राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है | राजनीति में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है न ही दुश्मन | इसके सबूत भारतीय राजनीति के इतिहास में कई बार मिले हैं | कई ऐसे गठबंधन बने और टूटे जिनकी किसी को कोई उम्मीद न थी | कल फिर भारतीय राजनीति में एक नया भूचाल आया | जिन नितीश कुमार को कई भाजपा विरोधी अपना अगला प्रधानमंत्री पद का उमीदवार समझ रहे थे वो अचानक से भाजपा के खेमे में वापस आ गए | इसी के साथ उनके भाजपा विरोधी खेमे के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाने की अटकलों पर फिलहाल पूर्ण विराम लग गया |
राजनीति में यह कुछ नया नहीं है कि नेताओं के समर्थक अपने नेताओं के नाम पर एक दूसरे को गाली देने या सम्बन्ध तोड़ने तक के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि उनके नेताओं ने ही आपस में दोस्ती कर ली | यही बिहार में हो रहा है | मेरे भी कुछ मित्र हैं जो कि नितीश कुमार की पार्टी के समर्थक हैं और पहले एन. डी. ए. के समर्थक थे और कोंग्रेसी खेमे के विरोधी परन्तु भाजपा-जे.डी.यू. के सम्बन्ध विच्छेद के बाद ही वो अचानक से भाजपा एवं मोदी विरोधी हो गए थे | उन्होंने मुझ से कई ऊल जलूल बातें कहीं यह साबित करने के लिए कि नितीश कुमार का भाजपा से सम्बन्ध तोड़ने का फैसला सही है, इशरत जहाँ आतंकवादी नहीं थी, आतंक का कोई धर्म नहीं होता, मोदी जी ने गुजरात में दंगे करवाए, भाजपा सांप्रदायिक पार्टी है आदि आदि | परन्तु अब वो मुझ से नजरें चुरा रहे हैं | उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि वो अब मुझ से क्या बोलें | मैंने उन्हें मैसेज कर के पूछा भी कि बिहार के नए राजनैतिक समीकरणों पर कुछ तो टिप्पणी कर दो महाराज लेकिन अब तक मुझे उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला | वहीँ कुछ मेरे ऐसे भाजपा समर्थक मित्र भी थे जिन्होंने इसी तरह की कई बातें नितीश कुमार जी के खिलाफ कहीं | अब वो भाजपा समर्थक नए राजनैतिक समीकरणों से खुश तो हैं परन्तु अपनी कही पुरानी बातों पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहते हैं |
इन्हीं नितीश कुमार के समर्थक कुछ महीनों पहले जे. एन. यू. में हुई देशविरोधी नारेबाजी के आरोपियों का समर्थन सिर्फ इसलिए कर रहे थे क्योंकि महागठबंधन उनको समर्थन दे रहा था, भाजपा पर सांप्रदायिक होने के आरोप लगा रहे थे परन्तु कल मैंने कई जे. डी. यू. समर्थकों को ए. बी. पी. न्यूज़ चैनल पर उनको “जय श्री राम” के नारे लगाते देखा और यह कहते देखा कि भाजपा के साथ मिलकर ही बिहार में राम राज्य की फिर से स्थापना की जा सकती है | इसी भाजपा के समर्थकों को मैंने नितीश कुमार को देशविरोधी, हिन्दू विरोधी आदि सम्बोधनों से सुसज्जित करते पाया और वही भाजपा समर्थक आज नितीश कुमार को राष्ट्रभक्त, ईमानदार आदि साबित करते पाया |
खैर यह सब कोई नयी बातें नहीं हैं | नेताओं के समर्थकों की भीड़ इसी तरह की हरकतें पहले भी करती रही है और शायद आगे भी करती रहे | मैं बस यही कहूंगा कि आप किसी भी राजनैतिक सोच के हों परंन्तु अपने नेता के प्रति इतनी अंधश्रद्धा में ना आ जाएं कि आपसी प्रेम, रिश्ते, भाईचारा, मित्रता और राष्ट्रवाद को ही भूल जाएं | आपसी प्रेम, भाईचारा, रिश्ते, मित्रता बनाये रखें | देश पहले और राजनीति बाद में | किसी नेता के समर्थन में ऐसा कोई काम न करें जो देशविरोधी हो और आपसी रिश्तों में खटास लाये |