देशद्रोहियों की वजह से यह देश कई देशभक्त होने के बावजूद गुलाम बना और हर बार ऐसे लोगों ने इस देश को गुलाम बनाया जो कि शक्ति के मामले में भारत के आगे कुछ भी नहीं थे | अपने देश के इतिहास से शिक्षा लें और अपनी राजनैतिक पसंद नापसन्द को देशप्रेम के ऊपर हावी न होने दें | कहीं ऐसा न हो कि आपकी राजनैतिक पसंद नापसन्द के चक्कर में आप देशद्रोह कर बैठें |