भगवान एवं आत्माओं के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले लोगों को एक बार मेहंदीपुर बाला जी धाम जरूर जाना चाहिए | वहाँ जो भी कुछ होता है उसको देखकर धर्म, भगवान एवं आत्माओं को न मानने वाले लोगों के मन में कई ऐसे सवाल पैदा होंगे जिनका जवाब विज्ञान के पास न है और न होगा | इन सवालों का जवाब सिर्फ श्रद्धा और विश्वास से ही दिया जा सकता है |
राजस्थान के करौली एवं दौसा जिलों के सीमाक्षेत्र पर है श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम जहाँ भगवान हनुमान जी बाला जी रूप में विराजमान हैं | बाला जी महाराज के मंदिर के ठीक सामने भगवान राम, माता सीता एवं लक्ष्मण जी का मंदिर है | बाला जी महाराज के मुख्य मंदिर स्थल में भैरव बाबा एवं प्रेतराज सरकार जी भी विराजमान हैं |
यहाँ भक्त अनेकों तरह के कष्टों के निवारण के लिए दूर दूर से दर्शन के लिए आते हैं | यहाँ की जाने वाली हर एक पूजा एवं प्रार्थना की एक निर्धारित विधि है अतः यदि आप इस स्थान पर दर्शन के लिए या अपने किसी कष्ट के निवारण के लिए जा रहे हैं तो उचित होगा की इन विधियों के बारे में वहाँ पहले अच्छे से पता कर लें और फिर उनको करें | इस स्थान पर आपकी समस्याएं भगवान बाला जी ही सुलझाते हैं | यदि कोई व्यक्ति आपकी समस्यायों को सुलझाने का दावा करके आपसे पैसे मांगे तो उस की बातों में न आएं | यदि आप किसी भी तरह की कोई जानकारी चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप श्री राम मंदिर में मंदिर समिति के ऑफिस में जाकर पूछें, वहाँ आपको सही जानकारी दी जाएगी | किसी ठग की बातों में न आयें |
इस मंदिर से जुडी कुछ जानकारियां आपके लिए –
१) इस मंदिर में टोटकों एवं बुरी आत्माओं द्वारा दिए जाने वाले कष्टों के निवारण के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं | मान्यता है कि भगवान श्री बाला जी स्वयं ही दुष्टात्माओं को सजा देते हैं और इस सजा का दर्द उस व्यक्ति को नहीं बल्कि उस पर हावी दुष्टात्मा को होता है | जिस व्यक्ति पर कोई आत्मा हावी होती है उसे आरती के समय एवं मंदिर परिसर में आप भगवान बाला जी से रहम के लिए गिड़गिड़ाते देख सकते हैं, ये लोग उस समय बहुत दर्द से चिल्लाते हैं, जोर जोर से अपना सर दीवार में या लोहे की सलाखों में मारते हैं, जमीन पर जोर जोर से गिरते हैं जैसे कि कोई इनको मार रहा हो लेकिन आपको कहीं भी कोई भी इनको सजा देते नहीं दिखेगा | यह भगवान का चमत्कार ही है कि इतने जोर से सर मारने, गिरने के बाद भी आपको उस व्यक्ति के शरीर पर एक खरोंच भी नहीं दिखेगी | आप इस स्थान पर यदि ऐसे किसी व्यक्ति को देखें तो उस का मजाक न बनाएं, उनसे दूर रहें और जब आप दर्शन के लिए लाइन में लगे हों तो ऐसे लोगों का मार्ग न रोकें और उनको आगे जाने के लिए स्थान दें और इन से बात करने की बिलकुल भी कोशिश न करें |
