Sunday, November 24, 2024
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बलूचिस्तान मांगे आज़ादी

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बलूचिस्तान का दर्द सारी दुनिया से अलग है और बलूचिस्तान के लोग सारी दुनिया से अलग भी हैं | उनकी कहानी इज़राइल से भी अधिक खौफनाक और दर्द भरी है | सन १९४२ ई. में विश्वयुद्ध के बाद जब ब्रिटिश शासन दुनिया के अपने सभी गुलाम देशों पर नियंत्रण रखने में सक्षम नहीं रहा तो कॉमनवेल्थ नेशन्स बनाकर सभी को अपने साथ जोड़कर रखने का काम पुख्ता किया | भारत पर लंबे समय तक राज़ करने की योजना के अन्तर्गत हिन्दू-मुसलमानों को लड़ाकर १९१६ में इंडियन नेशनल कांग्रेस और मुस्लिम लीग के जॉइंट सेशन में हुए लखनऊ पैक्ट के जरिये मुस्लिमों को असेंबली इत्यादि में अलग प्रतिनिधित्व का कानून बनाया जिसने आगे जाकर बगाल और फिर भारत के विभाजन की नींव रखी | बंगाल का बटवारा हो गया, ब्रह्मदेश (वर्मा और आजका म्यामार) तथा सिंगापुर अलग हो गया | और १९४७ में भारत का विभाजन हुआ और आज़ादी मिली | भारत की तमाम रियासतों को स्वतंत्रता दी गयी थी कि वह चाहें तो भारत में शामिल हों और चाहें तो अलग देश बना लें | परिणाम स्वरूप नेपाल, भूटान, सिक्किम अलग देश बन गए | लेकिन पाकिस्तान के साथ अलग नीति रही | दो टुकड़े होते हुए भी सिंध-पंजाब व पूर्वी बंगाल को मिलाकर एक देश बनाया जो पूर्वी व पश्चिमी पाकिस्तान कहलाये | बलूचिस्तान भी अलग देश बनना चाहता था | इसी उद्देश्य से लार्ड माउंटबेटिन, जिन्ना व बलूच राजा के बीच समझौता हुआ और बलूचिस्तान २२७ दिन सन १९४७ से १९४८ तक स्वतंत्र देश रहा | परंतु १९४८ में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर आक्रमण करके काळात पर कब्ज़ा कर लिया और बलूचिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा घोषित कर दिया | लगभग उसी समय पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण करके कश्मीर के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया | भारत की नेहरू सरकार ने न तो कश्मीर वापस लेने का प्रयास किया और न ही बलूचिस्तान का समर्थन किया | गिलगिट का उपयोग करने के लालच में तथा एशिया में अपनी दख़लन्दाज़ी और प्रभाव बनाने के लिए अमेरिका हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा | बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीन भी अपना सैनिक अड्डा बना रहा है और इसी उद्देश्य से वह पाकिस्तान की मदद कर रहा है | चीन से पाकिस्तान तक सड़क मार्ग से भारत नेपाल में हस्तक्षेप की पूरी तैयारी कर ली है और अब चीन बलूचिस्तान के बड़े भू भाग का उपयोग अपनी विस्तारवादी नीति के चलते करना चाहता है | भारत के साथ साथ अफगानिस्तान, ईरान सहित आसपास के देशों को इससे भविष्य में भारी परेशानियां होंगी |

हम सभी जानते हैं कि बलूचिस्तान पर पाकिस्तान सरकार व सेना सदैव बेहिसाब जुल्म करती आ रही है | बच्चों की पढ़ाई, रोजगार के साधन, सड़क – यातायात, उद्योग – व्यापार, खेती – सिंचाई किसी भी क्षेत्र में वहां कोई विकास नहीं किया गया | वहां की खनिज सम्पदा, प्राकृतिक सम्पदा का भरपूर दोहन करके पाकिस्तानी ऐश कर रहे हैं और बलूचिस्तानी गुलामों जैसी ज़िन्दगी जी रहे हैं | अमेरिका, यूरोप सहित दुनियां के सभी देश मौन हैं | वहां मानवाधिकारों का हनन जिस हद तक हो रहा है वह दुनिया का अकेला क्षेत्र है | लेकिन कोई भी प्रभावशाली देश उनका पक्ष लेने की बात तो दूर उनकी चर्चा करना भी पसंद नहीं करता | दुनिया के ठेकेदारों के लिए यह अत्यंत शर्म का विषय है | हम इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि कश्मीर में हिंदुओं के साथ बहुत जुल्म हुए | हत्याएं, बलात्कार, संपत्तियों पर कब्ज़ा, शासन प्रशासन के द्वारा भी जुल्म जितना पाक अधिकृत कश्मीर में हुआ उससे कहीं गुना अधिक बलूचिस्तान में हुआ और आज भी हो रहा है |

