मैं ये नहीं कहूंगा कि आज किसी भी धर्म में सच्चे संत नहीं हैं | हैं, कई हैं और ऐसे सभी संतों का मैं आदर करता हूँ |
धर्म चाहे कोई भी हो आज उस को बदनाम करने में सब से बड़ी भूमिका उन धर्मों के कई तथाकथित ठेकेदार निभा रहे हैं | चाहे वो हिन्दू धर्म के नाम पर आपसे पैसे लेकर आपकी समस्याओं के समाधान का दावा करने वाले कई ढोंगी ओझा, तांत्रिक या टी वी, न्यूज़ पेपर एवं अन्य विज्ञापनों में किस्मत बदल देने का दावा करके अपने सामान बेचने वाले लोग हों, चाहे वो इस्लाम के कई तथाकथित ठेकेदार हों जो कि आए दिन इस्लाम/कुरान के बारे में गलत जानकारी देकर एक तरफ तो मुसलमानों को गलत शिक्षा देते हैं और दूसरी तरह अन्य धर्मों के लोगों में इस्लाम के प्रति नफरत पैदा कर रहे हैं या फिर चाहे वो ईसाई धर्म के वो तथाकथित ठेकेदार हों जो समाज सेवा के नाम पर धर्म परिवर्तन का व्यापार सज़ाए बैठे हैं या फिर इसी तरह के काम करने वाले अन्य धर्मों के कई तथाकथित ठेकेदार हों, ये सभी लोग अपनी इन अधर्मी हरकतों से अपने अपने धर्म को बदनाम करने में जुटे हुए हैं |
धर्म के नाम पर अधर्म करने वाले ऐसे सभी तथाकथित ठेकेदारों को मैं बस ठग ही मानता हूँ और ऐसे लोगों के प्रति मेरे दिल में किसी भी तरह का कोई आदर सम्मान का भाव नहीं है | धर्म को बदनाम करने के जिम्मेदार सिर्फ ये धर्म के तथाकथित ठेकेदार ही नहीं बल्कि उन पर आँख बंद कर के भरोसा करने वाले उन के अनुयायी भी हैं | ये सभी अनुयायी इन धर्म के ठेकेदारों के प्रति इतना ज्यादा जुड़ाव रखते हैं कि यदि कोई सरकार ऐसे झूठे ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाही करने का मन बनाए तो ये उस सरकार का पूरी ताकत के साथ विरोध करेंगे और इनके वोट न देने से ये भी हो सकता है कि अगली बार वो राजनैतिक दल दुबारा सरकार ही न बना पाए |
सिर्फ किसी बनावटी ठेकेदार की आवाज पर मरने मारने के लिए उतारू हो जाने वाले मूर्खों से मैं यही पूछना चाहता हूँ कि आपने कभी अपने धर्म ग्रन्थ खुद क्यों नहीं पढ़े ? क्यों आप हमेशा किसी दूसरे के द्वारा दी हुई धर्म की परिभाषा पर आँख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं ? जब तक आप जैसे अंधे अनुयायी अपने अपने धर्म के इन तथाकथित ठेकेदारों की बातों में आते रहे तब तक न तो आपको आपके धर्म का सार समझ आएगा न ही धर्म शब्द का मतलब | हर धर्म के अपने कोई न कोई ग्रन्थ हैं | क्यों आप स्वयं ही अपने धर्म के ग्रन्थ पढ़कर अपने धर्म को समझने की कोशिश नहीं करते हैं ? यदि आपको आपके ग्रन्थ नहीं समझ आते तो कम से कम इतना तो समझिए कि कोई भी धर्म नफरत करना नहीं सिखा सकता और यदि कोई धर्म नफरत करने को कहता है तो वो धर्म हो ही नहीं सकता | भगवान कहो या अल्लाह या गॉड, उन के अलावा कोई भी आपकी किस्मत नहीं बदल सकता | लोगों की मजबूरी का फायदा उठा के उनका धर्म परिवर्तन करा देने से आपके धर्म के आराध्य खुश नहीं हो सकते | अधर्म के रास्ते पर चलकर आप धर्म की रक्षा नहीं कर सकते |
मैं सभी धर्मों के सच्चे संतों का आदर करता हूँ और झूठे ठेकेदारों का विरोध | मैं किसी का अँधा अनुयायी नहीं हूँ और मैं यही चाहता हूँ कि कम से कम भारत में किसी भी धर्म में ऐसे अंधे अनुयायी न हों क्योंकि ऐसे अंधे अनुयायी ही धर्म एवं देश दोनों को बर्बाद करने में अहम भूमिका निभाते हैं |