२) दरखास्त – इस स्थान पर पहुंचने के बाद आपको पहले भगवान श्री बाला जी महाराज के दर्शन करके दरखास्त लगानी होगी | दरखास्त का सामान (एक दौना जिस में कि कुछ छोटे छोटे लड्डू एवं बतासे होते हैं) आपको मंदिर परिसर के बाहर ही दुकानों पर मिल जायेगा | इस दौने को लेकर आपको मंदिर में दर्शन के लिए जाना होगा | इस दौने में जो भी प्रसाद का सामान होता है उसे अपने हाथ से आपको कहीं भी नहीं चढ़ाना है | मंदिर में पुजारी जी उपस्थित होंगे और वो विधि के अनुसार स्वयं ही उस दौने में से भोग उठा कर बाला जी महाराज, भैरव बाबा एवं प्रेतराज सरकार तीनों स्थानों पर चढ़ा देंगे | तीनों स्थानों पर भोग चढ़ने के बाद आपको मंदिर में बने एक अलग स्थान पर उस दौने को अपने सर के ऊपर से 5 बार घुमाकर (घड़ी चलने की विपरीत दिशा में) बिना पीछे देखे फेकना होता है | इस दौने में से कुछ भी आपको खाना नहीं है | मंदिर में आपको पुजारी जी प्रसाद अलग से देंगे | इस के अलावा आप अलग से मिश्री के प्रसाद की सामग्री बाहर से खरीद कर अपने साथ मंदिर में ले जा सकते हैं और पुजारी जी से उस को चढ़वा सकते हैं | मंदिर में पुजारी जी द्वारा दर्शन के समय अलग से दिए लड्डू एवं आपका चढ़ाया हुआ यह मिश्री का प्रसाद एवं सवामणी (इस के बारे में आगे बताता हूँ), बस यही तीन प्रसाद हैं जो आप खुद भी खा सकते हैं और लोगों को बाँट भी सकते हैं | इन के अलावा न तो आपको किसी को कोई प्रसाद देना है और न ही लेना है |
३) अर्ज़ी – यदि आप इस स्थान पर अपने किसी कष्ट के निवारण के लिए गए हैं हैं तो आपको अर्ज़ी भी लगाना चाहिए | दरखास्त की ही तरह अर्ज़ी की सामग्री (लडडू, उबली दाल, चावल) आपको बाहर दुकानों से मिल जाएगी और इस सामग्री को आप मंदिर में दर्शन के लिए जाते समय साथ ले जाएं | यहाँ भी आपको कुछ नहीं करना है | पुजारी जी स्वयं ही इस में से सामग्री लेकर उसे चढ़ाएंगे | तीनों स्थानों पर प्रसाद चढ़ जाने के बाद इस में से आप दो लडडू निकाल लें और फिर बची सामग्री को भी आपको दरखास्त की ही तरह अपने सर के ऊपर से ५ बार घुमाकर पीछे फेकना होता है | ऐसा करने के पहले आप भगवान बाला जी महाराज से अपने कष्ट के निवारण के लिए प्रार्थना कीजिये | जो दो लडडू आपने निकाल कर रखे थे वो सिर्फ आपको ही खाने हैं | लडडू प्रसाद चढ़ जाने के बाद आप दुकानदार से उबली दाल एवं चावल का प्रसाद ले आएं एवं उस को भी सर के ऊपर से उसी तरह घुमा कर पीछे बिना देखे फेक दें |
४) सवामणी – यदि आप वहाँ भंडारा करना चाहते हैं तो श्री राम मंदिर में मंदिर समिति के ऑफिस में जाकर सवामणी बुक करा सकते हैं | यह दो प्रकार की होती है एक में पूरी, सब्जी एवं हलुवा होता है और दूसरे में पूरी, सब्जी एवं लडडू | यदि आप सवामणी प्रसाद स्वयं लोगों में बांटना चाहते हैं तो आप वह मंदिर में से सवामणी प्रसाद लेकर स्वयं बाँट सकते हैं | मंदिर समिति यह प्रसाद बच्चों के स्कूलों में बंटवाने की भी सुविधा देती है तो आप यह भी करवा सकते हैं | सवामणी प्रसाद बच्चों में बंटवाने की व्यवस्था मुफ्त है और आपको बस सवामणी प्रसाद की सामग्री के लिए पैसे देने होंगे |
५) श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम में आपको कहीं भी प्याज एवं लहसुन से बना हुआ खाना नहीं मिलेगा | आप अपने साथ भी प्याज एवं लहसुन से बना हुआ खाना श्री मेहंदीपुर धाम में न ले जाएं | श्री मेहंदीपुर बाला जी धाम में शराब एवं मांसाहार करना मना है तो इसका भी ध्यान रखें |
६) आरती सुबह एवं शाम दो समय होती है | कम से कम एक आरती में जरूर शामिल हों |
यदि आप इस धाम के बारे में कोई और जानकारी लेना चाहें तो कमेंट में लिखें हम आपको वो जानकारी देने का पूरा प्रयास करेंगे |