ये कविता मुझे फेसबुक पर एक मित्र के प्रोफाइल पर दिखी | यह कविता अजय अंजाम जी (औरैया) ने लिखी है | मैं अजय अंजाम जी को इस बहुत ही अच्छी कविता के लिए सादर धन्यवाद देता हूँ | कविता के नीचे उनके फेसबुक प्रोफाइल की लिंक है |
जूही के उपवन में गन्दी गन्ध नहीं होने देंगे
कुछ भी हो जाये पर भारत बन्द नहीं होने देंगे
पैसे खत्म हुए हैं लेकिन मन में गैरत जिन्दा है
नौजवान आँखों में सपनों वाला भारत जिन्दा है
अंधेयुग को काट रही हैं सूरज की उजली पांखे
तुम कहते हो बन्द करें हम ऐसे में अपनी आँखे
परिवर्तन का पुण्य यज्ञ हम विफल नहीं होने देंगे
बंदी का षड्यंत्र तुम्हारा सफल नहीं होने देंगे
सत्तर सालों से काला धन हमको काटे जाता था
मुफ़लिस और शाह में हमको अब तक बांटे जाता था
ये भीषण आघात हुआ है चोरों की मक्कारी पर
तीखी चोट पड़ी नस नस में बसी हुई बीमारी पर
मनोरुग्ण बिलबिला रहे हैं मोदी जी के निर्णय से
काल सर्प कुलबुला रहे हैं नाग यज्ञ के निश्चय से
भारत बंदी की बातें उन सांपो की फुंकारें हैं
आज कुंडली टूट रही है ये उसकी टंकारें हैं
ममता निर्ममता से सच की आँख फोड़ने निकली है
देशबंद का लिए हथौड़ा मुल्क तोड़ने निकली है
कुछ भ्रष्टजन और बिना मतलब विरोध पर उतरे हैं
कुछ अच्छा होने को है फिर भी निरोध पर उतरे हैं
बाकी पूरा देश फ़ैसले के पाले में खड़ा हुआ
जनमत संग्रह से दिखता है सब का निर्णय खुला हुआ
शब्दभेद शर चढ़ा हुआ है देशभक्ति की डोरी पर
ओ’ चौहानों चूक न जाना ये हमला है गोरी पर
राष्ट्र अस्मिता पर जब भी कोई संकट छा जाता है
भारत का हर लाल सड़क पर सैनिक बन आ जाता है
वर्दी वाले ठोंक रहे पाकी किस्मत के मारों को
हमको निपटाना है घर में घुसे हुए ग़द्दारों को
हाँ थोड़ी दिक्कत तो है ये सब स्वीकार कर रहे हैं
मोदी जी नित नव परिवर्तन अंगीकार कर रहे हैं
मुश्किल कम से कम हो इस पर हर दिन मेहनत जारी है
दवा कसैली लेनी होगी बहुत बड़ी बीमारी है
देशद्रोहियो सुनो, कभी प्रतिबंध नहीं होने देंगे
कसम उठाते हैं हम भारत बन्द नहीं होने देंगे
तुम सड़कों पर आओगे हम भी सड़कों पर उतरेंगे
जैसे चाहोगे तुमसे हम उसी तरह से निपटेंगे
सुनो अजय अंजाम चुनौती तुमको आज दे रहा है
बन्द विफल करवाने को प्रभु की सौगंध ले रहा है
हम बजार में जायेंगे, सब लोगों को समझायेंगे
तुम डंडे से बन्द करो, हम फूलों से खुलवाएंगे
वणिक बन्धुओ हाथ जोड़ कर तुमसे आज निवेदन है
बन्द न करना भारत माता का तुमसे आवेदन है
देश धर्म हित सब न्योछावर के जज्बे के अंशज हो
भूल न जाना आप लोग भामा शाहों के वंशज हो
देशविरोधी तत्वों से हरगिज़, हरगिज़ अनुबंध नहीं होगा
अट्ठाइस को किसी भी कीमत पर भारत बन्द नहीं होगा ॥
अजय अंजाम
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