Friday, November 22, 2024
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देशद्रोह के आरोपी कन्हैया की जमानत की ख़ुशी में थम ही नहीं रहा केजरीवाल जी का जश्न

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से तो कन्हैया कुमार का समर्थन करने वाले सभी लोग कन्हैया कुमार की जमानत पर जश्न मना रहे हैं लेकिन लगता है केजरीवाल जी को इस जमानत की कुछ ज्यादा ही ख़ुशी है | आयेदिन केंद्र सरकार पर केजरीवाल जी का आरोप लगाकर हमला करना कोई नयी बात नहीं है और इस जमानत में भी उनको हमला करने और आरोप लगाने का एक नया मौका नजर आया है और वो फेसबुक और ट्विटर पर लगातार अपनी ख़ुशी का इजहार कर रहे हैं |

यहाँ देखिये उन का एक मेसेज जिस में वो जे एन यू में हुई देशद्रोही नारेबाजी के खिलाफ हुई कार्रवाही का विरोध करते हुए एक तरफ मोदी जी पर हमला कर रहे हैं और साथ ही साथ कन्हैया कुमार द्वारा रिहाई के बाद दिए गए भाषण की दिल खोल कर तारीफ भी कर रहे हैं |

अब ये देखिये किस तरह केजरीवाल जी ने जे एन यू में हुई देशद्रोही नारेबाजी का एक केंद्र सरकार विरोधी संस्करण बनाकर सोशल साइट्स पर शेयर किया |

केजरीवाल जी से मैं यही कहूँगा कि अभी कन्हैया कुमार को बस जमानत मिली है, कोर्ट ने उसे आरोप मुक्त नहीं किया है | अगर उस पर सारे आरोप साबित हो गए तो फिर कहाँ मुँह छिपाएंगे आप ? आप एक नेता के साथ साथ मुख्यमंत्री भी हैं | कृपया उस पद का थोड़ा मान रखिये और देशद्रोह के आरोपियों का समर्थन करना बंद कीजिये | जनता में इस देशद्रोही नारेबाजी कि वजह से बहुत गुस्सा है |

हम जानते हैं कि आज नेता ये बात बहुत अच्छे से जानते हैं कि चुनाव के समय किस तरह से जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटका कर, झूठे वादे कर के, उनको जातिवाद या धर्म के नाम पर या फिर वोट खरीद कर जीत हासिल की जाये | लेकिन मुझे ये अंदाज़ा नहीं था कि जनता की इस भूल के प्रति इनका विश्वाश इतना ज्यादा बड़ जायेगा कि ये लोग बिना किसी डर के इस तरह आज देशद्रोह के आरोपियों के समर्थन में उतर जायेंगे | देशद्रोही नारेबाजी अब इन नेताओं को अभिव्यक्ति की आज़ादी और देशद्रोही नारेबाजी करने वाले इनको मासूम छात्र लगते हैं |

खैर कुछ हद तक इनका ये विश्वाश सच भी तो है | इस देश की जनता के एक हिस्से ने कई मौकों पर ये बात साबित कर के दिखाई भी तो है कि जनता को असली मुद्दों से ज्यादा अपनी जाति/धर्म के नेता को वोट देना पसंद है | मैं ये नहीं कह रहा कि सारे मतदाता जातिवाद या धर्म के नाम पर वोट डालते हैं लेकिन जातिवाद और धर्म के नाम पर वोट देने वाले लोग भी इतनी संख्या में हैं कि वो कई जगहों पर मुद्दों के आधार पर वोट डालने वालों पर भारी पड़ जाते हैं | इसी सब वजह से आज कई नेता सत्ता के ५ साल में न तो जनता की भलाई के लिए काम करने में कोई दिलचस्पी दिखाते हैं और न ही जनता के बीच जाते हैं | उनको पता है की ५ साल कुछ भी करो और चुनाव के समय बस जातीय समीकरण ठीक से बिठा दो और वापस सत्ता में आ जाओ |

मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरे देश के ये हालात शायद कभी बदलें और जनता गंभीरता के साथ असली मुद्दों के आधार पर वोट डाले न कि जातिवाद और धर्म के नाम पर | वरना देशद्रोही नारेबाजी को इसी बेशर्मी के साथ अभिव्यक्ति की आज़ादी साबित किया जाता रहेगा |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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