अगस्ता डील मामले में कांग्रेस बुरी तरह घिरती जा रही है और कांग्रेस की बेचैनी का सबसे बड़ा कारण इस मामले में गांधी परिवार का नाम आना है | भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी जी बुधवार (२७ अप्रेल) को यह मुद्दा राज्य सभा में उठाएंगे | भाजपा ने लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है |
भाजपा समर्थक कांग्रेस को खरी-खोटी सुना रहे हैं और कांग्रेस समर्थक भाजपा एवं प्रधानमंत्री मोदी जी को | अरविन्द केजरीवाल जी जो कि भाजपा के खिलाफ हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, उनको इस मुद्दे पर बोलने का समय अभी तक नहीं मिला है | २०१९ के चुनाव पर नजर रखते हुए राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक देने की कोशिश कर रहे नितीश कुमार जी ने भी अब तक कुछ नहीं बोला है | लालू जी, मुलायम जी, मायावती जी आदि खुद ही कई मामलों में इतने फंसे हुए हैं कि उन से इस मुद्दे पर कुछ बोला नहीं जायेगा |
लेकिन इस सब बहस के बीच एक बात जो कि दब के रह गयी वह ये है कि इटली ने तो इतने समय में जांच पूरी कर के फैसला भी दे दिया लेकिन हमारी सी बी आई की जांच कहाँ तक पहुंची ?
ये कुछ सवाल हैं जो कि इस मामले की जाँच कर रही टीम से पूछे जाने बहुत जरुरी हैं –
इस जांच में सी बी आई ने अब तक क्या किया ?
कितने लोगों पर आरोप तय किये गए ?
कितने लोगों पर लगे आरोपों पर अदालत में केस शुरू हो गए ?
दोषियों को सजा कब मिलेगी ?
जांच में देर होने के क्या कारण हैं ?
यदि वर्तमान जांच टीम अब तक संतोषजनक काम नहीं कर पायी है तो उस को हटाकर काबिल लोगों को इस जांच में लगाना चाहिए | क्यों अदालतें ऐसी जांच एजेंसियों एवं टीम को फटकार नहीं लगाती ? यदि इटली इस मामले पर जांच पूरी करके इतने समय में फैसला सुना सकता है तो हमारे देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता ?
किसने घोटाला किया और किस ने नहीं, इस सब बहस के साथ ये सवाल भी पुछा जाना जरुरी है कि दोषियों को सजा कब मिलेगी | सी बी आई की इस देश में क्या छवि है उस से आप भली भांति परिचित हैं | अब हर मामले में सी बी आई की भी जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है अन्यथा कुछ खास पार्टियों के नेताओं के खिलाफ मामले अदालतों में ऐसे ही बिना किसी फैसले के अटके रहेंगे |