भोपाल की सेंट्रल जेल से दीपावली की रात्रि में सिमि के आठ आतंकवादी फरार हो गए और बाद में दस पंद्रह किलो मीटर के मध्य म. प्र. पुलिस ने उनका एनकाउंटर करके ढेर कर दिया | किसी भी प्रदेश की स्थानीय पुलिस हो उन पर कर्त्तव्य में ढील व उगाही के आरोप लगते रहते हैं | परंतु यदा कदा स्थानीय पुलिस भी बड़े बड़े काम करती रहती है | अनेकों बड़े अपराधों का खुलासा व कार्यवाहियों की घटनाएं सुनने में आती रहतीं हैं | भोपाल की जेल से भागे इन आतंकवादियों का चौबीस घंटे के अंदर एनकाउंटर व खात्मा बहुत बड़ी कार्यवाही है | इसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम होगी | पुलिस अन्य आर्म्ड फोर्सेस की कार्यवाही के पीछे सरकार की मंशा व इक्षाशक्ति भी बहुत महत्वपूर्ण होती है | सर्जिकल स्ट्राइक हो या बॉर्डर पर पाकिस्तान से फायरिंग व घुसपैठ का माकूल जवाब हो यह सब सैनिकों के पराक्रम का परिणाम होता है परंतु सरकार की नियत व हिम्मत उससे भी अधिक महत्व रखती है | मुजफ्फरनगर काण्ड हो मथुरा में बाबा जय गुरु देव के शिष्यों वाला काण्ड हो उसमें उत्तर प्रदेश सर्कार की गलत नीति व बुरी नियत के परिणाम थे | सर्जिकल स्ट्राइक एवं बॉर्डर पर होने वाली जवाबी कार्यवाही भी केंद्र सरकार की दृढ़ इक्षाशक्ति हिम्मत का परिणाम है | ठीक इसी तरह म. प्र. की शिवराज सिंह की सरकार भी बधाई की पात्र है | कार्यवाही तो पुलिस को ही करनी थी, सफलता पूर्वक त्वरित कार्यवाही की गयी उसके लिए पुलिस को श्रेय देना स्वाभाविक है |
कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने गन्दी राजनीति करना शुरू कर दिया और कहा कि वह भागे थे या भगाये गए थे ? अर्थात वे आरोप लगाना चाहते हैं कि इन आतंकवादियों को जेल से निकाला गया और भोपाल से कुछ दूरी पर ले जाकर उनका एनकाउंटर दिखा दिया | कुछ मीडिया चैनल भी सवाल उठा रहे हैं कि आतंकवादियों के पास जूते कहाँ से आये जबकि सेंट्रल जेल में उन्हें जूते रखने की अनुमति नहीं होती | साथ ही वह सभी नए कपडे पहने हुए थे, ये नए कपडे कहाँ से आये | अर्थात ऐसे मीडिया चैनल भी दिग्विजय सिंह का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रहे हैं | यह भी चर्चा की जा रही है कि पुलिस को इनका तत्काल सुराग कैसे मिला और महसुस्त पुलिस इतनी जल्दी कैसे पहुँच गयी | परंतु एक चैनल पर स्थानीय लोग दिखाए गए जिनमें से एक व्यक्ति अपनी गन लिए हुए है | उन्होंने बतलाया कि हम गाँव वालों ने उन्हें ललकारा भी एयर घेराबंदी भी की | आतंकवादियों ने भी जवाबी तौर पर ललकारा | पहाड़ी पर खड़े आतंकवादियों के मोबाइल से लिए फोटो भी दिखाए | इससे साडी कहानी साफ़ हो जाती है | चारो ओर समाचार फैल चुका था कि आतंकवादी एक हैडकांस्टेबल की हत्या करके फरार हो गए | गाँव वालों ने देखा और घेराबंदी भी की तथा पुलिस व प्रशासन को सूचना भी की होगी जिस पर पुलिस ने अपना काम किया | एक आतंकवादी परिवार ने एनकाउंटर को फ़र्ज़ी बताने की कोशिश की | दिग्विजय सिंह भी यही कहना चाहते हैं | परंतु एक हैड कांस्टेबल की हत्या स्वयं पुलिस या प्रशासन कराकर फ़र्ज़ी एनकाउंटर का प्लान नहीं बना सकती | कांग्रेस के के शासन में मोदी जी की गुजरात सरकार पर ऐसे आरोप लगे | बाटला हाउस की घटना में भी कांग्रेस व अन्य सेक्युलर पार्टियों ने देश द्रोहियों को बचाने का भरसक प्रयत्न किया | सर्जीकल स्ट्राइक पर राहुल गाँधी का खून की दलाली वाला बयान तथा केजरीवाल, अशोक गहलोत, संजय निरुपम तथा अन्य नेताओं के घटिया बयान व सवाल आये | देशद्रोहियों का बचाव तथा सेना, पुलिस व सरकार की यथोचित कार्यवाही पर सवाल उठाना भी देशद्रोह है | इस तरह की बयानबाजी व सवालों का देश की जनता को जवाबी करनी होगी तभी ये कथित सेक्युलर राजनैतिक लोग वोटों के गणित के चक्कर में देशद्रोह की सीमा तक जाने की हरकतें बंद करेंगे |