अभी कुछ दिन पहले ही देश के कई सेक्युलर और बुद्दिजीवी लोग जलीकटटू खेल को जानवरों पर होने वाला अत्याचार बताकर उसका विरोध कर रहे थे | जगह जगह कई तरह से इन लोगों के द्वारा इस खेल के खिलाफ आवाज उठायी गयी | लेकिन यही लोग उस समय पूरी तरह से पलटी मार लेते हैं जब बात गौ-हत्या, बीफ बैन की हो | गौ-हत्या पर चर्चा करते समय न तो इन लोगों को गायों पर होने वाला अत्याचार दिखाई नहीं देता है और न ही अन्य मांसाहार पर चर्चा करते समय अन्य जानवरों पर होने वाला अत्याचार याद आता है | इनकी मानें तो सिर्फ जलीकटटू रोक देने से जानवरों का भला हो जायेगा |
सच्चाई यही है कि जलीकटटू से इनका विरोध इस बात का नहीं था कि इस में किसी जानवर पर कोई अत्याचार होता है या नहीं बल्कि इनका विरोध इस बात का था कि इस खेल को खेलने वाले लोग किस धर्म के हैं | मांसाहार करने वालों के मुंह से पशु प्रेम की बातें अच्छी नहीं लगती, चाहे वो चिकिन मटन खाने वाले वो हिन्दू हों जो कि गौ-हत्या का विरोध करते हैं या फिर गाय का मांस खाने वाले वो लोग हों को कि जलीकटटू का विरोध करते हों | या तो पूर्ण शाकाहारी बनें या फिर पशु प्रेम की बातें करना बंद करें |
इस देश में अभिव्यक्ति की आजादी एवं सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दू धर्म का विरोध कोई नयी बात नहीं है | गौ-हत्या पर बैन की जब भी बात होती है तो उसका विरोध भी इसी साजिश के तहत होता है | उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही गैरकानूनी कत्लखाने बंद करने के भाजपा के चुनावी वादे पर अमल करना शुरू जैसे ही किया तो सारे सेक्युलर लोगों को परेशानी हो गयी | तरह तरह के ऊलजलूल लेखों, समाचारों आदि के माध्यम से इसका विरोध किया जाने लगा | इस पूरे अभियान को कुछ ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे गैरकानूनी कत्लखानों के बंद हो जाने से उत्तर प्रदेश की जनता भूख के मारे मर जाएगी | आखिर गैरकानूनी कत्लखानों के बंद होने से किसी को कोई भी समस्या क्यों होनी चाहिए ? जो भी चीज गैरकानूनी है उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की इजाजत तो देश का संविधान भी देता है | इसमें कुछ भी गलत नहीं है लेकिन फिर भी सेकुलरिज्म के ठेकेदार इस अभियान के विरोध में तरह तरह के अभियान छेड़े हुए हैं |
देश की जनता सेकुलरिज्म के नाम पर होने वाले हिन्दू विरोध से त्रस्त हो चुकी है और इसकी झलक उत्तर प्रदेश के चुनाव के नतीजों में दिखाई भी दी | लेकिन इसके बावजूद सेक्युलर जमात अपनी हरकतों से बाज नहीं आई है | खैर यदि हए लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आये तो फिर आने वाले हर एक चुनाव में जनता सेकुलरिज्म के इन झूठे ठेकेदारों के खिलाफ वोट देकर अपना कर्त्तव्य पूरा करती रहेगी |