बिहार चुनाव के नतीजे आये हुए काफी समय हो चुका है लेकिन फिर भी मन किया के इन नतीजों से देश को जो सबक लेना चाहिए उस के बारे में कुछ लिखूं | आखिर बिहार चुनाव का असली मुद्दा था क्या, ये चुनाव सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी जी बनाम बाकि सारे दल था या सुशाषन बनाम कुशाषन या हिंदुत्व बनाम मुस्लिम तुष्टिकरण या कुछ और | आखिर इस चुनाव से इस देश की जनता को क्या सबक मिला है ? पहले में इस चुनाव के असली मुद्दो की बात करता हूँ और फिर बताता हूँ के आखिर हमने इस चुनाव से क्या सीखना चाहिए | मेरी व्यक्तिगत राय कुछ ये है –
आखिर वो क्या असल मुद्दे थे जिन की वजह से ये बाकि सारे दल मोदी जी के विरुद्ध एक हुए.| महागठबंधन में वो लोग भी दोस्त बन गए जिन के साथ आने के बारे में कुछ साल पहले तक तो किसी ने सोचा ही नहीं था | अब तो उत्तर प्रदेश में भी सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ आने और बिहार की ही तरह एक बड़ा गठबंधन बनानें कि बातें उठने लगी हैं |
एन डी ऐ के घटक दल शिव सेना ने भी समय समय पर मोदी सरकार पर हमला करनें में कोई कमी नहीं छोड़ी | हालाँकि राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण ऐसे लोगों को भी ना चाहते हुए भी एन डी ऐ में रखना भाजपा कि मजबूरी है |
आखिर मोदी सरकार में इस देश में ऐसा क्या परिवर्तन आ रहा है जो के इन सभी पार्टियों को गलत लग रहा है या फिर ये कहें के हजम नहीं हो रहा है ?
मुद्दे –
१) विकास बनाम पिछड़ापन का राग
मोदी जी अपने भाषणों में हमेशा विकास की बात करते हैं | वो अपने भाषणो में हमेशा कहते हैं के उन का सपना विकास को इस देश में पंक्ति में खड़े सब से आखिरी इंसान तक पहुँचाना है | आज अगर आप कई जानी मानी निष्पक्ष प्रतिष्ठित ऑडिट कंपनी और उद्योगपतियों की राय सच मानें तो वो सब कह रहे हैं की अगर केंद्र सरकार विकास की इन्ही नीतियों के साथ आगे बढ़ती रही तो २०१९ तक ये देश विकास की नयी ऊंचाइयां छू सकता है | और ये देख के ऐसा लगता भी है के मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इस देश को विकास की राह पे बढ़ाने में कोई कसार नहीं छोड़ना चाहती है | हालाँकि हमें ये भी ध्यान रखना होगा के भाजपा को जिस समय सरकार बनाने का मौका मिला तब भारत की अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी नहीं थी और उस वजह से मौजूदा सरकार को काफी कठनाइयां भी आ रही हैं |
अब अगर सोचा जाये तो इस देश के विकास से विपक्षी पार्टियों को तो कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए | लकिन उन को तो होगी ही जो हर चुनाव में जनता के पिछड़ेपन और गरीबी को मुद्दा बनाके चुनाव तो लड़ते हैं लकिन चुनाव जीतने के बाद उस गरीब और पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाते | हर चुनाव में इन पार्टियों के नेता गरीब की बात करते हैं, गरीबी हटाने की बात करते हैं, पिछड़ों और दलितों की बात करते हैं और हर बार कुछ न कुछ वही पुराने वादे दुहरा के उन से वोट मांगते हैं | अब अगर इस देश का गरीब, पिछड़ा और दलित शिक्षित हो गया और विकास की राह में आगे बड़ गया तो फिर झूठे वादे करने वाले नेताओं को वोट क्यों देगा |
सिर्फ अपने व्यक्तिगत मनमुटाव और राजनीती के कारण राज्य सभा का ना चलने देना और ज़ी एस टी जैसा अहम बिल पास ना होने देना इसी परेशानी का ताज़ा उदहारण है | आखिर इन पार्टियों की राजनैतिक लड़ाई का नुकसान इस देश की जनता क्यों भुगते |
२) सुशाषन बनाम कुशाषन और जनता के लिए सेवा भाव बनाम राजशाही
अब केंद्र सरकार के विभाग अब सिर्फ योजना बनाने पर नहीं बल्कि उन के सफलतापूर्ण कार्यान्वयन की बात करते नजर आ रहे हैं | केंद्र सरकार के किसी विभाग में कोई घोटाला नहीं हो रहा है | आये दिन अलग अलग देशों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरफ से भारत में बड़े बड़े निवेशों की घोषणाएं हो रही हैं | विदेशों में पहली बार भारत के किसी प्रधानमंत्री के लिए प्रवासी भारतियों में इतना प्यार और सम्मान नजर आ रहा है | मोदी जी खुद को प्रधानमंत्री नहीं प्रधानसेवक बोलते हैं |