बलूचिस्तान के अन्याय, अत्याचार, मानवाधिकारों का विषय हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जी उठाया तो भारतीय विपक्षी पार्टियां भड़क गयीं | सलमान खुर्शीद ने इसे असभ्यता कह दिया | बाद में जनमानस का रुख देखकर कांग्रेस ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया | लेकिन इस मुद्दे पर सभी भारतीय राजनैतिक पार्टियों, मीडिया, साहित्यकारों, राजनैतिक विश्लेषकों को जिस तरह मोदी का समर्थन करना चाहिए वह नहीं किया परंतु कुछ ने बोलने से परहेज किया तो कुछ ने सीधा विरोध जताया और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन कर डाला जो बहुत ही शर्मनाक है |

बलूचिस्तान, पाकिस्तान के अन्य भाग सिंध – पंजाब तथा बांग्लादेश भारत के अंग थे जो १९४७ ई. में बंटवारे के नाम पर भारत से अलग हुए | बंटवारा भाइयों, कुटुम्बियों व भागीदारों के मध्य होता है | संपत्ति व जमीन के मालिकों के मध्य बंटवारा होता है | अनाधिकृत व ताकत के बल पर कब्जा धारक व वास्तविक स्वामी के मध्य बंटवारा नाजायज होता है क्योंकि नाजायज कब्ज़ा धारक हकदार नहीं होता | भारत पाकिस्तान जा बंटवारा इसी आधार पर हुआ जो नाजायज है | जिस तरह पी. ओ. के. हमारा है उसी प्रकार सम्पूर्ण पाकिस्तान पर हमारा हक़ है | उसको वापिस लेने जी बात तो दूर वहां के एक हिस्से के लोगों के ऊपर होने वाले अमानवीय अत्याचारों की हम बात भी नहीं कर सकते, ऐसी सोच रखने वालों की मानसिकता समझना अनिवार्य है और उन्हें सबक सिखाना भी अनिवार्य है |

बलूचिस्तान के लोग न्याय पाने के अधिकारी हैं | उनका साथ दिया जाना चाहिए | आज़ादी की लड़ाई वहां चरम सीमा पर है परंतु वे अकेले लड़ रहे हैं | उन्होंने भारत से मदद मांगी है | उन्हें भरोसा है कि श्री मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार उनकी मदद अवश्य करेगी | बलूचिस्तान अलग देश था और उसे अलग देश के रूप में मान्यता मिलना चाहिए | साथ ही मानवता के आधार पर अपने पैरों पर खड़ा होने और एक देश के रूप में स्थापित होने का अवसर मिलना चाहिए जिसके वे अधिकारी हैं | उनका विरोध करने वाला हर भारतीय चाहे वह राजनैतिक हो या गैर-राजनैतिक पाकिस्तान का समर्थक तो माना ही जायेगा साथ ही राष्ट्रद्रोही भी माना जायेगा | ऐसे सभी पाकिस्तान के शुभचिंतकों से कहना चाहता हूँ कि आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी | बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान भी बहुत जल्दी आज़ाद होने वाला है |

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Om Prakash Shrivastava
Om Prakash Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
M.A., L.L.B., Advocate, Notary Public Lalitpur (U.P.). He has interest in social service since his student life. He was active in student politics. He was arrested and sent to Jail for 1 month and 10 days for giving a speech in Lucknow University against the cancellation of recognition of Students Unions in India. He was president of Student Union of Bundelkhand College Jhansi (U.P.). He was in jail for 21 days for his participation in J.P. movement before emergency. He leaded a student group for a protest against emergency in India and was in jail for 5 months and 21 days in D.I.R. in Jhansi (U.P.) for this. That’s why U.P. Government has declared him ‘Loktantra Senani’. He is a National Executive Member of 'Loktantra Rakshak Senani Mahasangh'. He is Convener of ‘Lok Jagrati Manch’ and ‘Sarthakchintan.com’. He is an active member of BJP. His many articles have been published in different newspapers.
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