जाकिर नाईक की संस्था आई. आर. एफ. पर भारत सरकार द्वारा पहले पांच साल के लिए प्रतिबन्ध लगाया गया तब कई कथित सेक्युलर नेताओं और कट्टरपंथी मुस्लिम उलेमाओं को आपत्ति हुई थी | एक तरफ तो कहते हैं कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता और कोई मजहब नहीं होता | दूसरी ओर आतंकवादियों, देशद्रोही अलगाववादियों, पाकितनी आतंकवादियों आदि पर कार्यवाही की जाती है तब अनेकों प्रकार के सवाल उठाये जाते हैं | सीधी बात है कि ऐसे अलगाववादियों व आतंकवादियों का समर्थन व सहयोग करने, देश में अराजकता फैलाने, भारतीय महान परम्पराओं व संस्कृति को अन्धविश्वाश व पिछड़ापन बताने, इनको मानने वालों को दकियानूसी बताने, भारतीय धर्मों की खिल्ली उड़ाकर उसके विरोध का वातावरण तैयार करने के लिए भारत में भारी विदेशी धन आता है जिसके आधार पर बहुत सारे एन. जी. ओ. पलते आ रहे हैं तथा उनके घर भरे जा रहे हैं | इसी विदेशी धन से बड़ी संख्या में बिकाऊ साहित्यकार व मीडिया से जुड़े लोग भी तैयार किये जाते हैं | इसका एक मात्र उद्देश्य भारतीय जनमानस में सामाजिक समन्वय व समरसता समाप्त करना, सांस्कृतिक – धार्मिक – नैतिक मूल्यों को कमजोर करना, लोगों के मन-मस्तिष्क में देश के प्रति समर्पण कम करना, कर्त्तव्य निष्ठा से बिमुख करना है ताकि भारतियों की देशभक्ति तथा धर्म व संस्कृति के प्रति आस्था कम हो जाये तथा हमारा देश एकजुट राष्ट्र का स्वरुप खोकर एक मेला का स्वरुप लेले | उस स्थिति में देश की सीमाएं भी सिकुड़ेंगी, देश के फिर से विभाजन होंगे और उसके पूर्व दुनिया के विकसित और विस्तारवादी देशों का बाजार भी बन जायेगा | फिर इस देश का वर्तमान स्वरुप बचाना असंभव होगा |
वर्तमान में केंद्र व कुछ प्रदेशों में बैठी सरकारें तथा उनके मुखिया श्री नरेंद्र मोदी जी सब कुछ देख भी रहे हैं और तेजी से उपाय भी खोजकर उन्हें क्रियान्वित भी कर रहे हैं | जाकिर नाईक पर शिकंजा इसी का परिणाम है | उसके दस ठिकानों पर छापा डाला गया, धारा 153 A के अन्तर्गत एफ. आई. आर. भी हो गयी | जांच के बाद कई चौंकाने वाले राज खुलेंगे | देश में जाकिर नाईक जैसे लोग बहुत बड़ी संख्या में हैं जिन पर एक एक करके कार्यवाही अपेक्षित है |