विदेश मंत्रालय हो या रेल मंत्रालय या बाकि सभी मंत्रालय, अब ये सब लोगो कि समस्यायों का समाधान करने के लिए ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिआ के श्रोतों पर भी उपलब्ध हैं और डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं | ऐसे कई मौके आये जब मोदी सरकार के मंत्रालयों ने लोगो की समस्या फेसबुक, ट्विटर पे सुनी और उन का समाधान किया | इस के कई उदहारण आप को सोशल साइट्स पे मिल जाएंगे | मोदी सरकार के आने के पहले जो जनता ये कहती थी के नेता सिर्फ ५ साल में एक बार चुनाव के समय नजर आते हैं, वो आज ये देख रही है के यहाँ तो पूरी सरकार इंटरनेट के माध्यम से भी हमेशा जनता की समस्या सुनने और उन का समाधान करने के लिए तत्पर है, स्वयं देश के प्रधानमंत्री कई मौके पे अपने मन की बात करते हैं | यहाँ तो मंत्रालयों के चक्कर लगाने तक की आवश्यकता नहीं रही, सिर्फ फेसबुक या ट्विटर पे भी अगर अपनी समस्या लिख दो तो उस का समाधान हो जायेगा | केंद्र सरकार को यदि कोई सुझाव देना हो तो वो भी http://mygov.in/ के माधयम से दे सकते हैं |
अब जिन नेताओ को और राजनैतिक पार्टियों को राजशाही का शौक है और परिवारवाद को बढ़ावा देने और अपने बच्चो को युवराज बनाने का सपना हो, भला वो ये सब कैसे बर्दाश्त करेंगे | अगर इस देश की जनता को ऐसे सुराज की आदत पड़ गयी तो भला इन पार्टियों को कोई क्यों वोट देगा ?
३) देश की सुरक्षा बनाम असुरक्षा की भावना
मोदी सरकार में अभी तक एक भी आतंकी दल की कोई आतंकी हमला करने की हिम्मत नहीं हुई | प्रधानमंत्री जी, गृहमंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पाकिस्तान समेत भारत के हर एक दुश्मन के दिमाग में एक बात भर दी है के हम से टकराने के परिणाम बहुत भयानक होंगे | पिछले दिनों में कई देशो के साथ हुए भारत के नए सुरक्षा समझौते भी इन दुश्मनो के लिए सर दर्द बने हुए हैं | छोटा राजन पकड़ा गया और दाऊद के खिलाफ फंदा लगातार कसा जा रहा है | सेना का म्यांमार में घुस के दुश्मनो का मारना, पाकिस्तान के सीजफायर उल्लंघन के खिलाफ बी एस एफ को किसी भी जवाबी कार्रवाही के लिए खुली छूट, अफगानिस्तान, ईरान से दोस्ती बड़ा के पाकिस्तान को युद्ध की स्थिति में दूसरी ओर से भी घेरने की तयारी आदि कई ऐसे महत्वपूर्ण कदम हैं जिन की वजह से पाकिस्तान और पाकिस्तान का साथ देने वाले सभी देश हैरान और परेशान हैं |
भारत विरोधी विदेशी शक्तियों का फंडिंग के जरिये भारत की राजनीती में दखल अब किसी से छुपा नहीं हैं | अब ये सब लोग मिल के भाजपा सरकार के इन सब कदमो से परेशान तो होंगे ही और विरोध भी करेंगे |
४) सबका साथ सबका विकास बनाम जातिवाद और धार्मिक अलगाव
आज भी इस देश में भेदभाव और नफरत को बड़ा के उस का फायदा उठाने वालो की कमी नहीं है | ये हथकंडे आज भी इस देश की राजनीती का अभिन्न अंग हैं | कई नेता और पार्टियां किसी न किसी बहाने जैसे के हिन्दू मुस्लमान, जातिवाद, अगड़ा पिछड़ा आदि के जहर से समाज को तोड़कर उस बिखराव का फायदा उठाने में लगे हैं | मोदी जी के लगाये नारे जैसे के एक भारत श्रेष्ठ भारत, सब का साथ, सब का विकास , हिन्दू मुस्लमान आपस में लड़ने की जगह गरीबी से लड़ने के लिए बोलना ऐसे नेताओं की नींद उड़ा रहे हैं |
अब अगर इस देश में लोग धर्म और जाति के नाम पे लड़ना छोड़ देंगे तो इन कथित धर्मनिपेक्ष या पिछड़ों के कथित नेता या दलितों के कथित नेताओं की तो राजनीती की दुकान बंद हो जाएगी |
५) हिंदुत्व बनाम मुस्लिम तुष्टिकरण
हिंदुत्व का आधार ही सामाजिक एकता है | समाज में किसी भी तरह का भेदभाव, नफरत और अत्याचार हिंदुत्व के खिलाफ है | मोदी जी और भाजपा इसी हिंदुत्व की बात करते हैं | इस हिंदुत्व का मतलब बाकि धर्मो का विरोध और दमन नहीं बल्कि एक भारत श्रेष्ठ भारत और सब का साथ सब का विकास है |
