पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड में इंसानों की लड़ाई में घोड़े की टांग टूटने की दुखद घटना को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया गया | कई तथाकथित विचारकों, नेताओं, समाज सुधारकों एवं अन्य लोगों ने इस घटना का काफी विरोध किया और भाजपा विधायक पर आरोप लगते हुए कड़ी कार्रवाही की मांग की | हालाँकि बाद में सामने आई कुछ फोटो एवं वीडियो से ये साफ़ हो गया कि घोड़े की टांग में ये चोट भाजपा विधायक के डंडे से नहीं लगी थी | मैं भी इंसानी लड़ाई में इस बेजुबान घोड़े के साथ हुए इस हादसे का विरोध करता हूँ और चाहता हूँ कि इंसान अब बेजुबान पशुओं पर जाने या अनजाने में कोई अत्याचार न करें |
लेकिन एक बहुत बड़ा सवाल यह है कि इस देश में इस घोड़े के प्रति सहानुभूति दिखने वाले ये तथाकथित पशु-पक्षी प्रेमी विचारक लोग तब क्यों सरकार के विरोध में खड़े हो जाते हैं जब गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने की बात होती है ? चलिए ये तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग गाय को माता नहीं मानते, कोई बात नहीं, कम से कम इस घोड़े जैसा ही पशु मान के गौ हत्या का विरोध कर देते | क्या उत्तराखंड के इस घोड़े पर हुई क्रूरता गलत है लेकिन गौ माता पर होने वाली क्रूरता सही ? यदि इन कथित विचारकों के अनुसार पशुओं पर क्रूरता गलत है तो फिर ये लोग गौ हत्या का विरोध क्यों नहीं करते हैं और यदि ये क्रूरता सही है तो फिर ये लोग उत्तराखंड के घोड़े से क्यों सहानुभूति दिखा रहे हैं ?
मैं इन सभी तथाकथित विचारकों से कहना चाहता हूँ कि आप लोग ऐसी अलग अलग राय रखकर अपनी सच्चाई लोगों के सामने ला रहे हैं | आखिर साबित क्या करना चाहते हैं आप लोग ? आप सच में पशुओं पर होने वाली क्रूरता के खिलाफ हैं या किस अत्याचार का विरोध करना है और किस का समर्थन ये आपके लिए इस बात पर ज्यादा निर्भर करता है कि ये क्रूरता करने वाला व्यक्ति किस पार्टी, जाति या धर्म का है एवं इस क्रूरता का मुद्दा उठाकर विरोध करने वाला व्यक्ति किस पार्टी, जाति या धर्म का है ? क्या पशु के खिलाफ हुई क्रूरता सही है या गलत ये इस बात पर निर्भर करता है कि उस क्रूरता को करने वाले एवं उस का विरोध करने वाले इंसान कौन हैं ? क्या आप हर एक मुद्दा किसी न किसी राजनैतिक पार्टी के विरोध या समर्थन करने के लिए ही उठाते हैं ?
मैं जनता हूँ कि ऐसे किसी भी तथाकथित विचारक से मुझे कभी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि ये सब बस किसी न किसी राजनैतिक पार्टी के समर्थन या विरोध में ही मुद्दे उठाते हैं | असली मुद्दा है क्या, इस बात से इनको कोई मतलब नहीं है |
मैं चाहता हूँ कि इस देश का हर एक नागरिक आज ये तय करे कि उस को पशु पक्षियों पर अलग अलग नाम से होने वाली क्रूरता सही लगती है या गलत | पशु बलि कई हिन्दू, मुस्लिम एवं अन्य कई धर्मों के लोग आज भी करते हैं | मैं किसी की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं करना चाहता हूँ लेकिन फिर भी यह पूछूंगा कि धर्म की आप क्या परिभाषा रखते हैं ? आखिर में कैसे मान लूँ कि भगवान, अल्लाह या गॉड खुश होंगे आपको इन बेजुबान पशु पक्षियों पर जुल्म करता देख कर ? धर्म के प्रति मेरी जितनी समझ है वो तो यही कहती है कि चाहे भगवान बोलो या अल्लाह या गॉड ये हमारी इस क्रूरता से कभी खुश नहीं हो सकते और हमारे इस पाप को कभी माफ़ नहीं करेंगे |