रविवार २० मार्च को शशि थरूर ने जे एन यू में कन्हैया कुमार को आज के ज़माने का भगत सिंह बोल दिया | हालाँकि वो बाद में सफाई देते भी नज़र आये कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है | मेरी व्यक्तिगत राय में तो शहीद भगत सिंह जी के साथ कन्हैया कुमार की तुलना कर के शशि थरूर जी ने शहीद भगत सिंह जी के साथ साथ इस देश के हर एक शहीद का अपमान किया है और इस के लिए उनको सभी शहीदों एवं उनके परिवार के साथ साथ इस पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए | वैसे हम सभी अच्छे से जानते हैं कि इन से ऐसी किसी माफ़ी की उम्मीद करना बेकार है |
इस समय इस देश में बहुत ही बड़ा षड़यंत्र रचा जा रहा है | देशद्रोह के आरोपियों का बचाव, देशविरोधी नारेबाजी को अभिव्यक्ति की आज़ादी साबित करने की कोशिश, आतंकवादियों की फांसी की माफ़ी की मांग, आतंकवादियों के समर्थन में नारेबाजी आदि ऐसे कई देशविरोधी काम अचानक से बड़ गए हैं और ये सब करने वालों को पूरा पूरा राजनैतिक संरक्षण एवं कई मीडिया एजेंसियों का साथ भी मिल रहा है |
मतलब कि जहाँ इन सभी देशद्रोह के आरोपियों पर कड़ी कार्रवाही की कोशिश करने वाली केंद्र सरकार का सभी को साथ देना चाहिए था, वहां साथ की जगह कई राजनैतिक पार्टियाँ एवं मीडिया के लोग इस कार्रवाही का विरोध कर रहे हैं | किस स्तर पर जा रही है इस देश की राजनीति ? अब तो ऐसा लगने लगा है कि कल यदि कोई आतंकवादी किसी बम विस्फोट में कई मासूम लोगों की जान लेने के बाद बस मोदी जी के विरोध में नारे लगा दे तो ये सभी लोग उस बम विस्फोट को भी अभिव्यक्ति की आज़ादी साबित करने में जुट जायेंगे | मैंने यहाँ मोदी विरोध का जिक्र इसलिए किया क्योंकि ये सच्चाई सभी को पता है कि कन्हैया कुमार और जे एन यू की देशद्रोही नारेबाजी में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं है, असली दिलचस्पी तो इन सभी देशद्रोह के आरोपियों की मोदी विरोधी नारेबाजी में है |
मैं एक बार फिर सभी राजनैतिक पार्टियों एवं मीडिया के लोगो से यही कहूँगा कि मोदी विरोध करना है तो मुद्दों के आधार पर कीजिये | यदि सरकार कोई गलती करती है तो विपक्ष का काम है उस गलती का विरोध करना | लकिन बस एक व्यक्ति के विरोध के लिए देशविरोधी नारेबाजी को अभिव्यक्ति की आज़ादी एवं नारेबाजी करने वालों को महान नेता मत बनाइये |
खैर इन सभी नेताओं को हिम्मत इस देश की वो लोग ही दे रहे हैं जो चुनाव में असली मुद्दों की जगह या तो जाति धर्म के नाम पर वोट डाल देते हैं या फिर पैसे या किसी और लालच में अपना वोट बेच देते हैं | ये सभी नेता ये बात अच्छे से जानते हैं कि ५ साल कुछ भी करो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बस चुनाव के समय फिर से अच्छे से जातीय एवं धर्म के समीकरण बिठा दो और वापस जीत लो | जब तक जनता नहीं सुधरेगी तब तक इन नेताओं का सुधारना असंभव है |