इस देश में कुछ लोग खुद को इस्लाम का ठेकेदार माने बैठे हैं | आये दिन इस तरह की बातें करते हैं जैसे उनसे ज्यादा इस्लाम को जानने वाला और मानने वाला और कोई दूसरा इस दुनिया में नहीं है | जब “भारत माता की जय”, “वन्दे मातरम” बोलने या “गौ-मांस बैन” या “योग” की बात आती है तो ये ठेकेदार पूरी ऊर्जा के साथ इस सब को इस्लाम में हराम बताकर इनका विरोध करते हैं |
कुछ मुस्लिम महिला संगठनों ने तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे देने के कानून के खिलाफ आवाज उठाई तथा मुस्लिम महिलाओं के हक़ की लड़ाई लड़ने की कोशिश की तो इन्ही ठेकेदारों ने इन महिलाओं का भी खुलकर विरोध किया था |
बांग्लादेश में एक भारतीय लड़की को कुरान की आयत न आने की वजह से जान से मार दिया गया | इन ठेकेदारों ने इस घटना को इस्लाम में हराम बताकर उस का विरोध अभी तक शुरू नहीं किया | आखिर क्या वजह है कि जब कभी कोई आतंकी इस्लाम के नाम पर किसी गैर-मुस्लिम को जान से मरता है तो इन तथाकथित ठेकेदारों में एक चुप्पी छा जाती है ?
समय आ गया है जबकि सभी शांतिप्रिय एवं देशभक्त मुसलमानों को ऐसे सभी तथाकथित ठेकेदारों एवं उनके समर्थकों का खुलकर विरोध करना चाहिए |
समस्या सिर्फ ये तथाकथित ठेकेदार ही नहीं बल्कि उन पर आँख बंद कर के भरोसा करने वाले उन के अनुयायी भी हैं | ये सभी अनुयायी इन ठेकेदारों के प्रति इतना ज्यादा जुड़ाव रखते हैं कि यदि कोई सरकार ऐसे झूठे ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाही करने का मन बनाए तो ये उस सरकार का पूरी ताकत के साथ विरोध करेंगे और इनके वोट न देने से ये भी हो सकता है कि अगली बार वो राजनैतिक दल दुबारा सरकार ही न बना पाए |
सिर्फ किसी बनावटी ठेकेदार की आवाज पर मरने मारने के लिए उतारू हो जाने वाले मूर्खों से मैं यही पूछना चाहता हूँ कि आपने कभी अपने धर्म ग्रन्थ खुद क्यों नहीं पढ़े ? क्यों आप हमेशा किसी दूसरे के द्वारा दी हुई धर्म की परिभाषा पर आँख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं ? जब तक आप जैसे अंधे अनुयायी अपने अपने धर्म के इन तथाकथित ठेकेदारों की बातों में आते रहे तब तक न तो आपको आपके धर्म का सार समझ आएगा न ही धर्म शब्द का मतलब | क्यों आप स्वयं ही अपने धर्म के ग्रन्थ पढ़कर अपने धर्म को समझने की कोशिश नहीं करते हैं ? यदि आपको आपके ग्रन्थ नहीं समझ आते तो कम से कम इतना तो समझिए कि कोई भी धर्म नफरत करना नहीं सिखा सकता और यदि कोई धर्म नफरत करने को कहता है तो वो धर्म हो ही नहीं सकता |