लकिन विरोधी पार्टियों ने हिंदुत्व का मतलब मुस्लिम और अन्य धर्म विरोधी सोच कि तरह फैला रखा है | अचानक से इस देश में कांग्रेस समेत सारी विरोधी पार्टियों और इन के अहसानों से दबे साहित्यकारों और फिल्म कलाकारों को देश में असहिष्णुता नजर आने लगी | क्या किसी गैर भाजपा शाषित राज्य में दंगे नहीं हुए? कांग्रेस के राज में तो जितने दंगे हुए और दंगो में जितनी मौतें हुईं उतनी तो किसी पार्टी के शाषन में नहीं हुईं लकिन फिर भी इन लोगो का यही प्रचार है के मोदी सरकार के आने के बाद से इस देश में असहिष्णुता बड़ी है | हद देखिये कि कुछ लोग खुद को मुसलमानो का हमदर्द साबित करने के लिए आतंकवादियों तक का नाम सम्मान से लेते हैं और उन को दी जाने वाली फांसी की सजा का भी विरोध तक कर देते हैं |
आज़ादी के इतने साल बाद भी अगर इस देश का मुसलमान गरीब है पिछड़ा है तो फिर उसे ऐसे कथित धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों के कथित हितेषी लोगो को सत्ता में बनाये रखने का उसे क्या लाभ हुआ ? यहाँ मुसलमानों को समझना होगा के देश का विकास ही उन का भला कर सकता है सिर्फ कथित धर्मनिरपेक्षता नहीं |
बिहार चुनाव से सीख –
ये तो हुई मुद्दो कि बात के क्यों ये सारे लोग मोदी जी के विरोधी हैं | अब बात करते हैं कि हमें बिहार चुनाव से क्या सबक लेना चाहिए | हालांकि ये कहना गलत नहीं होगा के भाजपा के बिहार चुनाव में हार का कारण भाजपा के कुछ नेताओ के दिए गए गलत और पार्टी विरोधी बयान भी रहे हैं लकिन मुख्य कारण विरोधी पार्टियों द्वारा मुख्य मुद्दों से ध्यान हटा के देश को वही घिसे पिटे सालों पुराने धर्म और जाति के नाम पे लड़वाने वाले हथकंडे थे | सिर्फ अपने निजी मुद्दों और मनमुटाव के कारण नितीश जी का भ्रष्टाचार में लिप्त लोगो से गठबंधन करना किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता | जो आर जे डी पार्टी भ्र्ष्टाचार और गुंडागर्दी की वजह से खात्मे की कगार पर थी वो आज बिहार की सब से बड़ी पार्टी है | नितीश जी और भाजपा की इस आपस की लड़ाई का सब से बड़ा फायदा तो आर जे डी और कांग्रेस को हुआ और नुकसान हुआ बिहार की जनता का | अब देखना ये है के क्या नितीश जी आर जे डी के बाहुबली विधायकों को काबू मैं कर पाएंगे | अभी तक तो जो बिहार से समाचार आ रहे हैं उन से लगता नहीं के इन बाहुबलियों को इस वक़्त किसी का भी कोई डर है | अब तो बस ५ साल ईश्वर से बिहार के कुशल मंगल की कामना ही की जा सकती है |
सबक ये है कि आखिर इस देश कि जनता कब तक इसी तरह इन हथकंडों में उलझ के गलत लोगों को वोट करती रहेगी | आज केंद्र सरकार के सामने कोई भी अच्छा बिल पास करने में सब से बड़ी अड़चन भाजपा का राज्य सभा में बहुमत न होना है | कांग्रेस राज्य सभा ना चलने दे कर भाजपा को झुकाने की पूरी कोशिश मैं जुटी हुई है, ये जानते हुए भी के इस का सीधा नुकसान इस देश की जनता को हो रहा है | अगर भाजपा बिहार और उत्तर प्रदेश का चुनाव जीत लेती तो भाजपा राज्य सभा मैं भी बहुमत मैं आ जाती और ये होने से रोकने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एक जुट होती जा रही हैं | किस को वोट करना है और किस को नहीं ये फैसला करना हर एक व्यक्ति का निजी और संवेधानिक अधिकार है | मुझे उस को सही या गलत कहने का कोई अधिकार नहीं है | लकिन में इस लेख के माध्यम से ये जरूर कहना चाहूंगा के वोट किस को करना है ये फैसला आप देश के असली मुद्दों जैसे शिक्षा, विकास, रोजगार, धार्मिक और सामाजिक समभाव, देश की सुरक्षा आदि के आधार पर करें ना की जातिवाद या धर्म के आधार पर | आपका दिया हर एक गलत वोट आपको और आपकी अगली पीड़ी को विकास की पंक्ति में पीछे करता जाता है |
में भाजपा का कोई प्रवक्ता या नेता नहीं हूँ और मैंने ये लेख पूरी तरह से अपनी निजी राय के आधार पे लिखा है | मेरा झुकाव किसी पार्टी या नेता की तरफ नहीं बल्कि इस देश की भलाई की तरफ है | और मेरी आप सभी से भी यही विनती है के वोट इस देश के लिए डालें ना के अपनी जाति या धर्म के लिए |