जे एन यू में कुछ छात्र संगठनों के सदस्यों ने “पाकिस्तान जिंदाबाद”, “कितने अफजल मांगोगे, घर घर से अफजल निकलेगा”, “कश्मीर क्या मांगे, आज़ादी” और “इंडिया गो बैक” के नारे लगाये | ये लोग २००१ के पार्लियामेंट हमले में दोषी अफजल गुरु के समर्थन में जे. एन. यू. में एक आयोजन करना चाहते थे | छात्र संगठन ऐ. बी. वी. पी. ने इस आयोजन का विरोध किया एवं आंदोलन की धमकी दी | जिस के बाद दोनों गुटों में हिंसक झड़प भी हुई |
आखिर कब तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोही बयानबाजी, हंगामा और अन्य आयोजनों को सही ठहराया जाता रहेगा ? क्यों ऐसे देशद्रोही विचार रखने वाले लोगों और संगठनों पर कड़ी कार्रवाही नहीं की जाती ? क्यों जब भी कोई ऐसे लोगों का विरोध करता है तो कई राजनैतिक पार्टियां और अन्य संगठन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इन लोगों के बचाव में आ जाते हैं ?
बच्चे और युवा इस देश का भविष्य हैं | लेकिन ऐसे युवा जो आज इस कम उम्र में ही देश विरोधी हंगामों में लगे हुए हैं, वो क्या भविष्य देंगे इस देश को ? ऐसे शिक्षण संस्थान जहाँ इस तरीके की सोच के लोग भरे हुए हों, वहाँ आगे भी जो छात्र पड़ने आएंगे वो क्या सीखेंगे ? कहीं हम अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर इस देश को उस दिशा में तो नहीं मोड़ रहे जहाँ से एक गृहयुद्ध की शुरुआत होगी ?
ऐसी देशद्रोही सोच फैलाने वाले लोगों और इन का समर्थन करने वाले लोगों पर अगर तुरंत ही कोई कड़ी कार्रवाही करनी शुरू नहीं हुई तो ये लोग इस देश के लिए भविष्य में बहुत घातक साबित होंगे |