आज आवश्यकता इस बात की है कि सम्पूर्ण आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा हो तथा संशोधित हो ताकि वास्तविक वंचित व्यक्ति को लाभ मिल सके |
आरक्षण के विरोध तथा समर्थन में काफी समय से विभिन्न स्तर पर मांग उठती आ रही है | प्रारम्भ में संविधान में कुछ विशेष कारणों व प्रयोजन हेतु व्यवस्था की गयी थी और एक निश्चित अवधि तक के लिए ही थी | अवधि निर्धारित करते समय यह सोचा गया था कि इतने समय में आरक्षण का उद्देश्य पूरा हो जायेगा | परन्तु ऐसा नहीं हुआ बल्कि मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू की गयी और उसका राजनीतिकरण भी हो गया | परिणामस्वरूप पूर्व से चले आ रहे आरक्षण को यथारूप में रखा गया और उस के गुण – दोष तथा फला – फल की समीक्षा नहीं की गयी जो कि अति आवश्यक थी | आगे चलकर प्रमोशन में आरक्षण की मांग उठी जिसे तत्कालीन यू. पी. ये. सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के चलते पूरा कर दिया | चूंकि यह व्यवस्था किसी भी दृष्टिकोण से न्यायोचित नहीं थी, बल्कि संविधान की मूल भावना के विपरीत भी थी, इसी कारण मा. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया | तत्कालीन केंद्र सरकार तथा कई विपक्षी दल भी वोट बैंक की राजनीति के कारण प्रमोशन में आरक्षण लागू करने पर आमादा थे जो कि हर दृष्टिकोण से अनुचित व असंवैधानिक था | आज आवश्यकता इस बात की है कि सम्पूर्ण आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा हो तथा संसोधित हो ताकि वास्तविक वंचित व्यक्ति को लाभ मिल सके | आरक्षण के क्या अच्छे बुरे परिणाम आये पहले इन बिन्दुओं पर विचार करना होगा |
संविधान निर्माण के समय यह विषय सुनिश्चित किया गया कि समाज में निर्धन वंचित किस्म के लोग जो आर्थिक, शैक्षणिक व सामाजिक रूप से अत्यंत पिछड़े हैं तथा उपेक्षित व अस्पृश्य हैं, उनका स्तर उठाने व समानता के अवसर प्रदान करने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं, नौकरियों, संसद, विधान मंडल व स्थानीय निकाय आदि में आरक्षण दिया जाये तथा निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाये और उसके लिए निश्चित अवधि भी निर्धारित की गयी | प्रारम्भ में की गयी व्यवस्था सर्वथा उचित थी | लेकिन इस व्यवस्था की समय समय पर समीक्षा होनी चाहिए थी ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले तथा अन्य कमजोर व निर्धनों को हानि न पहुंचे | परन्तु ऐसा नहीं हुआ जिसके दुष्परिणाम अधिक आये और आरक्षण के पीछे की मूलभावना के विपरीत परिणाम आने लगे |
१) जिसको एक बार आरक्षण मिल गया वह सक्षम हो गया | उसी व्यक्ति ने कई नौकरियां बदलीं और हर बार आरक्षण का लाभ लिया तथा अपने ही वर्ग के व्यक्तियों के अवसर छीने | काम बौद्धिक क्षमता वाला व्यक्ति अधिक बौद्धिक क्षमता वाले व्यक्ति पर भारी पड़ने लगा | एक बार आरक्षण पाकर वह कमजोर, पिछड़ा व वंचित व्यक्ति नहीं रह जाता बल्कि पूरा परिवार सक्षम हो जाता है | उसके बच्चे अच्छी शिक्षा पाकर वंचित व्यक्ति के बच्चों की तुलना में अधिक सक्षम होते हैं, इस कारण उन्हें ही अवसर मिलता है तथा वंचित व कमजोर लाभ नहीं ले पता | रही सही कसर भ्रष्टाचार लगा देता है क्योंकि आजकल नौकरियों में नियुक्ति अधिकांशतः भ्रष्टाचार से ग्रसित हैं, पूर्व से जो सक्षम हैं इसमें वही सफलता पाता है और वंचित व कमजोर असफल हो जाता है | इस प्रकार हर समुदाय और जाति में दो वर्ग हो गए, एक सक्षम व संपन्न दूसरा निर्धन व कमजोर | जो परिवार सक्षम हो गए वह पीड़ी दर पीड़ी आरक्षण का लाभ पाते रहेंगे तथा जिन्हें अवसर नहीं मिला वह वंचित ही रहेंगे | अतः आवश्यक हो गया है कि आरक्षण व्यवस्था संशोधित हो और एक व्यक्ति को जीवन में एक ही बार आरक्षण का लाभ दिया जाये |
