उ. प्र. भाजपा पूर्व उपाध्यक्ष के मायावती जी के प्रति कहे गए अपशब्दों से शुरू हुआ विवाद शुरू से ही भाजपा के लिए गले की फांस बन गया | परिणामस्वरूप भाजपा उपाध्यक्ष को पद से हटाया गया एवं पार्टी से भी निकाल दिया गया |
मोदी विरोधी नेता भाजपा एवं मोदी जी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते इसलिए इस विवाद में शुरू से ही बसपा की ओर से कड़े विरोध की उम्मीद थी और महिला के प्रति कहे गए अपशब्दों की वजह से उम्मीद की जा रही थी कि बसपा को इस मुद्दे से मायावती के प्रति जनता (ख़ास तौर पर दलित वर्ग) से काफी सहानुभूति मिलेगी | लेकिन बसपा ने जवाबी कार्रवाही में पूर्व भाजपा उपाध्यक्ष से भी ज्यादा गलत हरकतें कर दीं | बसपा समर्थकों ने पहले तो भाजपा पूर्व उपाध्यक्ष की धर्मपत्नी एवं १२ साल की मासूम बेटी के प्रति कई अपशब्द कहे और फिर उस के बाद इन अपशब्दों को कहने वालों पर न तो बसपा द्वारा कोई कार्रवाही की गयी और न ही इन कि कोई निंदा की गयी |
बसपा कार्यकर्ताओं द्वारा १२ साल की मासूम बच्ची को अपशब्द कहने के बाद से ही जनता की सहानुभूति एवं समर्थन जो कि मायावती को मिल सकता था वो अब पूर्व भाजपा उपाध्यक्ष की बेटी एवं धर्मपत्नी को मिल रहा है, और मिलना भी चाहिए | राजनीति अपनी जगह है लेकिन इस में नेताओं के परिवारों खासतौर पर इतनी काम उम्र के बच्चों को घसीटा जाना निंदनीय है |
भाजपा ने भी पलटवार करते हुए इस बेटी के सम्मान की रक्षा के लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू कर दिया | इस पूरे मामले में अब तक भाजपा का रुख अब तक बहुत अच्छा रहा | पहले तो गलत बयान देने वाले नेता की तुरंत छुट्टी करके जनता को यह सन्देश दिया कि भाजपा महिलाओं के प्रति अपशब्द कहने वालों की विरोधी है और ऐसे लोगों के लिए भाजपा में कोई स्थान नहीं है | फिर जब उस नेता की १२ साल की मासूम बेटी के प्रति बसपा कार्यकर्ताओं द्वारा अपशब्द कहे गए तो भाजपा ने उस का भी कड़ा विरोध किया और अब प्रदेश स्तर पर इस बच्ची के समर्थन एवं सम्मान में आंदोलन कर के एक बार फिर यही बात साबित की कि भाजपा महिलाओं के प्रति अपशब्द कहने वालों की विरोधी है |
इस मामले में फिलहाल जनता की नजर में भाजपा सही और बसपा गलत साबित होती दिखाई दे रही है | मतलब कि जिस मुद्दे पर बसपा अगले चुनाव के पहले जनता का अत्यावश्यक समर्थन प्राप्त कर सकती थी, अब उस मुद्दे पर जनता का समर्थन भाजपा के साथ है |