Thursday, November 14, 2024
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जरुरी है भारत का बलोचिस्तान को पाकिस्तान से आज़ादी के लिए समर्थन करना

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हालांकि बांग्लादेश की पाकिस्तान से आज़ादी के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में समय के साथ कुछ ऐसी खटास भी रही कि आज हम बांग्लादेश को भारत का कोई बहुत अच्छा मित्र तो नहीं कह सकते | एन डी ऐ सरकार में हाल ही में बांग्लादेश के साथ हुए कुछ समझौतों के बाद लगता है कि शायद यदि दोनों देश इसी रस्ते पर आगे बड़े तो भारत बांग्लादेश की मित्रता भी अच्छी हो जाएगी और फ़िलहाल दोनों देश इस दोस्ती के पक्ष में भी दिखाई दे रहे हैं |

अलग बांग्लादेश की मांग के साथ जो एक और आज़ादी की मांग पाकिस्तान का सर दर्द बनी वो है अलग बलोचिस्तान देश की मांग | आये दिन हम मीडिया की कई रिपोर्ट्स देखते हैं कि किस तरह पाकिस्तान अपनी सेना के जोर और अत्याचार से बलोचिस्तान की जनता की आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है और किस तरह बलोचिस्तान की जनता आये दिन पाकिस्तान विरोधी नारे एवं बलोचिस्तान की आज़ादी के नारे लगाते हैं | बलोच नेताओं के दिए कई बयानों से यह भी स्पष्ट है कि वो अपनी इस आज़ादी की लड़ाई में भारत का समर्थन चाहते हैं |

केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी जी के आने के बाद भारत ने कुछ ऐसे कदम उठाये जिस से कि बलोचिस्तान क्षेत्र की सीमाओं पर भारत की पकड़ बढ़ती जा रही है | पाकिस्तान को इस तरह से घेरने के पीछे मौजूदा सरकार का उद्देश्य जरुरत पड़ने पर पाकिस्तान पर दवाब डालना है या फिर बलोचिस्तान की आज़ादी में मौजूदा सरकार की दिलचस्पी है ये तो पता नहीं | अब मौजूदा सरकार के जो ये कदम हैं उन पर नज़र डालिये | हमने इन कदमों के बारे में अपने एक पुराने लेख में भी लिखा था |

सबसे पहले तो इस नक़्शे पर एक नज़र डालिये | इस नक़्शे में पाकिस्तान के अंदर का लाल हिस्सा बलोचिस्तान है | बलोचिस्तान की सीमा एक तरफ अफगानिस्तान और ईरान से लगी हुई है और एक तरफ समुद्र है जहाँ से भारत और संयुंक्त अरब अमीरात की सीमा बहुत ज्यादा दूर नहीं है | ईरान ने चाबहार बंदरगाह का उपयोग करने की भारत को इज़ाज़त दे दी है | ये बंदरगाह भी इस नक़्शे में दिखाया गया है |

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आप इस को देखकर काफी कुछ समझ ही गए होंगे | अफगानिस्तान से भारत के सम्बन्ध लगातार अच्छे होते जा रहे हैं और अब अफगानिस्तान खुले तौर पर भारत को अपना दोस्त और पाकिस्तान को अपने लिए खतरा बताता है | संयुक्त अरब अमीरात और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और ऐसे समय में प्रधानमंत्री मोदी जी की संयुंक्त अरब अमीरात की यात्रा के बाद से भारत और संयुंक्त अरब अमीरात के रिश्ते काफी तेज़ी से अच्छे होते जा रहे हैं | ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते भी अब अच्छे नहीं हैं और ईरान भी पाकिस्तान की जगह भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है | यदि पाकिस्तान के रिश्ते अफगानिस्तान, ईरान और संयुंक्त अरब अमीरात से इसी तरह से ख़राब होते गए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी कि यदि भारत पाकिस्तान के किसी युद्ध में इन देशों के सामने कोई ऐसी स्थिति आये कि इनको दोनों में से एक को चुनना हो तो वो भारत को चुनें | ऐसी स्थिति आई तो फ़िलहाल तो संभावना इस बात की ज्यादा लगती है कि ये देश ऐसे समय में भारत का साथ देना ज्यादा पसंद करेंगे | हालाँकि इन देशों से ये उम्मीद करना फ़िलहाल जल्दबाजी ही होगी |

पाकिस्तान में जो भारत की मौजूदा सरकार को लेकर एक जो हलचल है उस को भड़काने में इस नए समीकरण का भी कभी योगदान है | भारत में आजकल अचानक से कुछ लोगों का आतंकियों के समर्थन में और भारत की बर्बादी के नारे लगाना, अचानक से असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को घेरा जाना आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिस से कि ये भी दिखाई देता है कि पाकिस्तान अपने नेटवर्क का भी इस्तमाल कर रहा है भारत के इन कदमों का जवाब देने के लिए | इसी कारण से इन सभी मामलों में हमारे कई नेताओं, पत्रकारों एवं कथित समाज सेवी संस्थाओं की भूमिका भी संदेह के घेरे में लगती है |

यदि पाकिस्तान से बलोचिस्तान का हिस्सा टूट कर अलग हो जाता है तो इस से भारत को एक नया मित्र देश मिलेगा वहीँ पाकिस्तान को अपनी सीमा से लगा हुआ एक नया दुश्मन | इस बटवारे के बाद पाकिस्तान के पास सिर्फ पंजाब और सिंध प्रान्त बचेंगे जिस में अल कायदा आदि आतंकी संगठनों की मौजूदगी से पाकिस्तान को आगे जाकर बहुत ज्यादा परेशानी होगी और साथ ही ये देश अपनी आपस की लड़ाई से काफी ज्यादा कमजोर हो जायेगा | पाकिस्तान जितना कमजोर होगा उतना ही भारत में आतंकवाद काम होगा | पाकिस्तान के कमजोर होने से चीन एवं अन्य भारत विरोधी ताकतों को भी भारत विरोधी कामों में काफी कठिनाई आएगी | ये मुख्य कारण हैं जिस वजह से भारत को बलोचिस्तान की आज़ादी का खुले तौर पर या फिर परदे के पीछे से समर्थन करना जरुरी है |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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