एन आई टी मुद्दे पर कई लोग राज्य में भाजपा की सरकार में भागीदारी पर सवाल उठा रहे हैं तथा कह रहे हैं कि क्यों भाजपा ऐसी सरकार का हिस्सा बनी हुई है | इस बारे में मैंने भी सोचा कि मैं अपनी राय लिखूं |
भाजपा की राष्ट्रवादी और पाकिस्तान-विरोधी छवि के बारे में आप सभी को पता है | जिस तरह से केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से होने वाली गोलीबारी का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए बी एस एफ को खुली छूट दी वह भी मौजूदा सरकार की सोच को जाहिर करता है | संयुक्त राष्ट्र एवं दुनिया के सामने शांति वार्ता को लेकर पाकिस्तान के असली चेहरे को बेनकाब करने के लिए सत्ता में आने के बाद मोदी जी ने पाकिस्तान को शांति वार्ता करने के मौके दिए और हर बार पाकिस्तान अपनी आदत के अनुसार एक हद के बाद अपने किसी न किसी काम से ये शांति वार्ता को असफल बनता रहा | इसका भी फायदा भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करने में होगा |
मौजूदा केंद्र सरकार ने किस तरह पाकिस्तान पर दवाब डालने के लिए विवादित बलोचिस्तान क्षेत्र को घेरने की रणनीति बनायीं है उस पर भी मैंने एक बार एक लेख लिखा था | वह लेख आप नीचे दी हुई लिंक पर पड़ सकते हैं |
जरुरी है भारत का बलोचिस्तान को पाकिस्तान से आज़ादी के लिए समर्थन करना
कश्मीर के हालात तो आप सभी जानते हैं कि वहां किस तरह अलगाववादियों, अन्य पाकिस्तान परस्त संगठनों एवं आतंकी संगठनों ने अपनी ताकत एवं सक्रियता बहुत ज्यादा बड़ा ली है | जिस तरह से लगातार इनकी ताकत बड़ी है वह देखकर तो यही लगता है कि या तो पिछली सभी राज्य सरकारें इन सभी को कमजोर करना चाहती ही नहीं थीं या फिर वो इस काम में पूरी तरह से असफल रहीं |
यदि कश्मीर में ऐसी ही गैर-भाजपा सरकारें बनती रहीं तो वह दिन दूर नहीं होगा जबकि ये भारत विरोधी ताकतें इतनी ज्यादा मजबूत हो जाएँगी कि हमारी सेना को इन पर काबू करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ जायेगा | आम जनता में यदि इसी तरह अलगाववादियों के लिए समर्थन बढ़ता रहा तो वह भी देश के लिए घातक होगा |
सत्ता में भाजपा के होने से इन अलगावादियों में भी बेचैनी का माहौल है और इसीलिए अपने किसी न किसी संपर्क के जरिये ये लोग इस तरह के मुद्दे उठवाते रहते हैं कि भाजपा क्यों इस सरकार में है या फिर भाजपा का राष्ट्रवाद कहाँ गया जम्मू कश्मीर में पी डी पी से हाथ मिलते समय | अब आये दिन कश्मीर से सेना और आतंकियों की मुठभेड़ की भी ख़बरें आ रहीं हैं | सेना कश्मीर में अब तक आराम से छुपे हुए आतंकियों को आये दिन मुठभेड़ में मार रही है | पठानकोट हमला भी शायद सेना की इन्ही कार्रवाहियों का जवाब देने के लिए रचा गया होगा |
मेरी व्यक्तिगत राय में अभी के हालात में तो कश्मीर में अलगाववादियों पर सबसे ज्यादा दवाब भाजपा ही डाल सकती है | अन्य पार्टियां या तो अपनी कथित धर्मनिरपेक्षता की वजह से या फिर अपनी पाकिस्तान परस्त सोच की वजह से इन अलगाववादियों का काम आसान ही बनाएंगी | उदाहरण के लिए एन आई टी में हुए पुलिसिया अत्याचार के बाद वहां से लोकल पुलिस हटाकर राष्ट्रवादी सुरक्षा दल सी आर पी एफ की तैनाती का फैसला मुझे नहीं लगता कि कोई और पार्टी लेती | अब सी आर पी एफ के जवानों के सामने कॉलेज में न तो कोई भारत विरोधी नारे लगाने की हिम्मत करेगा और न ही राष्ट्रवादी छात्रों पर हमला करने की हिम्मत करेगा | जे एन यू मुद्दे पर भी जिस तरह केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया था वह भाजपा की सोच को दर्शाता है और जिस तरह से कई अन्य राजनीतिक दलों ने जे एन यू में हुई इस भारत विरोधी नारेबाजी को अभिव्यक्ति की आज़ादी साबित करते हुए केंद्र सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाही का विरोध किया वह इन अन्य राजनीतिक दलों की सोच को दर्शाता है |
जम्मू कश्मीर सरकार भाजपा के लिए एक अग्नि परीक्षा की तरह भी है | यहाँ एक तरफ तो भाजपा को सरकार में बने भी रहना है और दूसरी तरफ अपनी राष्ट्रवादी सोच को भी कायम रखना है | देखते हैं आने वाले समय में भाजपा अपनी सोच के साथ किसी तरह का कोई समझौता करती है या फिर अपनी राष्ट्रवादी छवि को बनाए रखती है | फ़िलहाल आज के हालात में तो मेरी व्यक्तिगत राय में कश्मीर में भाजपा का सत्ता में बने रहना अत्यन्त आवश्यक है | इस बारे में आप भी अपनी राय कमेंट में लिखें |