पिछले कुछ दिनों से मुझे कई कथित समाज सुधारकों, पत्रकारों, नेताओं एवं उन के समर्थकों की भाषा में एक खास बदलाव महसूस हुआ है | ध्यान रहे ये वो लोग हैं जो कि देशविरोधी मामले में आरोपियों का “अभिव्यक्ति की आज़ादी” के नाम पर बचाव कर रहे हैं | पिछले कुछ दिनों में देश में जो भी घटनाएं हुईं उन सभी के बारे में बात करते समय ये लोग “देशभक्त”, “देशद्रोही” और “देशविरोधी” शब्दों का अनुचित प्रयोग कर रहे हैं |
इन सभी संदेशों को पढ़कर आप ही फैसला कीजिये कि इस तरह से “देशभक्त”, “देशद्रोही” और “देशविरोधी” शब्दों का प्रयोग गलत है या नहीं | ऐसे कई और उदाहरण हैं जो कि आप आजकल फेसबुक और ट्विटर पर देख सकते हैं | मैंने तो बस उनमें से बहुत कम ही उदाहरण यहाँ दिखाए हैं अपनी बात रखने के लिए |
मेरी राय में तो ये सभी गलत थे और मैंने यहाँ अपनी व्यक्तिगत राय के साथ ये बताने की कोशिश की है कि मुझे ये क्यों गलत लगे | आप कि राय मुझ से भिन्न हो सकती है |
पहले ये फोटो देखिये जो कि कुछ विपक्षी पार्टियों के कई समर्थकों द्वारा सोशल वेबसाइट पर काफी शेयर की गयी | मैं मानता हूँ कि जाट आंदोलन के नाम पर जो हिंसा हरयाणा में की गयी वो बिलकुल गलत है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाही होनी चाहिए | यदि ये देशद्रोहियों के समर्थक लोग सच में इस मुद्दे को उठाना चाहते तो मांग करते कि इस आंदोलन में हुई हिंसा करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दो लेकिन यहाँ देशभक्त शब्द का इस तरह से इस्तमाल क्यों किया गया ? क्या साबित करना चाहते हैं ये लोग ? देशभक्त का ऐसा गन्दा उदाहरण देते समय क्या उन को हरयाणा के वो कई अमर सपूत नहीं दिखाई दिए जो इस देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं ?
अब ये फोटो देखिये, फिर उसी तरह की बात | माना कि इस देश में कई ऐसे हिंसक मामले हुए जो कि गलत हैं लेकिन क्या उनके नाम पर जे एन यू के देशद्रोह को माफ़ कर दिया जाये ?
अब हमारे कुछ पत्रकारों के ट्विटर पर मैसेज पढ़िए |
सब से पहले राजदीप सरदेसाई को देखिये | इशरत जहाँ पे हुए खुलासे के बारे में इन्होने यहाँ लिखा कि “कांग्रेस को इस का जवाब देना चाइये कि क्यों कोर्ट में दायर किया हुआ सरकार का एफिडेविट बदला गया और भाजपा को इस का जवाब देना चाहिए कि वो एनकाउंटर सच्चा था या झूठा | क्या इन दोनों पार्टियों से ये सवाल देश विरोधी है ?” |
अब यहाँ इस पूरे विषय में देशविरोधी वाली आखिरी बात कहने का क्या मतलब है ? क्या इनको देशभक्त और देशद्रोही का ये अंतर नहीं पता कि जो देश की भलाई के लिए काम करे वो देशभक्त और जो देश के खिलाफ काम करे वो देशद्रोही ? क्या ये यहाँ ये साबित नहीं करना चाह रहे कि जे एन यू में हुई देशद्रोही नारेबाजी का विरोध करने वाले लोग जबरदस्ती अपनी देशभक्ति की परिभाषा इन पर थोप रहे हैं ?
अब राजदीप सरदेसाई का ही ये दूसरा मैसेज | यहाँ इन्होने लिखा है कि “सेंसेक्स देशविरोधी बन गया और इस ने इस साल के बजट को समर्थन नहीं किया |” बजट पर चर्चा करने के लिए इस शब्द को बिना मतलब के क्यों जोड़ा गया | यहाँ फिर से वही बात घुमाफिराकर कही गयी |
अब ये बरखा दत्त का मैसेज पढ़िए | अपने इस लेख को इन्होने टाइटल दिया “एक देशविरोधी प्रेस्टीट्यूट की तरफ से सन्देश” | यहाँ इन्होने भी वही दिखाने की कोशिश की जैसे कि देशद्रोही नारेबाजी का विरोध करने वाले लोग जबरदस्ती हर एक पर अपनी देशभक्ति की परिभाषा थोप रहे हैं और लोगों को देशभक्त और देशद्रोही का सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं |
अब बरखा दत्त का ही एक और मैसेज | यहाँ इन्होने एक भाजपा नेता का एक मैसेज शेयर करते हुए पूछा कि क्या अब ये भी देशविरोधी हैं | क्या बरखा दत्त को देशभक्त और देशद्रोही का अंतर नहीं पता जो ये इस तरह से तंज़ कसते हुए पूछ रही हैं ?
अब यहाँ सागरिका घोस का ये मैसेज पढ़िए | मैं किसी भी महिला के प्रति आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग के सख्त खिलाफ हूँ लेकिन अफजल गुरु के समर्थन को देशद्रोह की जगह “अभिव्यक्ति की आज़ादी” साबित करने वाले लोग किसी और की इस तरह की “अभिव्यक्ति की आज़ादी” पर राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी की नयी परिभाषा क्यों गढ़ रहे हैं ? इस मैसेज में कुछ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग हुआ है इसलिए मैं इस का हिंदी में अनुवाद यहाँ नहीं लिखना चाहता |
अब एक और ऐसी ही पत्रकार राणा अयूब का ये मैसेज | इस में भी वही जे एन यू में हुई नारेबाजी का विरोध करने वाले न्यूज़ चैनलों को तंज़िया लहज़े में “देशभक्त” कहा गया | इन्होने ने भी वही बात जताने की कोशिश की कि जे एन यू में हुई नारेबाजी का विरोध करने वाले लोग जबरदस्ती अपने विरोधियों को देशद्रोही और समर्थकों को देशभक्त साबित करने में जुटे हुए हैं |