अजीब देश है मेरा जहाँ मीडिया और नेता अन्याय का शिकार हुए इंसानों और जानवरों के प्रति हमदर्दी सिर्फ इस आधार पर दिखाते हैं कि इस से किस राजनैतिक दल को फायदा होगा और किस को नुकसान | डॉ. नारंग से कई गुना ज्यादा दिलचस्पी तो मीडिया की उत्तराखंड के घोड़े शक्तिमान में थी | लाशों के ढेर पर राजनीति कैसे करनी है ये ऐसे पत्रकार एवं नेता अच्छे से जानते हैं |
दिल्ली में डॉ. नारंग अपने बेटे के साथ क्रिकेट खेल रहे थे और इनकी बॉल बाइक पर सवार दो लड़कों को लग गयी | उनसे डॉ. नारंग ने बॉल लगने के लिए माफ़ी मांंग ली | थोड़ी देर बाद वो दोनों अपने साथ भीड़ लेकर आये और उस भीड़ ने डॉ. नारंग को पीट पीट कर मार डाला, बीच बचाव में उतरे उन के एक रिश्तेदार को भी काफी चोटें आईं |
दादरी हत्याकांड के बारे में दिन रात न्यूज़ चलाने वाले और इस घटना को देश में बढ़ती असहिष्णुता बताने वाले पत्रकार पूरी बेशर्मी के साथ दिल्ली में हुई इस घटना को छोटी सी घटना साबित करने पर तुले हुए हैं | यदि इस हत्याकांड में मरने वाला मुस्लिम होता और मारने वाले हिन्दू तो मीडिया ये न्यूज़ दिन रात चला रही होती एवं अब तक इस देश को पूरी तरह से असहिष्णु बता चुकी होती | लेकिन यहाँ मरने वाला हिन्दू है और इस घटना में केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री मोदी जी को असहिष्णुता के मुद्दे पर नहीं घेरा जा सकता है इसीलिए इस घटना में इन पत्रकारों एवं नेताओं की दिलचस्पी नहीं है और मीडिया में यह खबर एक छोटी मोटी घटना की तरह पेश कर दी गयी |
मैं बस यही कहूंगा कि मीडिया को इस तरह की सभी घटनाओं को बिना किसी भेदभाव के बराबरी से दिखाना चाहिए, उनकी निंदा करनी चाहिए और ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाही की मांग करनी चाहिए, भले ही अपराधी किसी भी धर्म या जाति के हों |
मीडिया और नेताओं को एक साथ ऐसी सभी घटनाओं का विरोध करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि देश में सांप्रदायिक सदभावना बनी रहे | सिर्फ अपनी गन्दी राजनीति के लिए कुछ मुद्दों को बड़ा चढ़ा कर दिखाना एवं कुछ मुद्दों को मामूली बताकर दबाने की कोशिश करना बंद करना होगा |