केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद कुछ गैर-राजनैतिक नामी लोगों के बोल अचानक से बिगड़ गए | आमिर और शाहरुख़ को असहिष्णुता मुद्दे पर दिए गए बयानों पर अपने कई फैन का विरोध झेलना पड़ा | अब इस लिस्ट में नया नाम है नसरुद्दीन शाह का | इन्होने बिना नाम लिए बयान दिया कश्मीर के मुद्दों पर अनुपम खेर के बोलने पर बयान दे डाला |
पहली बात तो यह कि सभी भारतवासियों को भारत के हर क्षेत्र के मुद्दों पर बोलने का अधिकार है और यह अधिकार कोई नहीं छीन सकता | लेकिन यदि नसरुद्दीन शाह की बात मानें तो गेर-कश्मीरियों को कश्मीर से सम्बंधित मुद्दों पर बोलने का अधिकार नहीं है | यहाँ मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि ये वही नसरुद्दीन शाह हैं जिनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ, रहते मुंबई में हैं परन्तु गुजरात दंगों पर एवं पाकिस्तान में हुए एक आतंकी हमले पर हमदर्दी के बोल बोलते समय इन्हें ये याद नहीं था कि इनका जन्म न तो गुजरात में हुआ न ही पाकिस्तान में |
आखिर किस हक़ से इन्होने ये बयान दिया कि गैर-कश्मीरी कश्मीर से सम्बंधित मुद्दों पर नहीं बोल सकते ? क्या ये खुद को भारत के संविधान से बड़ा मानते हैं ? जब देश का संविधान हमें इस बात की आज़ादी देता है तो नसरुद्दीन शाह कौन होते हैं यहाँ बिना माँगा मुफ्त का ज्ञान देने वाले ?
खैर मुझे नहीं लगता कि इनके इस फ़र्ज़ी बयान के बाद अनुपम खैर कश्मीरी पंडितों के मामले पर बोलना बंद करेंगे | लेकिन ये बात तो तय है कि ऐसा बयान देकर नसरुद्दीन शाह ने कुछ खास राजनैतिक दलों में अपनी जगह जरूर बना ली हो लेकिन अपने कई प्रशंसकों के दिलों से खुद को बाहर निकाल दिया है |