काफी दिन हो गए कैराना का मुद्दा हमारे सामने आये हुए लेकिन अभी तक अवार्ड वापसी गैंग, सेक्युलर ताकतें, कई क्रन्तिकारी पत्रकारों का समूह शांत है और ऐसे चुप बना हुआ है जैसे कि कुछ हुआ ही न हो | कांग्रेस के एक नेता ज़ी न्यूज़ चैनल पर एक बहस के दौरान इस मुद्दे पर बात करते हुए हंस रहे थे, उनको इतना भी लिहाज नहीं रहा कि यदि इस आतंक के शिकार परिवारों के साथ आप सहानुभूति नहीं दिखा सकते तो कम से कम हंस कर मजाक तो न बनाएं | उत्तर प्रदेश की सरकार से तो इस मुद्दे पर किसी तरह की कोई कार्रवाही की उम्मीद की नहीं जा सकती क्योंकि उनको इन हिन्दू परिवारों से ज्यादा वोट बैंक की चिंता है |
यदि यही घटना इस के उलट हुई होती जिसमें कि हिन्दुओं के दुर्व्यवहार के कारण मुस्लिमों को शहर छोड़ना पड़ता तो अब तक तो देश में क्रांति आ चुकी होती, कई अवार्ड वापस हो गए होते, असहिष्णुता बड़ जाती, राजनैतिक दल एवं उनके खरीदे हुए कई पत्रकार जुट जाते हिन्दुओं को भगवा आतंकी साबित करने में और देश के बिगड़ते हुए हालत के लिए मोदी जी को जिम्मेदार साबित करने में |
लेकिन यहाँ मामला हिन्दू परिवारों का है | पलायन हिन्दुओं ने किया है | दुर्व्यवहार का शिकार हिन्दू हुए हैं | यहाँ न तो हिन्दुओं को गाली दी जा सकती है, न मोदी जी को, न भाजपा को और न ही संघ को | इसीलिए इस मुद्दे में तथाकथित सेक्युलर ताकतें कोई रूचि नहीं ले रहीं हैं | खैर, ये कभी ऐसे किसी मुद्दे पर नहीं बोलेंगे |
आतंक का शिकार व्यक्ति किसी भी धर्म का हो उस को सहायता मिलनी चाहिए और उस मुद्दे को जोर शोर से उठाया जाना चाहिए ताकि सरकारें अपनी राजनीति छोड़कर उन लोगों तक मदद पहुंचाएं | इस आतंक का शिकार हुए हिन्दू परिवारों को उ. प्र. सरकार से पूरी मदद मिलनी चाहिए एवं इनको पूरी सुरक्षा एवं आत्मसम्मान के साथ अपने घरों में वापस भेजने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए, दोषियों पर कड़ी कार्रवाही होनी चाहिए और साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि दुबारा इन परिवारों के साथ कभी ऐसा न हो | अभी के हालात में तो मुझे नहीं लगता कि उ. प्र. की सरकार इन हिन्दू परिवारों की मदद के लिए ऐसा कोई कदम उठाएगी |