चुनाव आते ही अब एक मुद्दा बहुत जोरों से उठाया जाता है और वो है आरक्षण | संघ के लोग कुछ इस तरह इशारा करते हैं जैसे कि वो आरक्षण की व्यवस्था की समीक्षा चाहते हैं और सभी राजनैतिक दल एक स्वर में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था का समर्थन करते हैं | परंतु सच यही है कि संघ और कोई भी राजनैतिक दल इस समय आरक्षण पर न तो किसी तरह की कोई बहस चाहता है और न ही वर्तमान व्यवस्था में किसी भी तरह का कोई बदलाव | सभी को अपने अपने वोट बैंक की चिंता है |
आरक्षण की व्यवस्था का मूल उद्देश्य समाज के गरीबों पिछड़ों को तरक्की के मौके उपलब्ध कराना था | उस समय समाज में यह अंतर जाति के आधार पर था तो आरक्षण जातिगत बनाया गया | लेकिन उस में लगातार संसोधनों की आवश्यकता थी ताकि उस का लाभ उस व्यक्ति तक पहुँच सके जिसे सच में इस व्यवस्था की आवश्यकता है | आप ही बताइये कि यदि एक तरफ एक आरक्षित जाति के आई. ए. एस. का बेटा है और दूसरी तरफ उसी की जाति के किसी गरीब व्यक्ति का बेटा, आई. ए. एस. के बेटे को उचित शिक्षा का हर एक साधन मिलेगा और वहीँ उस गरीब के बेटे को अभाव की ज़िन्दगी | जब ये दोनों किसी परीक्षा में आमने सामने पड़ेंगे तो किसका चयन होगा ? यहाँ होगा यह कि आरक्षण की जिसे आवश्यकता थी यानी कि गरीब का बेटा, वो उस व्यक्ति से पीछे रह जायेगा जिसे आरक्षण की आवश्यकता नहीं थी | हर आरक्षित जाति का संपन्न परिवार अपनी ही जाति के गरीब परिवार का हक़ मार रहा है |
इस समय सभी राजनैतिक दलों के लिए आरक्षण का विषय मधुमक्खी के छत्ते के समान है जिसमें कोई भी हाथ डालना नहीं चाहता | कोई भी राजनैतिक दल आरक्षण की समीक्षा के लिए तैयार नहीं है | सभी वोट बैंक साधने में लगे हैं | भाजपा जिसे विरोधी पार्टियां सवर्णों की पार्टी बोलती हैं वह भी इस विषय में किसी तरह की कोई समीक्षा नहीं चाहती | अब ऐसे में गरीब सवर्ण, गरीब अनुसूचित जाति-जनजाति एवं गरीब पिछड़ी जाति के लोग कहाँ जाएं और उनकी कौन सुनेगा ? जबकि आरक्षण के असली पात्र तो यही लोग हैं | हर एक जाति ने आजकल कोई न कोई जिला, शहर, गांव स्तर की सभा बनायीं हुई है जिसका अध्यक्ष कोई न कोई संपन्न परिवार का राजनैतिक व्यक्ति ही होता है और ऐसा व्यक्ति इस विषय पर कभी भी अपनी जाति के गरीब लोगों का पक्ष न रखेगा न सुनेगा | अब गरीब सवर्ण, गरीब अनुसूचित जाति-जनजाति एवं गरीब पिछड़ी जाति के लोगों को खुद ही अपनी आवाज उठानी होगी | चुनाव का समय है, अच्छा समय है संगठित होकर अपने नेताओं पर इस विषय में दवाब डालने का, कोशिश कीजिये शायद दवाब से कुछ फायदा हो |
आरक्षण की समीक्षा और उस में बदलाव के लिए हमने कुछ समय पहले कुछ सुझाव दिए थे | आप नीचे दी हुई लिंक पर उन सुझावों को पढ़ सकते हैं | इन सुझावों को पढ़िए और इस विषय में अपनी राय जरूर दीजिये |