Friday, November 22, 2024
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कैराना के दर्द एवं जनता के आक्रोश को बयाँ करती यह कविता जरूर पढ़ें

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इस कविता को लिखने वाली कवि का नाम मुझे नहीं पता | इसे मेरे एक मित्र ने शेयर किया था | यह कविता जिन्होंने ने भी लिखी है, इस समय के कैराना मुद्दे का दर्द एवं राजनीति दोनों लिख दी है और साथ ही प्रदेश सरकार को यह साफ़ सन्देश भी दे दिया कि अगले चुनाव में आपको इस का परिणाम भुगतना पड़ेगा |

Kairana-Kavita
दादरी मुद्दे को जोर शोर से उठाने वाले सभी नेता या तो कैराना मुद्दे पर चुप हैं या फिर इस पूरे मामले को ही झूठा साबित करने में जुटे हुए हैं | कमाल है, बिना किसी जांच के ही इन नेताओं ने इस मुद्दे को झूठा बता दिया गया | वैसे सच यही है कि उत्तर प्रदेश के ऐसे इन नेताओं को जनता का डर है ही नहीं क्योंकि उन्हें पता है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए क्या करना है |

बारीकी से देखेंगे तो पता चलेगा कि उत्तर प्रदेश एवं बिहार के कई नेता बेफिक्र सिर्फ इसलिए रहते हैं क्योंकि उनको पता है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए उन्हें जनहित के काम करने की कोई आवश्यकता नहीं है, बस उन्हें वोट बैंक के हिसाब से सही जातीय / धार्मिक समीकरण बिठाने हैं | देश का दुर्भाग्य यह है कि इन की यह सोच काफी हद तक सही भी है | उत्तर प्रदेश एवं बिहार की जनता ने जातीय एवं धार्मिक समीकरणों के आधार पर कई बार ऐसे नेताओं को जिताया है जिन्हें कि विधायक सांसद छोड़िए कोई छुटपुट नेता बनने के योग्य भी नहीं थे |

उत्तर प्रदेश एवं बिहार की जनता यदि अब भी नहीं जागी और जाति / धर्म के नाम पर वोट डालने की जगह उम्मीदवार की ईमानदारी, योग्यता एवं नियत के आधार पर तथा विकास को मुद्दा बनाकर वोट नहीं डाले तो फिर अपनी आने वाली कई पीढ़ियों की बर्बादी के जिम्मेदार वो स्वयं होगी | जाति / धर्म के समीकरणों के आधार पर जीते हुए नेता से विकास की उम्मीद लगाना बेवकूफी ही है और इस बात के कई बार प्रमाण उत्तर प्रदेश एवं बिहार में देखने को मिल ही चुके हैं |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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