पिछले कुछ दिनों में दो भाषण बहुत चर्चित रहे | एक राहुल गांधी जी का और एक प्रधानमंत्री मोदी जी का | हालाँकि इन दोनों के चर्चा का कारण एक दूसरे से बिलकुल उलट था | राहुल गांधी जी द्वारा की गयीं बचकानी गलतियों की वजह से उनका भाषण जहाँ मजाक का कारण बना वहीँ दूसरी तरफ मोदी जी द्वारा दिए गए भाषण एक बार फिर उनकी प्रबल भाषण शैली एवं उठाये गए मुद्दों की वजह से तारीफ का कारण बना |
इस बारे में तो कोई दो राय नहीं हैं कि मोदी जी राहुल गांधी जी से कहीं ज्यादा अच्छे प्रवक्ता हैं बल्कि ये कहना चाहिए कि भाषण शैली में राहुल गांधी जी की फ़िलहाल मोदी जी से कोई तुलना की ही नहीं जा सकती |
आयेदिन राहुल गांधी जी अपनी राजनैतिक अपरिपक्वता की वजह से चर्चा में रहते हैं | अभी के हालात में तो मुझे लगता है कि यदि कांग्रेस राहुल जी को मोदी जी के विरुद्ध प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल करना चाहती है तो वो उस के लिए अगले चुनाव में आत्महत्या ही साबित होगा | अपने भाषणों में की गयीं बचकानी गलतियों की वजह से राहुल जी आयेदिन जनता को ये सन्देश देते रहते हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में कृपया कांग्रेस को वोट न दें | गंभीर मुद्दे उठाते समय भी उनका ये व्यव्हार उनके मुद्दो का वजन हल्का कर देता है | शायद कांग्रेस को अब तक ये नहीं समझ आया है कि जनता में अब ये राय बनती जा रही है कि जो व्यक्ति एक मुद्दा भी गंभीरता के साथ नहीं उठा सकता वो इस देश के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी कैसे उठाएगा |
अभी के हालात में मुझे विपक्षी पार्टियों में कई दूसरे नेता राहुल जी से बहुत आगे लग रहे हैं | हालाँकि लोकप्रियता के मामले में वो सारे भी फ़िलहाल मोदी जी से पीछे ही दिखाई दे रहे हैं | पिछले कुछ दिनों में कुछ न्यूज़ चैनल और एजेंसियों द्वारा कराये गए सर्वे में भी यही आया है कि दिल्ली और बिहार विधानसभा में भाजपा की हार के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी जी की लोकप्रियता घटी नहीं बड़ी है |
मेरी व्यक्तिगत राय में तो गांधी परिवार को अब इस बारे में गंभीरता से सोचना शुरू करना चाहिए | बेहतर यही होगा कि अब किसी और नेता को अगले लोकसभा चुनाव के लिए तैयार करना शुरू करें | लेकिन मुझे लगता है कि फ़िलहाल कांग्रेस के पास मोदी जी की टक्कर का कोई नेता नहीं है और निकट समय में मुझे इस स्थिति में कोई बदलाव आता भी नहीं दिखाई देता है |
यदि कांग्रेस गांधी परिवार की राहुल जी को प्रधानमंत्री बनाने की जिद के आगे झुकी रही तो कहीं अगली बार उस की लोकसभा में सीटों की संख्या और भी कम न हो जाएं | जनता सब कुछ देख और सुन रही है |