२) एक नौकरी पाकर व्यक्ति वंचित, कमजोर, निर्धन नहीं रह जाता | इस कारण प्रमोशन में आरक्षण का तो प्रश्न ही नहीं उठना चाहिए | बल्कि इसके दुष्परिणाम बहुत अधिक हैं | जब जूनियर व्यक्ति अपने से सीनियर व्यक्ति से बड़ा पद पा जाता है तब पहला दोष तो यह है कि कम योग्यता व कम अनुभव प्राप्त व्यक्ति बड़े पद पर तथा अधिक योग्य व अनुभवी व्यक्ति छोटे पद पर होता है तो सम्पूर्ण मशीनरी की कार्यक्षमता तथा आपसी सामंजस्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा बदले की भावना और सीनियर का अपमान करना इत्यादि जैसे व्यव्हार व आचरण होता है जो किसी भी प्रकार से देश व समाज के हित में नहीं है |
३) बहुत सक्षम हो चुके लोगों को आरक्षण या अन्य सुविधाएं देने का कोई औचित्य नहीं है, बल्कि अन्य लोगों के साथ अन्याय है | अतः अति संपन्न एवं अधिक संपन्न लोगों को आरक्षण दिया जाना समाप्त किया जाये ताकि उसी समुदाय के निर्धन व वंचितों को सक्षम व संपन्न बनने का अवसर मिले | इस हेतु राजपत्रित अधिकारियों के परिवार अर्थात संतानों को आरक्षण की सुविधा समाप्त हो | आय की सीमा निर्धारित हो तथा संपत्ति, कृषि भूमि आदि की भी सीमा निर्धारित हो | निर्धारित सीमा से अधिक आय तथा संपत्ति वाले व्यक्ति की संतानों को आरक्षण की सीमा से बाहर किया जाये |
४) उच्च तकनीकि शिक्षा में आरक्षण उचित नहीं है | इसमें योग्यता ही आधार होना चाहिए | जिस देश में योग्यता को अधिक महत्व दिया जाता है वही देश आगे बड़ रहे हैं | उदहारण के लिए अमेरिका जैसे देश तकनीकि क्षेत्र तथा मैनेजमेंट के क्षेत्र में दुनियाभर से मेधावी छात्रों को अपने यहाँ शिक्षा के लिए आमंत्रित करते हैं | स्कॉलरशिप देकर अपने यहाँ उच्च शिक्षा देकर नौकरियां दे रहे हैं |
५) आयु सीमा में छूट का लाभ केवल उन्ही वर्गों को मिले जो आरक्षण से वंचित हैं क्योंकि आरक्षण उनके मार्ग में रुकावट है |
६) धर्म या समुदाय के आधार पर आरक्षण पूरी तरह अनुचित है | इसमें देश में सांप्रदायिक संघर्ष व अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा साथ ही भविष्य में देश पुनः विभाजन की ऒर बढ़ेगा |
७) जनसँख्या बहुत बड़ रही है | राजनैतिक कारणों व वोट बैंक की राजनीति के चलते इसे रोकने की इच्छा शक्ति किसी राजनैतिक दल में नहीं है | अतः ३ संतानों से अधिक संतानों के माता – पिता को सभी आर्थिक लाभ देने वाली योजनाओं से वंचित किया जाये तथा कम से कम इस परिवार की प्रथम ३ संतानों के बाद की संतानों को आरक्षण से वंचित किया जाये | हम पैदा करें, सरकार पालन करे व अन्य लोग भुगतें, यह प्रवृत्ति अनुचित है |
८) कमजोर वर्ग, अनु. जाति, अनु. जनजाति, अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सस्ते ब्याज पर कर्ज व कई अन्य प्रकार की आर्थिक सहायताओं की योजना चलती है | इनमें व्यक्ति के आर्थिक स्तर की सीमा निर्धारित नहीं की जाती इस कारण सारी सुविधाएं सक्षम व संपन्न व्यक्ति ले जाते हैं | निर्धन व कमजोर यहाँ भी वंचित रह जाते हैं | अतः इन योजनाओं में व्यक्ति की पात्रता निर्धारित करने हेतु आय तथा सम्पत्तियों के मूल्य की सीमा निर्धारित हो | गरीबी रेखा की तरह वंचित रेखा तय हो |
आरक्षण अधिकार नहीं, बल्कि शासन व सक्षम लोगों की कृपा है | समय समय पर इसकी समीक्षा व संसोधन न होने यह व्यवस्था दोषपूर्ण हो चुकी है | आरक्षण के जरिये उच्च स्तर व समानता के अवसर पाकर भी लोग संतुष्ट नहीं हैं | अपने ही वर्ग के वंचित व कमजोर लोगों के अधिकार हड़पने की प्रवृत्ति बड़ी है |
प्रमोशन में आरक्षण का कानून संसद में बार बार पास करके संविधान की मूल भावना का उललंघन हुआ है | संविधान व सुप्रीम कोर्ट को सर्वोच्चता का बखान करने वाले राजनैतिक दलों की ऐसी जिद सर्वथा अनुचित है | लगभग सभी दलों ने राज्यसभा में प्रमोशन में आरक्षण का समर्थन किया | कुछ ने विरोध का नाटक तो किया परन्तु विरोध में वोट न देकर अप्रत्यक्ष समर्थन किया साथ ही धर्म के आधार पर मुस्लिमों को आरक्षण की मांग कर दी जो कि सर्वथा अनुचित है |
अतः राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों का कर्त्तव्य है कि अधिकाधिक उपयोगी आरक्षण व्यवस्था तैयार करके लागू करायी जाये |